तारिक आज़मी
भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनातनी को लेकर अमेरिका ने बुधवार को परमाणु शक्ति संपन्न दोनों देशो से तनाव कर करने के लिये तुरंत कदम उठाने की अपील किया था। ट्रंप ने सलाह देते हुवे कहा है कि दोनों देशो के तरफ से जोखिम की आशंका अस्वीकार्य रूप से बहुत ज्यादा है। अज फिर सेठ जी बोल पड़े कि भारत पाकिस्तान के तरफ से एक अच्छी खबर है और हमें उम्मीद है कि जल्द ही भारत पाकिस्तान तनाव ख़त्म होगा।
अब साहब वैसे तो अपने यहाँ की मीडिया को कंट्रोल नही कर पा रहे है तो हम अक्खड़ बनारसियो की ज़बान कहा रोक पायेगे। हम तो काका से कहा कि काका देखो कईसे सेठ जी कह रहे है तो काका तुनक गये। बोले अपने दत्तक पुत्र पाकिस्तान की सलामती के लिये ट्रप ने ट्रंप कार्ड खेलना शुरू कर दिया है। शायद उनको अंदाजा हो गया होगा कि 72 घंटे भी नही टिक पायेगा हमारी नालायक औलाद पाकिस्तान हमारे आगे। ये परमाणु की धमकी तो खाली गीदड़ भभकी है। ससुरो के घर में आंटा पीसने की मशीन नही है परमाणु बम का बनायेगे।
वैसे साहब जी हम भी पूछना चाहते है कि का साहब आप बड़े आदमी है। आपकी जनता तो जनता है। उनकी जान और सुकून आपको अधिक प्रेम देगा। क्या भारत के नागरिक इन्सान नही है ? आपके दूर देस के टावर में जब ऐरोप्लेन घुस गया था तो आपके लोग तनिक ई सब की चिंता न किये और कुछ लोगन मिल के अफगानिस्तान में कोहराम मचा दिये। अब आपके दत्तक पुत्र की बारी है उसके ऊपर कार्यवाही क्यों नही करते है। कितना सबूत चाहिये ? छोडिये हमारे द्वारा दिये गये सबूत को आप मत मानो, आपके पास तो खुद ही सबूत होगा न ? खूखार आतंकवादी लादेन को कहा मारा था साहब ? ऊ कऊन कंट्री रही तनिक आपे बता दे। वैसे हम सुना रहा, पढ़ा भी रहा कि ऊ पाकिस्तान में जहन्नम रसीद हो गया रहा।
अब साहब एक बात हमको बता दे आप, आपको सात समुन्दर पार पता चल गया कि लादेन कहा है, फिर कैसे मान ले कि पाकिस्तान को नही मालूम होगा कि लादेन कहा है ? जबकि लादेन उसके अपने देश में छुप कर बैठा था। अब आप बताये न साहब कि जो इतने खूखार आतंकी को अपने घर में पनाह दे रहा था उसके ऊपर कार्यवाही होनी चाहिये कि नही ?
साहब हमको भी जीने का अधिकार है उतना ही, जितना आपके नागरिको को है। हम आज घर से बाहर किसी भीड़ भाड़ वाली जगह पर होते है तो एक खौफ दिल में रहता है कि कही कोई पाकिस्तानी आतंकी कुछ कर न दे, साहब हम भी जीना चाहते है। हम भी खुद को सुकून और सुरक्षा के साथ जीना चाहते है। ये जो नापाक पाकिस्तान है न, इसके यहाँ कई ऐसे शैतान मौलाना होंगे जो ये सब कुछ करवाते है। आप तो जानते है सेठ जी हम अमन पसंद लोग है। हमको भी तसल्ली से जीना है। कब तक इसकी खुराफात सहते रहेगे। आज दो दिन को शांत बैठ जायेगा मगर फिर कुछ न कुछ करेगा। आप हमारे जगह खड़े होकर सोचे कि जो औलाद नाकारा और बत्तमीज़ होती है उसी को बाप घर से बेदखल करता है न। तो ये सब इतने नाकारा और बत्तमीज़ औलाद है हम लोगो की कि हम इनकी शक्ल भी नही देखना चाहते। बहुत कोशिश किया गया था कि ४७ में सुधर जाए सब। तौबा कर ले अपने गुनाहों से, मगर जब नहीं सुधरे तो निकाल कर फेक दिया अपने यहाँ से,
अब देखे न ये मुसलमान मुसलमान करता है, आप देख लो आकर अगर हमारी बात पर यकीन न हो तो। उसके पुरे देश में उतने मुसलमान नही होंगे जितने हमारे एक प्रदेश में मुसलमान है। सबसे बड़ी बात कि भारत के मुसलमान मुकम्मल ईमान वाले है। वतन हमारे लिये मादरे वतन है, हुब्बे वतन है। बहादुर शाह ज़फर ने मरने के पहले इस वतन से अपने प्रेम को दो लाइन में लिखा था कि
कितना बदनसीब है ज़फर अपने दफ़न के लिये,
दो गज ज़मी भी न मिली कू-ए-यार में।
और साहब हम लोग बाई चांस वाले भारतीय नही है। हम भारत के मुसलमान बाई चॉइस वाले मुसलमान है। हमको अपने वतन से इतनी मुहब्बत है साहब कि जब 47 में कहा गया जो जाना चाहते है वो जा सकते है, मगर साहब हमको अपने वतन से इतनी मुहब्बत है कि हम नही गये और यही रहे और यही रहेगे। मर कर भी कही नही जायेगे यही की मिटटी में दफन होकर मिटटी के अन्दर से भी वतन के लिये लड़ेगे।
तो साहब ज़रा अपने दत्तक पुत्र को समझाये। काहे अईसा कर रहा है। ढंग से भारत के मुसलमानों ने एक बाल्टी पानी सबने पाकिस्तान के तरफ किसी दिन बहा दिया तो सीधा पाकिस्तान दुनिया के नक़्शे से गायब होकर बहकर हिन्द महासागर की खाड़ी में गिरेगा। हमारे दो चार कम हो जायेगे तो फर्क नही पड़ेगा। मगर उसको समझाए न देखिये एक बार आने की कोशिश किया तो 8 कम हो गये। दुबारा में फिर अगर यही हाल रही तो बचेगा क्या उसके पास। फिर क्या कुश्ती लडेगा। अगर ये भी करेगा तो भी नही जीत पायेगा। उसके बड़े बड़े पहलवानों पर अपना एक सन्नी देओल ही भारी पड़ेगा।
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