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छः माह के बाद बच्चे को दे माँ के दूध के साथ दें पूरक आहार,स्वस्थ जीवन का बनेगा आधार

संजय ठाकुर

मऊ, 01 जून 2019- बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए शुरू के 1000 दिन यानि गर्भकाल के 270 दिन और बच्चे के जन्म के दो साल (730दिन) तक का समय बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। इस दौरान पोषण का खास ख्याल रखना बहुत ही जरूरी होता है क्योंकि इस दौरान हुआ स्वास्थ्यगत नुकसान पूरे जीवन चक्र को प्रभावित कर सकता है। सही पोषण से संक्रमण, विकलांगता,बीमारियों व मृत्यु की संभावना को कम करके जीवन में विकास की नींव रखता है। माँ यदि बच्चे को सही पोषण उपलब्ध कराएं तो बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी और बच्चा स्वस्थ जीवन जी सकेगा।

बच्चे के सही पोषण के बारे में जागरूकता के लिए ही आंगनवाड़ी केन्द्रों पर बचपन व अन्नप्राशन दिवस का आयोजन किया जाता है,जिसमें बच्चा 6 माह की आयु पूरी होने पर पहली बार अन्न चखता है। बचपन दिवस आयोजित करने का मुख्य उद्देश्य बच्चों के पोषण स्तर में सुधार लाना है ताकि शिशु स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जा सके, कुपोषण को मिटाया जा सके तथा शिशु मृत्यु दर में कमी लायी जा सके। बचपन दिवस पर 6 माह की आयु पूरी किए गए बच्चों का अन्नप्राशन किया जाता है, उक्त माह में पड़ने वाले बच्चों का जन्म दिवस मनाया जाता है तथा माँ व परिवार वालों को पोषण,स्वच्छता एवं पुष्टाहार आदि के बारे में परामर्श दिया जाता है।

आंगनवाड़ी केन्द्रों पर अन्नप्राशन हर माह की 20 तारीख को मनाया जाता है। इस कार्यक्रम को आयोजित करने का मुख्य उद्देश्य होता है कि बच्चे को समय से पूरक आहार की शुरुआत करना क्यूंकि 6 माह तक बच्चा सिर्फ माँ का दूध पीता है। इस अवसर पर माँ व परिवार को माँ के दूध के साथ अर्द्ध ठोस व ठोस आहार के बारे में जागरूक किया जाता है। इसके साथ ही इस दिन आंगनवाड़ी कार्यकर्ता चार रंग के खाद्य पदार्थों (पीला,हरा,लाल और सफ़ेद) को बच्चों को खिलाने, स्थानीय स्तर पर उपलब्ध मौसमी फल व सब्जियों के सेवन, पौष्टिक पदार्थ जैसे गुड़, सहजन चना आंवले के बारे में परामर्श दिया जाता है। साथ  अनुपूरक पोषाहार जैसे- लड्डू प्रीमिक्स, नमकीन एवं मीठी दलिया से बन ने वाले स्वादिष्ट व्यंजनों के बारे में जानकारी दी जाती है एवं उनका प्रदर्शन किया जाता है।

जब बच्चा 6 माह अर्थात 180 दिन का हो जाता है तब स्तनपान शिशु की पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं होता है। इस समय बच्चा तीव्रता से बढ़ता है और उसे अतिरिक्त पोषण की आवश्यकता होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार नवजात शिशु को स्तनपान के साथ-साथ 6 माह की आयु पूरी होने के बाद पूरक आहार शुरू कर देना चाहिए।

पूरक आहार को 6 माह के बाद ही शुरू करना चाहिए क्योंकि यदि पहले शुरू करेंगे तो यह माँ के दूध का स्थान ले लेगा जो कि पौष्टिक होता है। बच्चे को देर से पूरक आहार देने से उसका विकास धीमा हो जाता है या रुक जाता है तथा बच्चे में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी होने की संभावना बढ़ जाती है और वह कुपोषित हो सकता है।

आरती परदहा ब्लाक बैजापुर ग्राम की आंगनवाड़ी कार्यकर्ता बताती हैं कि वे और आशा घर भ्रमण कर यह सुनिश्चित करती हैं कि बचपन दिवस व अन्नप्राशन दिवस पर दिए गए संदेशो को व्यवहार में लाया जा रहा है या नहीं, वे उन्हें प्रेरित भी करती है ताकि मातृ एवं शिशु म्रत्यु दर मैं कमी लायी जा सके तथा स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जा सके।

प्रतिभा राय ( आशा – बैजापुर – ब्लाक परदहा )  बताती हैं कि वह अपने क्षेत्र की महिलाओं को केवल स्तनपान व पूरक आहार के बारे में बताती हैं तथा घरों में जाकर यह भी देखती हैं  कि वे सलाह पर अमल कर रहीं हैं या नहीं।

महिला अस्पताल मऊ के डॉ. सुरेन्द्र राय बाल रोग विशेषज्ञबताते हैं कि स्तनपान के साथ-साथ 6 माह के बाद के माह की आयु के बच्चों को 250मिली की आधी कटोरी अर्द्धठोस आहार, दिन में 2 बार धीरे-धीरे शुरू में कम फिर मात्रा बढ़ते क्रम में देना चाहिए।9-11 माह के बच्चे को स्तनपान के साथ-साथ 250मिली की आधी कटोरी दिन में तीन बार शुरू में धीरे-धीरे कम फिर मात्रा बढ़ते क्रम में देनी चाहिए। 11-23 माह के बच्चे को भी स्तनपान के साथ 250-250 मिली  मिली की पूरी कटोरी दिन में तीन बार देनी चाहिये और साथ में 1-2 बार नाश्ता भी खिलाएँ। बच्चे को  तरल आहार न देकर अर्द्ध ठोस पदार्थ देने चाहिए।

भोजन में चतुरंगी आहार (लाल, सफ़ेद, हरा व पीला) जैसे गाढ़ी दाल, अनाज, हरी पत्तेदार सब्जियाँ स्थानीय मौसमी फल और दूध व दूध से बने उत्पादों को बच्चों को खिलाना चाहिए। इनमें भोजन में पाये जाने वाले आवश्यक तत्व जरूर होने चाहिए, जैसे- कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन, विटामिन, खनिज पदार्थ, रेशे और पानी उपस्थित हों।

मऊ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. सतीशचन्द्र सिंह ने बताया राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के अनुसार, उत्तर प्रदेश में 6-23 माह के 5.3%बच्चों को ही पर्याप्त आहार मिल पाता है,  5 वर्ष तक के 46.3% बच्चे ऐसे हैं जिनकी लंबाई, उनकी आयु के अनुपात में कम है, 17.9% बच्चे ऐसे हैं जिनका वजन उनकी लंबाई के अनुपात में कम है तथा 39.5% बच्चे ऐसे हैं जिनका वजन उनकी आयु के अनुपात में कम है, वहीं 5 वर्ष तक के 63.2% बच्चों में खून की कमी पायी गयी। रैपिड सर्वे ऑफ चिल्ड्रेन(2013-14) के आंकड़े दर्शाते हैं कि सही खान-पान के अभाव में प्रदेश के 50.4% बच्चे अविकिसित, 10% कमजोर व 34.3% बच्चे कम वजन के रह जाते हैं।

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