तारिक आज़मी
वाराणसी। प्रयागराज के बाहूबलि नेता अतीक अहमद का परचा जांच के पैमाने पर खरा उतरा है। उनका नामांकन रद्द न होना विपक्ष के कई सवालो का भले ही सबब बना हो मगर दूसरी तरफ के सूत्रों से आ रही खबर और भी रोचक है। अतीक अहमद जिनको सर्वोच्च न्यायालय ने गुजरात जेल भेजने का फैसला दिया है, वह अपना नामांकन वापस ले सकते है।
सूत्रों के अनुसार प्राप्त इस समाचार पर अगर गौर किया जाये तो इसका मतलब साफ़ साफ़ और सीधा सा बनता है कि अतीक अहमद अपनी ज़मानत के लिए यह चुनाव लड़ना चाहते है। इतिहास के झरोखे से देखा जाए तो वाराणसी लोकसभा चुनाव 2009 में मऊ सदर के बाहुबली विधायक मुख़्तार अंसारी ने लोकसभा चुनाव मुरली मनोहर जोशी के खिलाफ जेल में रहते हुवे लड़ा था। अब अगर अतीक को चुनाव लड़ना ही था तो वह जेल में रहकर चुनाव लड़ सकते थे। मगर शर्त जो निकल कर सामने आ रही है वह यह है कि अगर अदालत ने अतीक को ज़मानत दिया तभी वह चुनाव लड़ेगे अन्यथा नही लड़ेगे और परचा वापस ले लेंगे। इससे यह साफ़ होता है कि अतीक अहमद ने ज़मानत पाने और गुजरात जेल न जाने के उद्देश्य से नामांकन कियी थे। अब देखना होगा कि उच्च न्यायालय क्या अतीक के चुनाव लड़ने की इच्छा देखते हुवे उनको ज़मानत देता है अथवा नही देता है। शायद पिक्चर अभी बाकी है।
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