आफताब फारुकी
अमरीकी रक्षामंत्रालय ने कहा है कि अफ़ग़ानिस्तान में आतंकवादी गुटों की उपस्थिति, अमरीका और तालेबान के बीच जारी वार्ता का भाग्य निर्धारित करेगी। पेन्टागन के आप्रेश्न फ़्रिडम सेन्टीनयल के लीडर इस्पेक्टर जनरल की रिपोर्ट में मार्च 31 को समाप्त होने वाली त्रिमासिक रिपोर्ट की समीक्षा की गयी और पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान में दोनों देशों में आतंकवादी गुटों की गतिविधियों को देखा गया।
रिपोर्ट में अफ़ग़ानिस्तान के हवाले से अमरीकी चिंताओं पर रोशनी डालते हुए कहा गया है कि शांति के लिए जारी वार्ता में यह सवाल बहुत ही महत्वपूर्ण है कि क्या तालेबान इन गुटों पर प्रभाव डालने में मदद करने और उन्हें शरण देने से इन्कार कर सकेता है जिस सीमा तक अमरीका की आतंकवाद निरोधक उपस्थिति की आवश्यकता है। इस बारे में अमरीका और अफ़ग़ान अधिकारियों का कहना है कि अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान में कम से कम 20 आतंकवादी गुट मौजूद हैं।
इसके अलावा उक्त रिपोर्ट में इस बात का अनुमान भी लगाया गया है कि क्षेत्र में मौजूद इन आतंकवादी संगठनों में कितने लड़ाके हो सकते हैं। रिपोर्ट के अनुसार इनमें से अधिकतर गुटों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहुंच बनाने या पनपने का अवसर हासिल नहीं, उदाहरण स्वरूप पाकिस्तान तहरीके तालेबान जो एक बड़ा आतंकवादी गुट है, का ध्यान पाकिस्तानी सरकार के विरुद्ध युद्ध करने पर केन्द्रित है।
रिपोर्ट में दिए गये अंदाज़ों के अनुसार दाइश ख़ुरासान, हक़्क़ानी नेटवर्क और पाकिस्तान तहरीके तालेबान, क्षेत्र के तीन सबसे बड़े गुट हैं जिनमें 3 हज़ार से 5 हज़ार लड़ाके हैं। इनके बाद इस्लामिक इमारात हाई काउंसिल चौथा बड़ा गुट है जिसमें एक हज़ार लड़ाके शामिल हैं जबकि अलक़ायदा जो अफ़ग़ानिस्तान में अमरीका के हमले से पहले सबसे मज़बूत गुट था अब केवल 300 लड़ाकों तक सीमित हो गया है।
इसके साथ ही इस्लामिक मूवमेंट आफ़ उज़्बेकिस्तान और लश्करे तैबा के पास भी लगभग 300 लड़ाके हैं। तारिक़ गेडर ग्रुप में 100 से 300 के बीच लड़ाके, जमाअते अहरार के 200, इस्लाम तुर्कमनिस्तान मूवमेंट में 100, इस्लामिक जेहाद यूनियन में 25 और जमाअतुद्दावा क़ुरआन में भी 25 लड़ाके शामिल हैं।
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