तारिक आज़मी
वाराणसी। जैतपुरा थाना अंतर्गत पीलीकोठी स्थित धनेसर तालाब पर पाटिया व्यवसाईयो के द्वारा किये गए अतिक्रमण पर आज जमकर जिला प्रशासन का बुलडोज़र गरजा। दशको से धनेसरा तालाब पर अवैध कब्ज़ा करके बैठे पाटिया व्यवसाइयो के द्वारा किये गए अतिक्रमण और बनी कई पक्की दुकानों पर आज प्रशासन ने अंतिम चेतावनी के बाद जमकर बुलडोज़र चलाये। इस दौरान कई पक्की इमारतों में तब्दील हो चुके अतिक्रमण ज़मिदोज़ हो गए।
चर्चाओं को अगर आधार माने तो इस अतिक्रमण में सबसे बड़ा अतिक्रमणकारी सज्जाद पटिया वाला ही माना जाता था। अगर सूत्रों की माने तो यहाँ कई दशक पहले सबसे पहले इसी ने पटिया के कारोबार को शुरू करके धीरे धीरे अपने पैर फैलाने शुरू किये थे और जमकर तालाब को पाटा था। पूर्ववर्ती सरकार में इसकी पकड़ काफी ऊपर तक रहने के कारण इसके खिलाफ पड़ने वाली शिकायत कही दब जाती थी अथवा दबा दिया जाता था। इसकी देखी देखा कुछ और पटिया कारोबारियों ने इस इलाके पर अतिक्रमण कर अपना कारोबार शुरू कर दिया था। इसके कुछ हिस्सों पर प्राइवेट बस वालो ने भी अपना अड्डा बना रखा था। पेट्रोल पम्प से सटे सड़क के तरफ पूरा कटरा बनाया जा चूका था जिस्न्मे कई दुकाने निकाल कर उसको किराये पर भी चलाया जा रहा था।
आज अतिक्रमण में सिर्फ अतिक्रमण ही नही टुटा बल्कि कई गुरुर भी टूट गए है। प्रशासन की इस कार्यवाही से क्षेत्रीय जनता में एक ख़ुशी की लहर दिखाई दे रही थी। लोग भले आवाज़ से प्रशासनिक कार्यवाही की सामने प्रशंसा न कर रहे हो, मगर दबी ज़बान में काफी प्रशंसा हुई। सभी को एक बात की ख़ुशी मिलती दिखाई दे रही थी कि धनेसरा तालाब अपने पुराने शक्ल-ओ-सूरत में दिखाई देगा। इस ख़ुशी ज़ाहिर करने वालो में ऐसा नही कि सिर्फ एक धर्म के लोग रहे है। इस ख़ुशी में सभी धर्मो को मानने वाले लोग थे। क्षेत्रीय जनता के मन में अब आशा की किरण जागी है और उसको प्रतिक्षा है कि आखिर कब लाट भैरव मस्जिद के बगल में पटिया की दूकान के द्वारा किया गया अतिक्रमण हटाया जायेगा।
लाट कब्रिस्तान के बड़े हिस्से पर भी कर रखा है सज्जाद पटिया ने अतिक्रमण
पूर्व सरकार में जब कब्रिस्तानो की बाउंड्री हो रही थी तो इसी क्रम में लाट सरैया की मस्जिद मखदूम साहब के बगल की कब्रिस्तान पर भी चारदीवारी भी होनी थी। जब काम शुरू हुआ तो इसी सज्जाद के द्वारा काम कई बार रुकवाया गया और चारदीवारी न करने का दबाव बनाया गया। तत्कालीन थाना प्रभारी ने कई बार इस मामले में समझौते का प्रयास किया। अंततः चारदीवारी का काम तो पूरा हुआ मगर पूरी कब्रिस्तान पर इसकी पटिया की दूकान आज भी लगती है। इसकी हनक का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्रशासन इसकी दूकान को वहा से हटवा नही सका और जो दूकान इसकी सड़क पर थी अ वह उलटे कब्रिस्तान पर चली गई है और पूरी कब्रिस्तान ही इसके कब्जे में है। अब देखना होगा कि जैसे धनेसर पोखरे का अतिक्रमण टुटा है वैसे लाट की कब्रिस्तान पर इसके द्वारा किया गया अतिक्रमण कब हटाया जाएगा।
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