तारिक आज़मी
वाराणसी लोकसभा सीट पर भाजपा को जहा कांग्रेस और गठबंधन से मिल रही चुनौतियों से दो चार होना पड़ रहा है वही एक और चुनौती भी सामने है। यह वह प्रत्याशी है जिसकी शक्ल तो आज तक किसी ने नही देखा है मगर साल 2013 से लेकर 2017 तक 1 करोड़ 37 लाख बार देश के जनता ने इसको अपना प्रत्याशी माना है। इसका नाम है नोटा। देश में मात्र चार साल में नोटा अपनी पकड़ बना चूका है। और लोगो ने इसको वोट दिया है। सिर्फ अकेले 2014 के लोकसभा चुनाव में तकरीबन 60 लाख लोगों ने नोटा का बटन दबाया था। मध्य प्रदेश, राजस्थान के विधानसभा चुनाव में तो नोटा ने कई सीट पर बीजेपी के गणित को ही बिगाड़ दिया था।
ये लोग सिर्फ अपने ही इलाके में नहीं बल्कि उन इलाकों में भी गए थे, जहां इस तरह का समान दर्द मिला है। इनमें एक माझी समाज भी है। क्योंकि माझी समाज भी इन पांच सालों में अपने रोज़ी रोटी को लेकर बराबर संघर्ष करता रहा है। कभी गंगा में क्रूज को लेकर तो कभी गंगा में जेटी लगाने के मुद्दे को लेकर। उनकी इस नाराज़गी को अपने तरफ करने के लिए भी नोटा के समर्थक लोग उनसे संपर्क में रहे थे।
यही नही सरकारी नौकरी छोड़ कर समाज सेवा का रास्ता अपनाने वाले अजय सिंह ने भी आज वाराणसी में चुनावी हेतु नोटा का प्रचार प्रसार किया। बताते चले कि अजय सिंह पहले सरकारी नौकरी करते थे। इसके बाद विगत कई वर्षो से वह नौकरी छोड़ कर समाजसेवा करने में लगे है। इस प्रकार अगर नोटा का प्रयोग हुआ तो सभी अंक गणित फेल होते दिखेगे।
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