संजय ठाकुर
मऊ, 20 जून 2019- बिहार के मुजफ्फरपुर और उसके आसपर के जिलों में संचारी रोग एक्यूट इन्सेफ्लाईटिस सिंड्रोम (एईएस) यानि दिमागी बुखार के कहर को देखते हुए स्वाथ्य विभाग के समस्त चिकित्सा अधिकारियों एवं पैरामेडिकल स्टाफ के आकस्मिक अवकाश निरस्त कर दिये गए हैं वहीं समस्त मानव संसाधन की उपस्थिति सुनिश्चित की जाए, इसके लिए पीआईसीयू (पीडियाट्रिक ईंटेंसिव करे यूनिट), मिनी पीआईसीयू एवं इन्सेफ्लाईटिस ट्रीटमेंट सेंटर को 24 घंटे क्रियाशील रखा जाए। यह आदेश जिलाधिकारी ज्ञान प्रकाश त्रिपाठी सख्ती बरकते हुये दिया गया।
सीएमओ डॉ सतीशचन्द्र सिंह ने बताया कि जिलाधिकारी की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट सभागार में बैठक के दौरान ए.ई.एस./जे.ई. एवं हीटस्ट्रोक रोगों से बचाव, निदान एवं उपचार के दृष्टिगत कई कार्यवाही, प्राथमिकता देते हुये स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिए गए। ऐसी स्थिति में आशा कार्यकर्ताओं द्वारा बुखार ग्रस्त रोगियों के घर-घर जाकर एक्टिव केस सर्च (फीवर ट्रैकिंग) किया जाए, रैपिड रिस्पांस टीम (आरआरटी) तथा हेल्पलाइन नंबर (0547-2223286) को सक्रिय रखा जाए एवं मीडिया व अन्य सूत्रों से सूचना प्राप्त होने पर तत्काल कार्रवाई की जाए। वहीं किसी भी आपात स्थिति में एपिडेमियोलोजिस्ट रविशंकर ओझा 9454502696 पर सम्पर्क किया जा सकता है।
सीएमओ ने आगे बताया कि जिलाधिकारी का निर्देश है कि सभी उपचार केंद्रों पर फीवर हेल्प डेस्क अनिवार्य रूप से स्थापित किए जाएं तथा बुखार के सभी रोगियों को तत्काल प्राथमिक उपचार की व्यवस्था निकटतम स्वास्थ्य केंद्र पर 24 घंटे उपलब्ध कराई जाए। संभावित एईएस/जेई के रोगियों की सभी जाचें जिनमें जेई, स्क्रब टाईफस, डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया आदि सम्मिलित हों, अवश्य कराई जाए। संभावित एईएस के रोगियों को दिशा निर्देशों के अनुसार दवाइयाँ उपलब्ध कराई जाएं। उमस भरी गर्मी के कारण हीट स्ट्रोक से प्रभावित रोगियों के संबंध में प्राथमिक उपचार का महत्व देखते हुए व्यापक प्रचार-प्रसार कराया जाए। सभी बैठकों इत्यादि में अधिकारियों, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं एवं जनसामान्य को संचारी रोगों से बचाव हेतु “क्या करें-क्या न करें” पर विस्तृत चर्चा की जाए।
जिला मलेरिया अधिकारी जितेन्द्र कुमार यादव ने बताया कि संक्रामक रोग किसी न किसी रोगजनित कारकों या रोगाणुओं जैसे प्रोटोज़ोआ, कवक, जीवाणु, वाइरस इत्यादि के कारण होते हैं। यह वायरस एक शरीर से अन्य शरीर में फैलते हैं और बीमारियाँ पैदा करते हैं। मलेरिया, टायफायड, चिकनगुनिया, डेंगू, दिमागी बुखार, इन्फ्लुएन्जा आदि संक्रामक रोगों के ही उदाहरण हैं। उन्होंने बताया कि संचारी रोगों से जागरूकता और स्वच्छता ही इसका सबसे बेहतर उपाय है जिससे बीमारियों को फैलने से रोका जा सकता है। उन्होंने कहा कि यदि कोई व्यक्ति संचारी रोग से ग्रसित हो जाता है तो प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, जिला अस्पताल में सम्बंधित रोग विशेषज्ञ व डाक्टर को दिखाएँ और उनके सलाहनुसार दवा लें।
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