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डॉ कफील की लिखी पुस्तक “मणिपाल मैनुअल ऑफ़ क्लिनिकल पेडियाट्रिक” का हुआ विमोचन

तारिक आज़मी

कोलकाता. आज मंगलवार को कोलकाता मेडिकल कालेज में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान डॉ कफील की लिखित पुस्तक मणिपाल मैनुअल ऑफ़ क्लिनिकल पेडियाट्रिक का विमोचन डॉ मौसमी नंदी के द्वारा किया गया। इस मौके पर मेडिकल कालेज के सैकड़ो की संख्या में मेडिकल छात्रो सहित कई जूनियर चिकित्सक उपस्तिथ थे।

अपने संबोधन में डॉ मौसमी नंदी (प्रिंसिपल और बाल रोग विभागाध्यक्ष) ने डॉ कफील की लिखित पुस्तक की समीक्षा भी किया। डॉ मौसमी ने अपने संबोधन में कहा कि पुस्तक पहले हर्फ़ से लेकर आखरी पन्ने तक यह साबित करती है कि इसका लेखक एक काबिल चिकित्सक है। डॉ कफील की क़ाबलियत पर कोई शक नही किया जा सकता। उन्होंने कहा कि साथ ही जिस प्रकार से डॉ कफील ने समाज सेवा बिना किसी लालच के किया, बिहार में जब चमकी बुखार से बच्चे दम तोड़ रहे थे उस समय डॉ कफील द्वारा चिकित्सा कैम्प लगाकर जिस प्रकार से समाज सेवा किया, वह वाकई काबिल-ए-तारीफ है और पूरी चिकित्सक समाज का सर गर्व से ऊँचा करने वाला काम है।

इस अवसर पर डॉ कफील ने मेडिकल छात्रो और जूनियर चिकित्सको को संबोधित करते हुवे बच्चो की चिकित्सा हेतु सावधानियो पर चर्चा किया और नवजात के चिकित्सा हेतु एक लम्बा सेशन लिया। इस दौरान उपस्थित सैकड़ो छात्रो को पुस्तक की प्रति निःशुल्क प्रदान किया गया। मौके पर सम्बोधन में कई वक्ताओं ने उत्तर प्रदेश सरकार से डॉ कफील के निलंबन को वापस लेने की अपील भी किया गया। कार्यक्रम का आयोजन कोलकाता मेडिकल कालेज छात्र संगठन ने किया था।

गौरतलब है कि डॉ कफील का नाम उस समय चर्चा में आया था जब गोरखपुर मेडिकल कालेज में आक्सीज़न की कमी से कई बच्चो की मौत हो गई थी। इस दौरान डॉ कफील ने विशेष कैम्प लगा कर बच्चो का इलाज किया था। मगर इसी बीच कई गंभीर आरोप डॉ कफील पर कुछ लोगो ने लगाया था और डॉ कफील को उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा निलंबित कर दिया गया था। इसके उपरान्त डॉ कफील समाज सेवा से जुड़ कर लगातार काम करते रहे।

डॉ कफील के कार्यो ने एक बार फिर चर्चा का केंद्र खुद को बनाया जब बिहार में चमकी बुखार से बच्चो की मौत हो रही थी। डॉ कफील अपने साथियों के साथ बिहार गए और वहा कैम्प का लगातार आयोजन कर प्रभावित बच्चो की जाँच और उनका निःशुल्क इलाज किया। इसी दौरान डॉ कफील जब 27 जून को सुबह कैम्प पर जाने को तैयार हो रहे थे, तभी उनके साथी एक चिकित्सक ने उनको फोन करके सहायता मांगी और बताया कि एक महिला को खून की आवश्यकता है और रियर ब्लड ग्रुप होने के कारण खून उपलब्ध नही हो पा रहा है। इस समाचार के प्राप्त होने के बाद डॉ कफील कैम्प जाने के पहले ब्लड बैंक जाकर उस महिला को अपना खुद का खून दिया था। यह घटना भी समाज में एक बड़ा पैगाम दे गई थी, मगर मीडिया की सुर्खिया कभी नही बटोर पाई।

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