अनिला आज़मी
पणजी.गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर परिकर के निधन के बाद नई सरकार की कवायद गोवा में शुरू हो गई है। 40 विधानसभा सीटों वाले इस राज्य में भाजपा के पास 12 विधायक हैं। इसके साथ भाजपा ने वह जीएफपी और एमजीपी के तीन-तीन और एनसीपी विधायक के अलावा एक निर्दलीय उम्मीदवार का समर्थन ले भाजपा ने गोवा में सरकार बनाया था। अपने समय में यह एक राष्ट्रीय चर्चा का मुद्दा बना था क्योकि विधान सभा में सबसे बड़ा दल बनकर कांग्रेस आई थी जिसके पास 14 विधायक थे, मगर तत्कालीन राज्यपाल ने भाजपा को सरकार बनाने का मौका दिया था। इस हिसाब को मिलकर भाजपा ने 21 विधायको के समर्थन के साथ सरकार बना लिया था, जो अभी तक चल रही है।
अब जब मनोहर परिकर का निधन हो गया है तो गोवा में सरकार को लेकर कवायद एक बार फिर शुरू हो चुकी है। भाजपा जहा नया मुख्यमंत्री का चेहरा सामने लाना चाहती है वही कांग्रेस नई सरकार बनाने का दावा पेश कर रही है। इस बीच भाजपा विधायक माइकल लोबो ने बताया कि महाराष्ट्रवादी गोमंतक पार्टी (एमजीपी) के विधायक सुदीन धवलीकर मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं जिससे बातचीत में गतिरोध पैदा हो गया है। लोबो ने रातभर चली बैठक के बाद कहा, सुदीन धवलीकर खुद मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं जबकि भाजपा चाहती है कि गठबंधन का नेता उसके खेमे का होना चाहिए। हम किसी भी फैसले पर नहीं पहुंच पाए।
बताते चले की गोवा में अब सरकार बनाने के लिए 19 विधायकों की जरूरत है। अगर भाजपा एमजीपी के विधायक सुदीन धवलीकर को मनाने में नाकाम रहती है और वह कांग्रेस के खेमे में चले जाते हैं तो भाजपा नीत गठबंधन के विधायकों की संख्या 17 रह जाएगी। वहीं कांग्रेस के विधायकों की संख्या भी 17 हो जाएगी। दोनों पार्टियों बहुमत से दो-दो विधायकों से दूर रहेंगी। ऐसे में कांग्रेस जो पहले ही महाराष्ट्र में एनसीपी से गठबंधन कर चुकी है को उसके एक विधायक का समर्थन हासिल हो जायेगा। इसके बाद उसकी संखया 18 हो जाएगी। इस स्थिति में कांग्रेस एक निर्दल विधायक को आसानी से तोड़ सकती है और सरकार बना सकती है।
वैसे बताते चले की कांग्रेस ने एक सप्ताह के अन्दर ही सरकार बनाने का दूसरी बार दावा पेश कर दिया है। कांग्रेस का कहना है कि उसके पास बहुमत है। ऐसे में कांग्रेस गोवा फॉरवर्ड पार्टी के विधायकों को भी अपने पाले में करके सरकार बनाने की कोशिश कर सकती है। वैसे कांगेस कर्णाटक वाला भाजपा का गेम प्लान भी अपना सकती है। कर्नाटक में भाजपा के ‘कमल ऑपरेशन 2008’ के तहत चली गई चाल की तरह कांग्रेस भाजपा से सत्ता छीन सकती है। कर्नाटक में भाजपा ने कांग्रेस के बागी विधायकों से इस्तीफा दिला दिया था। इसके बाद बहुमत का आंकड़ा नीचे चला गया था। ऐसे में कांग्रेस भाजपा के किसी असंतुष्ट या फिर अन्य पार्टी के विधायक से इस्तीफा दिला सकती है। इससे सदन में बहुमत साबित करने का आंकड़ा नीचे चला जाएगा। तथा कांग्रेस यह बहुमत आसानी से हासिल कर लेगी।
दूसरी तरफ भाजपा को सहयोगी दलों से बातचीत करने गोवा पहुंचे केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को भाजपा विधायकों ने मुख्यमंत्री पद के लिए विश्वजीत राणे और प्रमोद सावंत के नाम सुझाए हैं। इससे पहले जीएफपी प्रमुख विजय सरदेसाई ने कहा था कि पार्टियां अभी किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंची है। सरदेसाई ने कहा था कि बैठक में कोई नतीजा नहीं निकला और भाजपा ने उन्हें सूचित किया है कि बाद में दिन में फिर से बैठक होगी। सरदेसाई अपने विधायक जयेश सालगांवकर और विनोद पालेकर तथा निर्दलीय विधायक रोहन खोंटे, गोविंद गावडे और प्रसाद गांवकर के साथ पहुंचे थे,
इस साल के शुरु में भाजपा विधायक फ्रांसिस डिसूजा और रविवार को पर्रिकर के निधन तथा पिछले साल कांग्रेस के दो विधायकों सुभाष शिरोडकर और दयानंद सोपटे के इस्तीफे के कारण सदन में विधायकों की संख्या 36 रह गयी है। साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में गोवा में कांग्रेस को सबसे ज्यादा सीटें मिली थीं। लेकिन भाजपा ने अन्य दलों को अपने पाले में लाकर सरकार बनाने में बाजी मार ली। भाजपा ने रविवार को अपने दो पर्यवेक्षक गोवा रवाना कर दिए थे और अपने विधायकों को राज्य में बने रहने के लिए कहा। यह निर्देश कांग्रेस का सरकार बनाने का दावा पेश करने और पर्रिकर की तबीयत ज्यादा खराब होने के बाद दिए गए थे। अब देखना यह होगा की जीवट नेतृत्व क्षमता रखने वाले परिकर के बाद क्या भाजपा अपनी सरकार गोवा में बचा पाती है अथवा फिर कांग्रेस सत्ता हासिल करने में कामयाबी पा जाती है। सब मिलाकर पिक्चर का क्लाईमेक्स अभी बाकी है।
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