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तारिक आज़मी की मोरबतियाँ – दालमंडी के व्यापारी थानेदार से करे गुहार, अतिक्रमण किये दबंग की इस गुमटी को हटवा दे सरकार, बोले थानेदार – फ़ोर्स ही नहीं है हमारे पास…..

तारिक आज़मी.

वाराणसी. अगर अतिक्रमण की बात करे तो शहर का शायद ही ऐसा कोई इलाका होगा जहा अतिक्रमण नही हो। इस सबके बीच अगर अतिक्रमण से किसी इलाके का दम घुटना अब शुरू हो चूका है तो वह है वाराणसी के कोतवाली थाना अंतर्गत विशेश्वरगंज और चौक थाना अंतर्गत दालमंडी। आज पहले हम उस इलाके दालमंडी के अतिक्रमण की बात करेगे जिसके लिए व्यापारी वर्ग ने लिखित शिकायत उच्चाधिकारियों से लेकर थानेदार साहब तक को दिया है मगर सुनवाई नही हो पा रही है। दूसरा इलाका विशेश्वरगंज तो थोडा और विचित्र स्थिति में है क्योकि यहाँ अतिक्रमण करने वालो के खिलाफ शिकायत करने पर तत्कालीन मंडी व्यापारी संघ के अध्यक्ष को ही हटा दिया गया था। अब जो अध्यक्ष बने है वो अतिक्रमणकरियो के पाले से ही उभर कर अध्यक्ष बने है।

खैर साहब दालमंडी का रुख करते है। पूर्ववर्ती थाना प्रभारी चौक ने अतिक्रमण पर अपनी नकेल कसा था और अतिक्रमण मुक्त दालमंडी को करवाने के लिए कार्यवाही किया था। छिटपुट विरोध के बीच सबसे बड़ा समर्थन वहा के व्यापारी वर्ग का पुलिस प्रशासन को मिला था। इसका कारण था कि अतिक्रमण से कही न कही उनके कारोबार ही प्रभावित हो रहे थे। इस अतिक्रमण के कारण दालमंडी इलाके में चलना दुश्वार हो रहा था। व्यापारी खुश इस कारण थे कि उनका कारोबार बढेगा। इस कारोबार के लिए वह अपना दिन रात मेहनत करते है और कारोबार अतिक्रमण के भेट चढ़ जाता है। अतिक्रमण के कारण दालमंडी क्षेत्र में होने वाली भीड़ से बचने के लिए वहा पाश इलाके के बायर नही आ पाते थे। इन खरीदारों के द्वारा बड़ी खरीदारी आस पास की मार्किट से होने लगी थी

यही एक वजह थी कि ९९ प्रतिशत कारोबारी इस अतिक्रमण अभियान से खुश थे। उनका सोचना ये था कि दालमंडी के रास्ते चौड़े हो जायेगे, पार्किंग की जगह बन जायेगी तो जो खरीदार मार्किट में आने से घबराते है वह खरीदार गाडियों को पार्क करके आराम से मार्किट में आना शुरू हो जायेगे। इस दौरान पुलिस को पहले एक दो बार तो हलके विरोध का सामना करना पड़ा था मगर उसके बाद दुकानदारो के तरफ से खुद उनको समर्थन मिलने लगा था।

दालमंडी में चला था कभी अतिक्रमण अभियान

समय गुज़रता गया, चौक थाने की गद्दीनशीनी बदलती गयी और नये थानेदार आते गए। इस दौरान अतिक्रमण अभियान को ब्रेक इस समय से ठीक पूर्वर्ती थाना प्रभारी के समय लगा। उस समय तो स्थिति थोडा नियंत्रित रही क्योकि दालमंडी चौकी इंचार्ज जमीलुद्दीन खान दालमंडी की रग पकडे हुवे थे। उनके कारखास के द्वारा दालमंडी क्षेत्र में दिन में तीन बार चस्पा चालान अभियान चलाया जाता था। इस अभियान में कारख़ास नोमान नाम के सिपाही के द्वारा बिना किसी दबाव के चालान काट दिया जाता था। एक बार तो इस सिपाही ने मेरे खुद के बाइक का जो दालमंडी में बेतरतीब खडी हो गई थी का चालान काट दिया गया था। मैं इस कार्य से तनिक भी उत्तेजित नही था बल्कि मैं इसका पक्षधर हु कि बिना किसी दबाव के उसने मेरी गाड़ी का भी चालान काट दिया था जिसको मैंने खुद 100 रूपये देकर थाने से छुड्वाया था। कुछ लम्हों के लिए ये एक मज़ाक का मसला था मगर इलाके में कानून राज हेतु यह कदम सराहनीय था। मैं आज भी उसके इस कार्य की सराहना करता हु।

