मोरबतियाँ – जग्गा जासूस से बड़ी जासूस है कमरुनिया की अम्मा, वही सार्वजनिक होते हुवे भी गोनियता बनाये रखने वाली कैग रिपोर्ट में दाम पढ़ के बता सकती है

तारिक आज़मी

राफेल मुद्दा जितना राजनितिक गलियारे में गर्म नही होगा उससे कही ज्यादा सर्द रातो में गर्मागर्म बिस्तर पर, चाय पान के नुक्कड़ पर और सोशल मीडिया पर गर्म है। सरकार के समर्थक सरकार के तरफ से लड़ते लड़ते थक चुके थे। तभी सरकार के तरफ से एक संजीवनी के तरह उनको एनर्जी देते हुवे ग्लूकोज़ के डोज़ जैसी घोषणा कर डाली कि सरकार कैग की रिपोर्ट संसद में रखेगी। इसके बाद लगातार सरकार समर्थित लोग हमलावर होने लगे और विपक्ष को शब्दों के बौछार से घायल किये हुवे थे।

सरकार वायदे पर खरी उतर कर कैग की रिपोर्ट संसद में पेश कर दिया। कैग की रिपोर्ट में कहा गया कि सरकार ने राफेल को पिछली सरकार के दामो से कम में ख़रीदा है। इस खबर के आते ही सरकार समर्थक एक बार फिर विपक्ष पर हमलावर हो गये और जमकर सुनाना शुरू कर दिया। विपक्ष से सबसे ज्यादा इस मुद्दे को उछालने वाले राहुल गांधी से तो सरकार और भाजपा समर्थको ने सड़क और नुक्कड़ से लेकर सोशल मीडिया पर और गली चौबारों पर माफ़ी मागने की मांग तेज़ हो गई। ये ख़ुशी समर्थको को अधिक देर तक नही नसीब हुई और थोड़े वक्त के बाद यानी रात होते होते ये भी साफ़ हो गया कि कैग की रिपोर्ट में गोपनीयता का पूरा ख्याल रखते हुवे सब कुछ सार्वजनिक करते हुवे भी सार्वजनिक नही किया गया और दामो को बताया नही गया।

इसके बाद तो विपक्ष एक बार फिर से हमलावर देर रात होते होते हो गया। दरबान से लेकर दरबारी तक को हाशिये पर रखने को बेताब विपक्ष सोशल मीडिया पर और चाय पान के नुक्कड़ो पर सत्ता समर्थको पर हमलावर रहा। शब्दों के तीर इतने नुकीले थे कि शब्द भी घायल कर रहे थे। लोग एक दुसरे पर फब्तिया ऐसे कस रहे थे कि जैसे लग रहा था कि बस इस शब्दों के बमों से विपक्ष सत्ता पक्ष को घायल कर डालेगा।

इत्तिफाक से हमारे काका भी हमारे सत्ता पक्ष के समर्थक है। कल देर रात आ धमके हमारे पास। हाथ में दो तीन कागज़ पर प्रिंटआउट लिये हुवे काका के चेहरे पर बड़ा गुस्सा और उदासी रही। हम पूछ बैठे का काका काहे इतना चिंताजनक हो। बस अईसा लगा जईसे काका फट पड़े हो। काका बोले अबे हमका जल्दी से जल्दी जग्गा जासूस का नंबर दो। हम कहा का काका ई जग्गा जासूस कऊन है अऊर उनसे आपका क्या काम पड़ गया। बोले देख दिमाग मत खा जग्गा जासूस का नंबर दे। तुम्हारे बस का नही है ई काम। हम कहा काका जग्गा जासूस का नंबर तो नही है। मगर उससे तगड़ी जासूसी पड़ोस के कमरुनिया की अम्मा करे है, कहो उनका नंबर तुमका दे दे या फिर बुला कर मिलवा दे। उनका सब पता रहे है कि कऊन घर में का पक्का है। ऊ जग्गा जासूस से बड़ी जासूस है।

काका फिर फायर हो गये। कहने लगे तुम्हारा सोच भी हम देख रहे है कांग्रेसियों वाला होता जा रहा है। देखो भाजपा ने अपना वायदा पूरा कर दिया और कैग की रिपोर्ट संसद में पेश कर दिया। अब उसमे दाम भी लिखा है मगर इस दाम को विपक्ष नही पढ़ पा रहा है तो हम का उसका ठीका लिया है। जाकर कऊनो स्कूल में एडमिशन लेकर इंजीनियरिंग में तीन साल फेल होकर पढ़े समझ जायेगे। हमको बड़ा लोग ताना कस रहे है। हमहू सोच लिया कि जग्गा जासूस से इस दाम को पढवा कर विपक्ष पर तगड़ा राफेल से हमला करूँगा। इतना कहते हुवे काका ने तीनो प्रिंट आउट हमारे हाथ में दे दिया। हम भी रिपोर्ट को ईम्मे उम्मे पास होकर भी ढंग से समझ न पाए।

वैसे समझा जाने हेतु उतना समझदार होने की आवश्यकता होती है। अब ऊ समझदारी कहा से लाये तो समझ गये कि ई तो गुरु गजब होई गवा। राफेल पर कैग की रिपोर्ट तो आई।मगर सार्वजनिक होकर भी गोपनीय नज़र आई। अभी तक दि वायर और हिन्दी में गोपनीय रिपोर्ट सार्वजनिक हो रही थी। मगर आज सार्वजनिक होकर भी रिपोर्ट के कई अंश गोपनीय नज़र आए। सीएजी ने यूरो और रुपये के आगे संख्या की जगह अंग्रेज़ी वर्णमाला के वर्म लिखे हैं। इस तरह रिपोर्ट पढ़ते हुए आपको ये तो दिखेगा कि मिलियन और बिलियन यूरो लिखा है। मगर मिलियन के आगे जो कोड इस्तमाल किए हैं उसे पढ़ने के लिए वाकई जग्गा जासूस को हायर करना पड़ेगा। या फिर कमरुनिया की अम्मा को दिखाना पड़ेगा ई रिपोर्ट, आप पेज 120 और 121 पर जाकर देखिए। राफेल विमान कितने में खरीदा गया, कितने का प्रस्ताव था इनकी जगह जो संकेत चिन्ह लिखे गए हैं उन्हें पढ़ने के लिए इंजीनियरिंग में एडमिशन लेकर तीन बार फेल होना ज़रूरी है।

अब काका दुबारा हमारे ऊपर फायर रहे। बोले कुल तुमका पढ़ाना लिखाना बेकार है। अगर ई भाषा नही पढ़ सकते हो तो का पढ़ सकते हो। अब काका को हम कईसे समझाए कि काका कुल भाषा हमही पढ़ लेते तो बकिया लोग का पढ़ते ईहे बदे ई भाषा हम छोड़ दिया पढना। काका तनक के जा चुके है और हम लगे है अपने काम में। वईसे केहू के ई भाषा आवे है तो हमरे काका से संपर्क तनिक कर लिहे।

Disclaimer – कमरुनिया अथवा कमरुनिया की अम्मा एक काल्पनिक नाम और पात्र है इसका किसी जीवित अथवा मृत व्यक्ति या संस्था से कोई सम्बन्ध नहीं है. 

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