तारिक खान
प्रयागराज, । राजकीय माध्यमिक स्कूलों में एलटी ग्रेड शिक्षकों की भर्ती के लिए उप्र लोकसेवा आयोग (यूपीपीएससी) से हुई परीक्षा में धांधली और प्रश्नपत्र लीक के मामले को बड़ी साफगोई से छिपाने की कोशिश आखिर सरेआम हो गई। यूपी एसटीएफ की मंगलवार को वाराणसी में हुई कार्रवाई यूपीपीएससी का चेहरा बेनकाब कर सकती है। गिरोह के सरगना से मिली जानकारी अगर पुख्ता साबित हुई तो परीक्षा व्यवस्था से जुड़े अधिकारियों की गिरफ्तारी भी तय है। हालांकि सरगना से मिली जानकारी में कितना दम है इसकी तस्वीर जल्द ही सामने आएगी।
यूपीपीएससी ने 10768 पदों पर एलटी ग्रेड शिक्षकों की भर्ती के लिए लिखित परीक्षा प्रदेश के 39 जिलों में 29 जुलाई 2018 को कराई थी। यह परीक्षा योगी सरकार की परिषदीय स्कूलों में 68500 सहायक अध्यापक भर्ती के बाद दूसरी सबसे अहम मानी गई थी। लेकिन, एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा में नकल माफिया ने सेंधमारी कर दी। लिखित परीक्षा शुरू होने से पहले ही एसटीएफ ने प्रयागराज में सॉल्वर गिरोह को दबोच लिया था। इस गिरोह से जो प्रश्नपत्र बरामद हुआ उसका असल प्रश्नपत्र से मिलान किया गया। सचिव जगदीश ने उसी दिन दावा किया था कि प्रश्नपत्र तो फर्जी निकला लेकिन, उसकी बनावट और कोड को ऐसे डिजाइन किया था जो देखने में असली प्रतीत हो रहा था।
फिलहाल परीक्षा तो सभी जिलों में संपन्न करा ली गई लेकिन, इसके बाद अभ्यर्थियों के एक समूह ने धांधली का हो हल्ला मचाना शुरू कर दिया। कई दिनों तक आंदोलन चला जिसमें यहां तक कहा गया कि सॉल्वर गिरोह से जो प्रश्नपत्र मिला था उसे यूपीपीएससी सार्वजनिक नहीं कर रहा है।
मंगलवार को वाराणसी में प्रिंटिंग प्रेस के मालिक कोलकाता निवासी कौशिक कुमार को पकड़ लिए जाने और एसटीएफ को उससे मिली जानकारी ने परीक्षा ही नहीं बल्कि यूपीपीएससी की गोपनीयता और परीक्षा के प्रति संजीदगी पर भी बड़े सवाल खड़े किए हैं।
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