परंम्परागत पवित्र कुल वाले ही होते है भगवत् शरणागति-आशिष बापू
विकास राय गाज़ीपुर
परमात्मा के चरण शरण में जाना.उनकी कथा एवम किर्तन में भाग लेना.सन्तो के सानिध्य में स्वयं को समर्पण करना सामान्य और संस्कार विहीन लोगों के बस की बात नहीं है।यह सौभाग्य उन्ही को मिलता है जो परंपरागत पवित्र कुल वाले होते है।
संत खडेश्वरी बाबा रामलीला मैदान दुबिहां बाजार में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में ज्ञान और वैराग्य की कथा रूपी अमृत की वर्षा करते हुवे मानस मर्मज्ञ भागवतवेत्ता सुप्रसिद्ध संत एवम कथा वाचक आशिष बापू ने कहा की राजा परिक्षित को परमहंस श्री शुकदेव जी महाराज के द्वारा श्रीमद्भागवत कथा श्रवण करने का सौभाग्य यैसे ही नही प्राप्त हो गया था बल्कि इसके पीछे उनका सत्कर्म जमित पूण्य के साथ साथ परदादी कुन्ती का भगवद् चरणारविन्द रत् प्रेम जिन्होनें भगवान से वियोग के भय से भगवान से ही बरदान मांग लिया।
दादी द्रोपदी का ऋषि और ब्राह्मणों के प्रति करूणा जिन्होंने स्वयं के द्वारा जन्म लिए हुवे पांच बालकों का बध करने वाले ब्राह्मण गुरू अश्वत्थामा को क्षमा करते हुवे प्राण दान दे दिया।मां उत्तरा के गर्भ में पल रहे बालक की अश्वत्थामा के द्वारा चलाये हुवे ब्रह्मास्त्र से रक्षा के लिए भगवान को अपने गर्भ में आने के लिए विवश कर दिया
ऐसी जिसकी कुल परम्परा हो उसको भगवान के प्रेम और भगवद् कथा की प्राप्ति होती है।इस लिए यह सुअवसर राजा परिक्षित को मिला था।जब परमात्मा की विशेष कृपा होती है तो जीवन में संत का सानिध्य एवम सामिप्य मिलता है।जब कई जन्मों का पुण्य संचित होता है तो जीव को कथा श्रवण का मौका मिलता है।पूज्य बापू जी के द्वारा गाये गये भजनों पर उपस्थित श्रोता झूम उठते है।संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा में आर्गन पर मुकेश कुमार. तबला पर सुशील चौबे पैड पर अक्षत राज संगत कर रहे है।
इस संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा में मुख्य यजमान कृपाशंकर दास उर्फ पप्पू महंत सपत्नीक. जय बजरंग आई टी आइ लट्ठूडीह के प्रबंधक हिमांशु राय.श्याम राज तिवारी. विपिन विहारी सिंह टुनटुन. देवेन्द्र सिंह देवा.अभिषेक राय.के द्वारा मंच पर व्यास पूजन एवम पूज्य आशिष बापू का माल्यार्पण कर उनसे आशिर्वाद प्राप्त किया गया।इस संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा में राजेश राय शिक्षक.इन्द्रकांत मिश्र थानाध्यक्ष करीमुद्दीनपुर.चौकी प्रभारी असावर हरिनारायण शुक्ल. रविन्द्र यादव साधु जी.भोला राय.आशुतोष राय.अशोक पाण्डेय, हरिशंकर राय,कृपाशंकर राय,गौतम राय,राम जी पाण्डेय, काशी नाथ गुप्ता, रमेश,चुन्नू, जगेश्वर राज भर,हरिलाल,समेत सैकडो की संख्या में कथा प्रेमी पुरूष एवम महिलाएं उपस्थित रही।