तारिक आज़मी
नई दिल्ली : राफेल डील के सम्बन्ध में सुप्रीम कोर्ट में दाखिल पुनर्विचार याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में आज केंद्र सरकार ने एक बार फिर हलफनामा दाखिल करके गुहार लगाया है। सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर सरकार ने कहा है कि डील के सम्बंधित गोपनीय दस्तावेजों के सार्वजनिक करने पर देश के अस्तित्व को खतरा हो सकता है। बताते चले कि सुप्रीम कोर्ट राफेल डील को लेकर दाखिल पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है।
हलफनामे में सरकार ने कहा कि राफेल पुनर्विचार याचिकाओं के जरिए सौदे की चलती- फिरती जांच की कोशिश की गई। मीडिया में छपे तीन आर्टिकल लोगों के विचार हैं ना कि सरकार का अंतिम फैसला। ये तीन लेख सरकार के पूरे आधिकारिक रुख को व्यक्त नहीं करते हैं। केंद्र ने कहा कि ये सिर्फ अधिकारियों के विचार हैं जिनके आधार पर सरकार कोई फैसला कर सके। सीलबंद नोट में सरकार ने कोई गलत जानकारी सुप्रीम कोर्ट को नहीं दी।
केंद्र सरकार ने हलफनामे में कहा है कि कैग ने राफेल के मूल्य संबंधी जानकारियों की जांच की है और कहा है कि यह 2.86% कम है। केंद्र सरकार ने कहा कि कोर्ट जो भी मांगेगा सरकार राफाल संबंधी दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए तैयार है। राफेल पर पुनर्विचार याचिकाओं में कोई आधार नहीं हैं, इसलिए सारी याचिकाएं खारिज की जानी चाहिए। अब कोर्ट इस मामले में सोमवार यानी 6 मई को सुनवाई करेगा।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि वो द हिंदू में छपे रक्षा मंत्रालय के गोपनीय दस्तावेजों पर भरोसा कर उनके आधार पर सुनवाई करेगा। बता दें कि ये याचिकाएं यशवंत सिन्हा, अरूण शौरी और प्रशांत भूषण के अलावा मनोहर लाल शर्मा, विनीत ढांडा और आप सासंद संजय सिंह ने दाखिल की है। सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की बेंच ने केंद्र की प्रारंभिक आपत्ति को खारिज कर दिया था कि ये दस्तावेज विशेषाधिकार प्राप्त हैं और कोर्ट इन्हें नहीं देख सकती।
बताते चले कि विपक्ष केंद्र सरकार पर इस डील में बड़े घोटाले का लगातार आरोप लगा रहा है। इस सम्बन्ध में सबसे पहली आवाज़ इसके विरोध में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने उठाई है। राहुल गांधी अक्सर अपने बयान में आज भी कहते है कि राफेल डील में चौकीदार (प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी) ने चोरी किया है और चोरी करके बड़ा फायदा अपने मित्र अनिल अम्बानी को पहुचाया है। वही इस प्रकरण में कैग ने जो रिपोर्ट पेश किया था उसके ऊपर भी सभी विपक्षी दलों ने और निष्पक्ष पत्रकारों ने सवाल खड़े किये थे। सुविख्यात पत्रकार रविश कुमार ने तो अपने ब्लाग में यहाँ तक लिख दिया था कि कैग की ये रिपोर्ट पढने के लिए इंजीनियरिंग में एडमिशन लेकर तीन बार फेल होना पड़ेगा। वही दूसरी तरफ अब विपक्ष इस हलफनामे पर भी हमलावर होने के मूड में दिखाई दे रहा है।
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