संजय ठाकुर
आजमगढ़/ भाजपा उत्तर प्रदेश में 74 सीट जीतना चाहती है। ऐसा हम नही कह रहे है बल्कि भाजपा का आला कमान ये दावा करता है। वही गली नुक्कड़ वाले भाजपा नेता तो 80 में से पूरी 80 सीट जीतने का दावा करते हुवे दिखाई दे जा रहे है। सोशल मीडिया पर चौकीदार नाम के आगे लगा कर अपशब्दों के साथ लोग भाजपा को 500 सीट देने को उतावले बैठे है। मगर ज़मीनी हकीकत में भाजपा के नाम पर लहर जैसी कोई चीज़ नही दिखाई दे रही है।
इस कार्यक्रम हेतु भीड़ जुटाने के लिए पार्टी ने ब्लाक और गांव स्तर पर लोगों से संपर्क भी किया था। सभी को कार्यक्रम में आने का न्योता भी दिया था। लेकिन जनसभा के दौरान भीड़ का नजारा देख भाजपा नेताओं के होश उड़ गए। एक हज़ार लोगो के इंतज़ाम के बीच मात्र 100-150 लोग ही कार्यक्रम में आये थे। पंडाल सुना सुना सा दिखाई दे रहा था। कुर्सिया खाली पड़ी थी। इस भीड़ ने भाजपा नेताओं के दावों की हवा निकाल कर रख दिया। प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पाण्डेय को फिर भी आस थी कि कार्यक्रम शुरू होने के बाद जनता आएगी और भीड़ बढ़ेगी। उन्होंने आखिर लम्हे तक जनता के आने का इंतजार किया। लेकिन भीड़ बढ़ने के बजाये आये हुवे मुट्ठी भर लोग भी कम होने लगे।
भीड़ और जनता की ये स्थिति देख निवर्तमान सांसद और दुबारा संसद तक पहुचने का सपना देखने वाली नेता जी का सपना शायद उनको टूटता हुआ दिखाई दे गया होगा। इस अफ़सोस में वह अपने आखो के कोनो को नम करने से खुद को रोक नही सकी और उनके आंसू फूट पड़े। वो मंच पर ही रोने लगीं। एक बार, दो बार नहीं तीन बार रूमाल से आंसू पोछने पर भी आंसू नहीं रूकने थे तो नही रुके। यहाँ तक कि अपने गले को नम करके आंसू को रोकने की कोशिश में उन्होंने पानी की बोतल उठा कर पिया और खुद को सँभालने की कोशिश किया।
मगर जज्बे को भी सलाम करने का दिल करता है। इतनी बुरी तरह से फ्लाप शो की तरह हुवे इस कार्यक्रम में भी भाजपा नेताओ ने अपने लम्बे चौड़े दावे बरक़रार रखे। नेताओ ने मंच से दवा किया कि उत्तर प्रदेश और देश में मोदी की एकरफा लहर चल रही है। जनता सिर्फ भाजपा को पसंद कर रही है। बताते चले कि छठे चरण में 12 मई को यहां होने वाले मतदान में बसपा ने अपना प्रभारी संगीता आजाद को बनाया है। बताते चले कि संगीता आज़ाद पूर्व राज्य सभा सदस्य गांधी आज़ाद की पुत्र वधु है और उनके पति अमरेन्द्र आजाद बसपा विधायक है। बीएससी, बीएड तक की शिक्षा प्राप्त संगीता आज़ाद से पहले ये टिकट घुरराम को दिया गया था मगर चुनाव घोषणा के पहले ही उनका टिकट काट दिया गया था। इसके बाद से घुराराम समर्थक लगातार उनके टिकट काटने का विरोध कर रहे है।
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