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पीएम मोदी की बायोपिक पर रोक के बाद सख्त हुआ नमो टीवी पर चुनाव आयोग

अनिला आज़मी

नई दिल्ली। सोशल मीडिया पर जारी तमाम आलोचनाओं के बाद आज आखिर चुनाव आयोग ने एक कडा फैसला लेते हुवे पीएम नरेन्द्र मोदी की बायोपिक पर रोक लगा दिया है। इसी के साथ ही चुनाव आयोग ने नमो टीवी जो पीएम मोदी के प्रत्येक कार्यक्रम को कवर कर २४ घंटे सिर्फ पीएम मोदी के गुणगान कर रहा था पर भी चुनाव आयोग सख्त हुआ है और उसने कहा है कि ये नियम नमो टीवी पर भी लागू होंगे। बताते चले कि कल पहले चक्र का मतदान है और कल ही प्रधानमंत्री के बायोपिक पर आधारित फिल्म रिलीज़ होने वाली थी।

गौरतलब हो कि लोकसभा चुनाव के लिए पहले दौर का मतदान कल यानी गुरुवार को होना है। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा को बढ़ावा देने वाले 24 घंटे के चैनल नमोटीवी को भी उन प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा, जिन्हें चुनाव आयोग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जीवनी पर आधारित बायोपिक के लिए लागू किया था। चुनाव आयोग ने आज ही पीएम मोदी पर बन रही बायोपिक की रिलीज पर रोक लगा दी थी। चुनाव आयोग ने कहा कि यह आदेश पीएम मोदी के बायोपिक पर ही नहीं बल्कि नमो टीवी पर भी लागू होगा।

बता दें कि डीटीएच सेवा मुहैया कराने वाले टाटा स्काई ने हाल ही में कहा था कि नमो टीवी एक हिंदी न्यूज सर्विस है, जो राष्ट्रीय राजनीति पर ताजातरीन ब्रेकिंग न्यूज मुहैया कराती है। इस सर्विस प्रोवाइडर के ट्वीट से केंद्र सरकार के दावे पर सवाल उठे थे। एक प्रकार से टाटा स्काई ने ट्वीट कर सरकार के उस दावे का खंडन किया था, जिसमें नमो टीवी को महज एक विज्ञापन प्लेटफॉर्म बताकर पल्ला झाड़ लिया गया था। नमो टीवी नाम का यह चैनल 31 मार्च को अचानक लॉन्च हुआ, तब से इसे सत्ताधारी बीजेपी के ट्विटर हैंडल से लगातार प्रमोट भी किया जा रहा है। खुद पीएम मोदी भी चौकीदारों को संबोधित करने से जुड़े प्रोग्राम का इस टीवी पर प्रसारण होने की 31 मार्च को सूचना दे चुके हैं।

इससे पहले आज ही चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बायोपिक फिल्म ‘पीएम नरेंद्र मोदी’ पर रोक लगा दी थी। चुनाव आयोग ने कहा कि जब तक लोकसभा चुनाव खत्म नहीं हो जाते, तब तक इस फिल्म पर रोक लगी रहेगी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बायोपिक ‘पीएम नरेंद्र मोदी’ की रिलीज पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिका को मंगलवार को खारिज कर दिया था। अदालत ने कहा था कि याचिकाकर्ता की चिंता का हल करने के लिए उचित संस्था निर्वाचन आयोग है, क्योंकि यह एक संवैधानिक निकाय है।

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