दालमंडी के व्यापार मंडल द्वारा दिली अतिक्रमण की लिखित शिकायत

परन्तु जमीलुद्दीन के स्थानांतरण के बाद से इस इलाके में एक बार फिर से अतिक्रमण ने अपना कब्ज़ा जमा लिया है। अब तो स्थिति ऐसी हो चुकी है कि स्थानीय दुकानदारों द्वारा अतिक्रमण के खिलाफ लिखित शिकायत करने के बावजूद अतिक्रमण नही हट रहा है। ताज़ा मामला दालमंडी के एक कथित बाहुबली और दबंग द्वारा भवन संख्या सीके 43/164 गोविन्दपुरा के सामने दो गुमटी क्रमशः 4 फिट और 9 फिट की रखकर अवैध अतिक्रमण के सम्बन्ध में है। क्षेत्रीय नागरिको और व्यापारियों ने इस अतिक्रमण का विरोध करना चाहा तो कहा जाता है कि दबंग द्वारा अपने बल से विरोध को दबा दिया गया। एक क्षेत्र के कथित पत्रकार का संरक्षण प्राप्त अतिक्रमणकारी का हौसला कितना बुलंद होगा की दो पख्वाते पहले क्षेत्र के व्यापारियों ने इसकी लिखित शिकायत थाना स्थानीय से और उच्चाधिकारियों से किया मगर आज तक अतिक्रमण नही हटाया गया है।

मामले के गहराई में जाने से मालूम हुआ है कि अतिक्रमणकारी क्षेत्र में अपनी दबंगई के कारण नाम कमा रखे है। क्षेत्रीय नागरिको की चर्चोओ को आधार माने तो क्षेत्र में इस इलाके में एक बार फिर सट्टा कारोबार ने इसके भरोसे सर उठाना शुरू कर दिया है। लगभग 20 वर्षो से चलने वाले इस सट्टा कारोबार पर बड़ी मुश्किल के बाद तत्कालीन चौकी इंचार्ज दालमंडी जमीलुद्दीन और थाना प्रभारी तथा क्षेत्राधिकारी ने नियंत्रण पाया था और इलाके से सट्टा कारोबारियों को खदेड़ दिया था। इसके बाद बंद हुवे सट्टे के कारोबार को दुबारा उभरने का मौका मिल चूका है।

इस सम्बन्ध में स्थानीय व्यापारियों ने बताया कि अतिक्रमण की शिकायत पर थानेदार ने कहा है कि हमारे पास अभी फ़ोर्स नही है। जैसे ही फ़ोर्स आती है वैसे अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चलाया जाएगा। वैसे फ्लैश बैक में अगर जाया जाए तो दालमंडी में इसके पहले चले अतिक्रमण अभियान में फ़ोर्स बहुत ज्यादा नही रहती थी। मुझको भली भाति याद है कि तत्कालीन थाना प्रभारी अपनी जीप से इसी रास्ते से दोपहर और शाम को गुज़रते थे। उन्होंने कह रखा था कि किसी अतिक्रमण से अगर मेरी गाडी रुकी तो कार्यवाही होगी। इसके कारण अतिक्रमंकरियो ने खुद ही अपने अतिक्रमण को हटा लिया था। दुकानदारों ने भी इस कार्यवाही का समर्थन करते हुवे कहा था कि इससे हमारे कारोबार को तरक्की मिलेगी मगर कुछ एक ऐसे भी थे जो अतिक्रमण को अपना अधिकार समझते थे। अब देखना होगा कि थानेदार चौक इसके ऊपर क्या कार्यवाही करते है। क्या दबंग की गुमटी हटवा कर नजीर कायम करते है अथवा मामला ठन्डेबसते में चला जाता है।

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