तारिक़ खान
प्रयागराज 2014 के मूल्यांकन के अनुसार इलाहाबाद में कुल मतदाताओं की संख्या 16 लाख 80 हजार से कुछ अधिक है, 2011 की जनगणना के अनुसार इलाहाबाद जिले की आबादी 59,54,390 है. लिंगानुपात 1000 पुरुषों पर 901 है और साक्षरता दर 72.3% है. इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र में कुल पांच विधानसभा सीटें हैं. इनमें मेजा, करछना, इलाहाबाद दक्षिण, बारा और कोरांव हैं. बारा और कोरांव विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित है. मौजूदा समय में इन पांच सीटों में से चार सीटों पर बीजेपी का कब्जा है और महज करछना सीट सपा के पास है, इस बार मत प्रतिशत 2014 के मुकाबले कम पड़ा, 2014 के 16वीं लोकसभा में जहाँ इलाहाबाद लोकसभा में मतदान 66.82 प्रतिशत था वहीँ इस बार इलाहाबाद में 50.83 प्रतिशत ही मतदान हुआ.!
समझिये जीत का आकड़ा.!
पांचो विधानसभा का आँखों देखा हाल
(1) शहर दक्षिणी के करेली, रसूलपुर, दरियाबाद, नैनी में मुस्लिम मतदाताओ ने 65% वोट गठबंधन प्रत्याशी को दिया वहीँ 35%मुस्लिमों ने कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में मतदान किया,
महापौर अभिलाषा गुप्ता को बीजेपी से टिकट ना मिलने से नाराज़ शहर दक्षिणी के केसरवानी, साहू, गुप्ता समाज के 27%लोगो ने बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस प्रत्याशी योगेश शुक्ला को वोट किया,
(2) कोरावं और करछना विधानसभा में सपा के कुंवर रेवती रमण और उनके पुत्र उज्वल रमण को टिकट ना दिये जाने से नाराज़ उनके मतदाताओ ने बीजेपी को जीत से रोकने के लिये कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया, इन छेत्रों के बड़े ब्राह्मण वोट बैंक योगेश के साथ गये.!
(3) बारा और मेजा विधानसभा ब्राह्मण बहुल है
यहाँ बीजेपी के पूर्व विधायक उदयभान करवरिया जी का मतदाताओं पर अच्छी पकड़ है, उदयभान 2 बार बारा से विधायक भी रहे हैं, उनकी पत्नी नीलम करवरिया जी वर्त्तमान समय में मेजा से विधायक हैं और इलाहाबाद लोकसभा से बीजेपी टिकट आवेदक भी रही हैं, उनके समर्थक और मतदाओं को तब निराशा हुई जब टिकट नीलम की जगह रीता जोशी को दिया गया.!
यहाँ के ब्राह्मणों ने खुलकर बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस को वोट किया, वहीँ सपा प्रत्याशी राजेंद्र पटेल को चुनाव हराने में खुद उनके परिवार के सदस्य लगे थे.!
कुल मिलाकर कांग्रेस प्रत्याशी को सभी वर्गों ने वोट किया , शहर में 14% मतदाता रहते हैं और ग्रामीण इलाके में 86% ऐसे में हार जीत का फैसला ग्रामीण इलाके के मतदाताओं पर निर्भर है ।।
लेकिन सबसे जादा नुकसान बीजेपी का हुआ
जिसको उनकी ही पार्टी के लोगो ने खुलकर हरवाने में कोई कसर नहीं छोड़ी ।।
लड़ाई सीधे कांग्रेस vs गठबंधन है.!
हार जीत का अंतर बहुत कम होगा.!!
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