अनुपम राज
वाराणसी। वाराणसी के चौक थाना क्षेत्र के हकाकटोला निवासी एक युवक ने कथित तौर पर फंदे से लटक कर संदिग्ध परिस्थितयो में अपनी जान दे दिया। सूत्रों की माने तो युवक को लेकर परिजन मंडलीय चिकित्सालय कबीरचौरा गए थे। जहा चिकित्सको ने युवक को मृत घोषित कर दिया, इसके बाद चिकित्सक जब तक पुलिस मेमो की तैयारी करते परिजन लाश को लेकर अपने घर आ गए और गुपचुप तरीके से अंतिम संस्कार की तैयारी में जुट गए। इसी दौरान इसकी जानकारी मीडिया में आ जाने के कारण इसका संज्ञान पुलिस ने लिया और मौके पर पहुच कर पोस्टमार्टम की कार्यवाही की तैयारी में पुलिस जुट गई है। समाचार लिखे जाने तक क्षेत्र के कुछ प्रभावशाली लोग पुलिस पर पोस्टमार्टम न करवाने का दबाव बना रहे है। मौके पर पुलिस मौजूद है।
समाचार लिखे जाने तक पुलिस लगातार डेढ़ घंटे से ऊपर का समय गुज़र जाने के बावजूद डटी हुई है। मौके पर क्षेत्र के कद्दावर और प्रभावशाली लोग मामले को रफादफा करने के प्रयास में भले लगे है मगर पुलिस मामले को रफादफा करने के मूड में दिखाई नही दे रही है।
संदिग्ध परिस्थिति में हुई मौत के बावजूद परिजनों द्वारा पोस्टमार्टम नही करवाने की जिद और लाश का पोस्टमार्टम नही होने की जद्दोजहद करना मामले को संदिग्ध बना रहा है। क्षेत्र के कुछ प्रभावशाली लोगो द्वारा इस मौत के मामले को सलटाने की कोशिश करना और भी संदिग्धता प्रकट कर रहा है। आखिर क्या कारण है कि आनन् फानन में जल्दी जल्दी अंतिम संस्कार की तैयारी किया जा रहा था। मस्जिद से युवक की मृत्यु होने का सन्देश भी प्रसारित होने की बात सूत्र बता रहे है। जिसमे मिटटी (अंतिम संस्कार) का समय सुबह 8 बजे बताया गया था। अगर मुस्लिम संप्रदाय में अंतिम संस्कार के नियमो को ध्यान दे तो पांच वक्त होने वाले नमाज़ों में एक नमाज़ के बाद और दूसरी नमाज़ के पहले अंतिम संस्कार होता है। इसी वजह से असर और मगरिब के बीच बहुत कम वक्त होने के कारण मगरिब (शाम को होने वाली नमाज़) के बाद मिटटी (अंतिम संस्कार) किया जाता है। सुबह अगर अंतिम संस्कार होता है तो उसका समय दस बजे के लगभग रखा जाता है। दस से बारह बजे के मध्य दो घंटे का समय मिल जाता है और अंतिम संस्कार हो जाता है। 12 बजे से लेकर 12:30 तक ज़वाल का वक्त आलिम बताते है जिस जिसके मध्य कोई भी धार्मिक कार्य नही सम्पादित होते है। विशेष रूप से नमाज़ नही होती है।
अब सवाल ये उठता है कि अगर सूत्रों से मिली जानकारी को आधार माने तो आखिर परिजन अहले सुबह ही अंतिम संस्कार क्यों करना चाहते थे ? आखिर क्या कारण है कि पोस्टमार्टम के लिए इतना न नुकुर किया जा रहा है। आखिर क्या कारण है कि बिना पीएम अथवा पुलिस सुचना के ही परिजन लाश का अंतिम संस्कार करने जा रहे थे। in सभी सवालो का जवाब तो विवेचना का विषय है। बहरहाल पुलिस मौके पर समाचार लिखे जाने तक मौजूद है। पीएम की कार्यवाही पर पुलिस अड़ी है।
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