तारिक आज़मी
वाराणसी. कल तक हुवे कुल 102 नामांकन पत्रों की आज प्रत्याशियों के सामने जाँच शुरू हुई जो अभी समाचार लिखे जाने तक जारी है। इस जांच में सूत्र बताते है कि अब तक कुल 65 के लगभग पर्चे किसी न किसी कमी के कारण ख़ारिज कर दिया गया है। इस भारी संख्या में परचा खारिजा को देखते हुवे जिन प्रत्याशियों का परचा ख़ारिज हुआ है वह और उनके समर्थको में भारी आक्रोश देखने को मिला है।
वही नामांकन की वैधता को लेकर चल रही गहमा गहमी के बीच जिला कलेक्ट्रेट में श्री विद्या मठ के स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद अपने साधू संतों के साथ पहुंचे और जिला निर्वाचन आयोग के खिलाफ नारेबाजी करते हुए धरने पर बैठ गए। धरने पर बैठने की वजह उनके प्रत्याशी का नामंकन रद्द करना रहा। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में संत समाज ने उनके खिलाफ चुनावी ताल ठोकी थी।
प्रीति मिश्रा ने लगाया जिला अधिकारी पर पक्षपात का आरोप
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के शिकोहाबाद से आकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने की तम्मना लिए प्रीति मिश्रा महिला आरक्षण विधेयक की मांग कर रही है। प्रीती मिश्रा का नामांकन पत्र उन्होंने स्थानीय प्रशासन पर आरोप लगाते हुवे कहा कि उनका परचा एक साजिश के तहत सत्तारूढ़ दल ने मेरा परचा निरस्त करवाया है। उन्होंने आरोप लगाते हुवे कहा है कि मेरे पर्चे को निरस्त करने का कारण बताया गया कि आपके प्रस्तावको के अंगूठा निशान मैच नही कर रहे है। जबकि वास्तविकता यह है कि किसी प्रस्तावक को नामांकन स्थल पर अन्दर बुलाया ही नही गया था तो फिर अंगूठा निशान मैच करने अथवा न करने का क्या औचित्य बनता है।
प्रधानमंत्री अपनी हार निकट देख मेरा नामांकन रद्द करवाना चाहते है – बर्खास्त बीएसऍफ़ सिपाही तेज बहादुर यादव
तेज बहादुर यादव के तरफ से सवालो का जवाब देते हुवे अधिवक्ता राजेश यादव ने कहा कि एक तरफ जरनल वी के सिंह को चुनाव आयोग की तरफ से अनुमति चुनाव लड़ने की मिल जाती है जबकि उनके ऊपर सेना में करप्शन के चार चार्ज लगे है। वही सेना में करप्शन को उजागर करने वाले वीर सैनिक तेज बहादुर को बर्खास्त कर दिया जाता है। उस प्रकरण में हमने माननीय न्यायालय का सहारा लिया है और वाद विचाराधीन है। वही हमारे नामांकन के बाद प्रधानमंत्री को अपनी हार सामने दिखाई दे रही है। इस कारण हमारा नामांकन निरस्त करवाने का प्रयास हो रहा है। ये केवल तानाशाही है और हम तानाशाही का विरोध करते है।
परचा खारिजा केवल द्वेष भावना से – स्वामी अविमुक्तारेश्वरानंद
अखिल भारतीय राम राज्य परिषद के प्रत्याशी वेदांताचार्य श्रीभगवान बीएचयू से आचार्य की डिग्री ली है और वो चार बार गोल्ड मेडलिस्ट रहे हैं। आज उनका नामांकन तकनीकी कारणों से खारिज कर दिया गया। ये सूचना जब स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के पास पहुंची तो वो नाराज हो गए और फौरन जिला कलेक्ट्रेट पहुंचकर न सिर्फ विरोध दर्ज कराया, बल्कि धरने पर भी बैठ गए। वो अपने नामांकन के खारिज होने को राजनीतिक साजिश बता रहे हैं। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद गुस्से में कहते हैं कि जिन बातों को लेकर पर्चा खारिज़ किया जा रहा है वो कोई गलती है ही नहीं। सिर्फ पर्चा खारिज करना है इसलिए यह कमी निकाली गई है। इस बात को लेकर वह धरने पर बैठे हैं और कह रहे हैं कि जब तक उनकी बात नहीं सुनी जाएगी वह धरने से नहीं उठेंगे।
परचा खारिज करना है तो सिर्फ एक बहाना चाहिये – सैय्यद अली हुसैन
लखनऊ से राजनाथ सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ चुके सैयद अली हुसैन का परचा भी तकनिकी कमियों के कारण ख़ारिज कर दिया गया। उन्होंने कहा कि परचा ख़ारिज करने का सिर्फ एक बहाना चाहिये था और हमारा परचा ख़ारिज कर दिया गया है। हमारे पर्चे के कालम में सिर्फ एक कालम पर क्रोस लगा था जबकि चुनाव अधिकारी का कहना था कि यहाँ पर नहीं लिखा होना चाहिये। ये सिर्फ एक बहाना था हमारा परचा ख़ारिज करने का। स्थानीय प्रशासन केवल बहानो के आधार पर ही परचा ख़ारिज कर दे रहा है। जबकि जिस बारीकी से हमारे पर्चे पर तकनिकी कमी बताई गई है उसी बारीकी के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पर्चे की जाँच किया जाए तो उसमे भी ऐसी बारीक कमिया निकल आयेगी।
समाचार लिखे जाने तक स्वामी अविमुक्तारेश्वरानंद धरनारत है. साथ ही प्रतिदिन नियमानुसार वह मौन व्रत भी है. स्वामी अविमुक्तारेश्वरानंद सूर्यास्त से लेकर सूर्योदय तक मौन व्रत रहते है.
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