अनुपम राज
वाराणसी – लोकसभा चुनाव सर पर आ चूका है। सभी दल अपनी अपनी कोशिशो में लगे है। उत्तर प्रदेश में सपा बसपा का गठबंधन चुनाव में दंभ भर रहा है। वाराणसी इस बार फिर वीआईपी सीट हो चुकी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी यहाँ से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले है। इस बीच अन्य सभी दल अपनी भरसक कोशिश अपनी सम्भावनाये तलाशने के लिए कर रहे है। भाजपा के अलावा और किसी दल का प्रत्याशी अभी तक घोषित नही हुआ है। सभी दल बुथवार और विधान सभा वार जिम्मेदारियों को तकसीम कर रहे है।
इसी बीच सपा के कुछ कार्यकर्ताओ और नेताओ ने इसके ऊपर आपत्ति जताई है। इसी क्रम में पूर्व सपा अल्पसंख्यक सभा के अध्यक्ष सैयद ईशान ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में लिखा है कि इस प्रकार की गलती पर शीर्ष नेतृत्व ज़िम्मेदार नही है बल्कि वाराणसी का स्थानीय सपा नेतृत्व ज़िम्मेदार है। जिसकी जवाबदेही कही न कही से जिला और महानगर अध्यक्ष, प्रवक्ता आदि की बनती है। मगर यहाँ का जिला और महानगर स्तर का नेतृत्व केवल लखनऊ में जाकर बड़े नेताओ के बगल में खड़े होकर फोटो ले उसको फेसबुक और व्हाट्सअप पर वायरल करने में ही मशगुल है। इस प्रकार की गलतियों पर विपक्षी दलों को बोलने का मौका मिलता है। कही न कही स्थानीय नेतृत्व इसके लिए ज़िम्मेदार है। उसको इसकी ज़िम्मेदारी लेना चाहिये।
उन्होंने सवाल करते हुवे अपने पोस्ट में कहा है कि इतनी बड़ी खामी के ज़िम्मेवार उन पदाधिकारी खासकर महानगर अध्यक्ष, ज़िला प्रवक्ता एवं ज़िलाध्यक्ष को क्यों न ठहराया जाए? इनके होते हुए भी इतनी बड़ी चूक वह भी पीएम के संसदीय क्षेत्र की लिस्ट बनाते समय हुई है जिस पर पूरे देश की निगाह होती है। क्या ये लोग लखनऊ मीटिंग के नाम पर पार्टी सुप्रीमो के संग सिर्फ फ़ोटो खिंचाने भर का कोरम पूरा कर वापस यहां आकर पार्टी हित की बड़ी-बड़ी डींगें हांकते हैं? क्या इन बड़बोले पार्टी पदाधिकारियों की यह ज़िम्मेदारी नही बनती कि पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव को यहां की हर छोटी बड़ी जानकारी से अवगत कराते रहें? या फ़िर सूची तैयार करते समय इन पदाधिकारियों की बुद्धि भ्रष्ट हो चुकी थी जो पूर्व विधायक प्रत्याशी को पूर्व विधायक दर्शाए जाने पर मौन धारण किये रहें ?
सैयद ईशान ने अपने पोस्ट में कहा है कि कल को यदि विपक्षी पार्टियां इसी त्रुटि व खामी को मुद्दा बनाकर हमारी पार्टी की चुटकी लेने लगें अथवा हमारी पार्टी का उपहास बनाने लगें तो इसकी ज़िम्मेदारी यहाँ का कौन पदाधिकारी लेगा? पार्टी की उपलब्धि तथा लोकप्रियता गाँव-गाँव और गली-गली केवल अखिलेश यादव के संग फ़ोटो खिंचाकर फेसबुक पर टांगने से नही बढ़ती इससे सिर्फ पदाधिकारी का अपना भौकाल टाइट होता है और अपनी निजी पहचान को विस्तार दिया जा सकता है न कि पार्टी की मज़बूती को लेकर इससे कोई लाभ पहुंचता है। मैं राष्ट्रीय अध्यक्ष से कहना चाहता हूँ कि देश की सत्ता में तो बदलाव ज़रूरी है ही मगर उससे पहले हमारे ज़िले बनारस के फ्रंटल में भी बदलाव बेहद ज़रूरी है वरना इस तरह की गलतियों पर हम विपक्षी दलों को खुद की पार्टी का उपहास बनाते देखते रहेंगे जिसका कारण पार्टी के लोकल पदाधिकारी ही होंगे।
बहरहाल, लिपिकीय त्रुटी ही सही मगर सपा के इस पत्र के वायरल होने के बाद सपा के स्थानीय कार्यकर्ता भी इससे नाराज़ है और इसका उत्तदायित्व निर्धारित करने की सुगबुगाहट होना पार्टी में शुरू हो गया है। बताते चले कि पर सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है और इसके ऊपर विशेष रूप से सपा कार्यकर्ता ही आपत्ति दर्ज करवा रहे है। अभी सपा के महानगर अध्यक्ष और जिला अध्यक्ष के तरफ से कोई बयान सामने नही आया है।
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