अनीला आज़मी
वाराणसी में प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ प्रयागराज के बाहुबली अतीक अहमद का नामांकन चर्चा का विषय रहा। उसके बाद नामांकन सही पाया जाना और उसको शिवपाल द्वारा टिकट न दिया जाना भी चर्चा का विषय रहा है। मगर इन चर्चोओ के बीच वाराणसी प्रशासन के सामने एक प्रश्न होना चाहिये वह गायब दिखाई दे रहा है।
अतीक अहमद न तो किसी दल के सदस्य है न ही वह सामाजिक संगठन किसी प्रकार का चलाते है। अतीक अहमद गंभीर मामलो में जेल के अन्दर है। वाराणसी में उनका नामांकन हुआ और उनके वकील तथा परिवार के अन्य सदस्यों ने आकर उनका नामांकन पत्र दाखिल किया। नामांकन पत्र जांच में सही पाया गया इससे यह ज़ाहिर होता है कि एक सेट में भरे गए नामांकन में कुल दस प्रस्तावक भी पाए गए और सही पाए गए। मामला अब पुलिस प्रशासन का देखने वाला होगा है। आकडे बताते है कि अतीक अहमद का नेटवर्क कभी बनारस तक नही रहा है। वही दूसरी तरफ अतीक को दस प्रस्तावक मिल जाना दो मुद्दों के तरफ ध्यान अपना खीच रहा है।
पहला मुद्दा ये है कि आखिर अतीक अहमद को प्रस्तावक कहा से मिले। क्या बनारस में अतीक अहमद का नेटवर्क फैला है। अगर ऐसा है तो प्रशासन के लिए यह चिंता का विषय हो सकता है। वही दूसरा मुद्दा है कि अतीक अहमद के अगर प्रस्तावक उसके अपने नेटवर्क के लोग है तो फिर यह और सोचनीय विषय है। कही न कही शहर में अपराध सर उठा सकता है।
वही अगर दूसरा पहलू देखे कि प्रस्तावक उसके अपने नेटवर्क की टीम के नही है तो फिर एक और जाँच का विषय है कि क्या प्रस्तावको को धमकी अथवा पैसे देकर उनको प्रस्तावक बनाया गया है। खैर यह मामला पुलिस जाँच का है, हमारा प्रयास है कि देश सुरक्षित रहे।
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