गोपाल जी
पटना: बिहार और राजनितिक हलचल एक दुसरे की पूरक है। अक्सर राजनितिक हलचल बिहार को सुर्खियों में ला देती है। कभी गटबंधन तो कभी उसका टूटना। कभी नया गटबंधन तो कभी पुराने में फेर बदल। कभी नये चेहरों का अचानक राजनितिक पटल पर उभारना तो कभी उनका धुंधला होना। इस बार फिर एक बार राजनितिक हलचल पैदा करने की तैयारी में बिहार दिखाई दे रहा है। इस बार हलचल जदयू के भीतरखाने में हुई है। जदयू के रणनीतिकार और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर को लेकर राजनितिक उथल पुथल चल रही है। बीते कुछ समय से अपने बयानों और गतिविधियों की वजह से प्रशांत किशोर मीडिया की सुर्खियों में हैं।
प्रशांत किशोर ऐसे-ऐसे बयान दे रहे हैं, जो आने वाले चुनावों में जदयू के लिए मुसीबत साबित हो सकते हैं और इसका सियासी फायदा विपक्ष उठा सकता है। प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री बनाने वाले बयान से लेकर जदयू को भाजपा के साथ न जाने की बात, जैसे प्रशांत किशोर के बयान से जदयू नाराज नजर आ रही है। सूत्र ऐसा बता रहे हैं कि जदयू में प्रशांत किशोर को लेकर काफी नाराजगी है और दबी जुबान से वे प्रशांत किशोर के बयानों से किनारा भी कर रहे हैं। प्रशांत किशोर के कुछ बयान से ऐसा लग रहा है कि उनमें और नीतीश कुमार में शायद सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है।
अगर हाल ही के घटनाक्रमों पर नजर डालें तो ऐसा लग रहा है कि जदयू और प्रशांत किशोर दोनों अलग-अलग धारा में चल रहे हैं। बेगूसराय के शहीद पिंटू सिंह को जब सरकार और पार्टी की ओर से कोई श्रद्धांजलि देने नहीं गया, तब प्रशांत किशोर ने सरकार और पार्टी की ओर से माफी मांगी। फिर जब वह मुजफ्फरपुर में युवाओं के साथ कार्यक्रम में गए, तब उन्होंने कहा कि उन्होंने देश में प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री बनाए हैं, अब वह युवाओं को भी सासंद, विधायक बनाएंगे। इसके बाद उनका एक और बयान वायरल हो रहा है जिसमें वह कह रहे हैं कि नीतीश कुमार को बीजेपी के साथ गठबंधन नहीं करना चाहिए। दरअसल, प्रशांत कुमार के ये कुछ हालिया ऐसे बयान हैं, जिससे जदयू किनारा कर रही है। इन बयानों की वजह से जदयू में प्रशांत किशोर को लेकर भी काफी नाराजगी है।
जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर इन दिनों बिहार की राजनीति में सुर्खियों में हैं। अपने बयान से प्रशांत किशोर काफी छाए हुए हैं। बीते दिनों बिहार के मुजफ्फरपुर में युवाओं के साथ एक कार्यक्रम के दौरान प्रशांत किशोर ने यह बयान दिया कि उन्होंने अब तक पीएम और सीएम बनने में मदद की है अब वे बिहार के युवाओं को सांसद-विधायक, मुखिया और वार्ड बनने में मदद करेंगे। प्रशांत किशोर के सांसद-विधायक बनाने वाले बयान ने उन्हीं के पार्टी के नेताओं को असहज कर दिया है। जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा है कि उनकी पार्टी के रोल मॉडल नीतीश कुमार हैं। बतौर नीरज कुमार किसी को एमएलए-एमपी बनाना जनता के हाथ मे हैं। उन्होने कहा है कि उनकी पार्टी इस बयान से इत्तेफाक नहीं रखती है। नीरज कुमार ने कहा कि पार्टी सिर्फ माहौल बनाती है, नेता बनाना तो जनता के हाथ में है। उन्होंने कहा कि वे नीतीश कुमार के नेतृत्व में काम करके अच्छा महूस करते हैं।
एक इंटरव्यू में प्रशांत कुमार ने कहा कि नीतीश कुमार को महागठबंधन से नाता तोड़ने के बाद उन्हें बीजेपी के साथ न जाकर फ्रेश मैंडेट यानी नए जनादेश के लिए दोबारा चुनाव में जाना चाहिए था। प्रशांत किशोर का यह बयान इसलिए काफी अहम हो जाता है क्योंकि प्रशांत किशोर न सिर्फ जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं बल्कि वह नीतीश कुमार के भी काफी करीबी माने जाते हैं। ऐसी उम्मीद की जा रही है कि विपक्ष प्रशांत किशोर के इस बयान को भुनाने की कोशिश कर सकता है।
3 मार्च को पटना में हुए एनडीए की रैली के अगले दिन पार्टी की बैठक में आए। बीजेपी से उनकी दूरी की वजह उनके उस बयान से भी साफ झलकी कि उन्होंने पार्टी की बैठक में सफाई दी कि वे शिवसेना से लेकर जिस पार्टी से भी बातचीत कर रहे हैं, वह सिर्फ नीतीश कुमार के लिए ही कर रहे हैं। 3 मार्च को ही पटना में बेगूसराय से शहीद पिंटू सिंह को श्रद्धांजलि देने गए जदयू या सरकार की ओर से कोई भी नेता नहीं गया। इसे लेकर सरकार और पार्टी को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। आलोचनाओं को देख प्रशांत किशोर ने खुद इसके लिए माफी मांगी थी। उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट से माफी मांगी थी कि उनसे गलती हुई।
चर्चाओ की माने तो जदयू नेताओं में प्रशांत किशोर के खिलाफ असंतोष गहराता जा रहा है। कई जदयू नेता यह मान रहे हैं कि प्रशांत किशोर खुद को पार्टी से बड़ा मानने लगे हैं। वह पार्टी से भी अपने आप को बड़ा बनाना चाहते हैं। जदयू के कुछ नेता यह मानने लगे हैं कि प्रशांत किशोर पार्टी का काम न करके अपनी ब्रांडिंग कर रहे हैं। पार्टी में नाराजगी इस बात को लेकर भी है कि वह अपने आप को जदयू में नंबर टू मानते हैं।
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