आसिफ रिज़वी
मऊ, 06 मई 2019 – राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत जनपद में डेंगू एवं अन्य वेक्टरजनित रोगों के बचाव व नियंत्रण एवं वर्ष पर्यंत प्रभावी रोकथाम हेतु समस्त विभाग एवं अंतर्विभागीय समन्वय समिति की बैठक गत दिवस देरी संध्या को कलेक्ट्रेट लोकसभागार में जिलाधिकारी श्री ज्ञानचंद त्रिपाठी की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। बैठक में सभी विभाग के पदाधिकारियों को डेंगू एवं अन्य वेक्टर जनित रोगों से बचाव हेतु बेहतर कार्ययोजना बनाए जाने के लिए निर्देश दिये गए और सभी विभागों को अपने-अपने क्षेत्र से जुड़े कार्यभार को सौंपा गया। यह जानकारी मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. सतीश चंद्र सिंह द्वारा प्रदान की गयी।
मलेरिया निरीक्षक रमेश यादव ने बताया कि जिलाधिकारी ने समस्त विभागों को मानसून से पहले साफ-सफ़ाई सुनिश्चित करने एवं कहीं भी पानी न इकठ्ठा होने की परिस्थिति पैदा होने के लिए निर्देश दिये। बैठक में बताया गया कि डेंगू एवं अन्य वेक्टर जनित रोगों से बचाव एवं रोकथाम के लिए अधिक से अधिक लोगों में जागरूकता लायी जाए और डेगू की रोकथाम के लिए “क्या करें और क्या न करें” के बारे में बताया जाए। शुद्ध पेयजल या पानी उबाल के पियें। नगरीय एवं ग्रामीण इलाकों में पेयजल स्रोतों एवं संसाधनों से शौचालयों के सीवर को दूर रखने के लिए निर्देश दिये गए। तालाब और नालियों की नियमित सफाई के लिए, फॉगिंग की व्यवस्था कराने के लिए, संक्रमण और प्रदूषण की उत्तरदायी खुली नालियों को ढक कर रखने के लिए निर्देश दिये गए।
वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डा. जितेन्द्र कुमार ने बताया कि डेंगू एडीज़ मादा मच्छर के काटने से फैलता है और ये मच्छर साफ रुके हुये पानी में पनपते हैं इसलिए आवश्यक है कि घरों में कूलर, गमले के नीचे जमा पानी, टायरों, छत और खाली पत्रों में जमा हुये पानी को हर हफ्ते खाली कर्ण चाहिए जिससे मच्छर का लार्वा न पनप सके। डेंगू का इलाज समय पर करना बहुत जरुरी है यदि समय से इलाज न किया गया तो जान जाने का खतरा भी हो सकता है। डेंगू के बुखार को “हड्डीतोड़ बुख़ार” के नाम से भी जाना जाता है।
उन्होने बताया कि इससे पीड़ित लोगों का बदन टूटता है और अधिक दर्द होता है। डेंगू बुख़ार के कुछ लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, त्वचा पर लाल चकत्ते तथा मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द शामिल होता है। कुछ लोगों में, डेंगू बुख़ार के एक या दो ऐसे रूप हो जाते है जिसमे मरीज की जान को खतरा रहता है। पहला, डेंगू रक्तस्रावी बुख़ार है जिसके कारण रक्त ले जाने वाली नलिकाओं में रक्तस्राव या रिसाव होता है जिससे प्लेटलेट्स का स्तर कम धीरे-धीरे कम होने लगता है। दूसरा डेंगू शॉक सिंड्रोम है, जिससे खतरनाक रूप से निम्न रक्तचाप होता है। उन्होने बताया कि इस प्रकार के सभी लक्षण दिखते ही नजदीक के स्वास्थ्य केंद्र में जाकर सपूर्ण इलाज कराएं। वहीं जनपद के सभी प्राथमिक एवं स्मौदायिक स्वास्थ्य केंद्र तथा जिला अस्पताल में नि:शुल्क इलाज की सुविधा उपलब्ध है।
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