आफताब फारुकी / के सिंह
भोपाल: भाजपा नेताओं पर सदन के बाहर बार-बार कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस नीत मध्य प्रदेश सरकार के गिरने का बयान देने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस ने सोमवार को कहा था कि यदि भाजपा में हिम्मत है तो वह विधानसभा के मौजूदा मॉनसून सत्र में साबित करे कि कमलनाथ सरकार के पास पर्याप्त संख्या बल नहीं है। इसी क्रम में आज कमलनाथ सरकार ने विधानसभा में एडवोकेट प्रोटेक्शन बिल पेश किया और इस पर बहस हुई।
बताते चले कि कर्नाटक की कांग्रेस-जेडीएस सरकार गिराने के बाद मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार को लेकर भी बीजेपी और कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी रहा है। सदन में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा कि जिस दिन हमारे नंबर-1 और नंबर-2 कह देंगे यह सरकार एक दिन भी नहीं चल पाएगी।
इस पर सीएम कमलनाथ ने चैलेंज देते हुए कहा था कि आपके नंबर-1 और नंबर-2 समझदार हैं, इसलिये आदेश नहीं दे रहें। आप चाहें तो अविश्वास प्रस्ताव ले आएं। बता दें कि मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने चैलेंज को शाम होते-होते पूरा भी कर दिया। उन्होंने विधानसभा में एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट बिल पास करवाने के बहाने सरकार का शक्ति परीक्षण कर दिया।
इस दौरान सरकार के समर्थन में बहुमत से ज्यादा वोट पड़े। खास बात यह रही है बीजेपी के दो विधायकों ने ही कमलनाथ सरकार के इस बिल का समर्थन कर दिया। एमपी की कमलनाथ सरकार को इस दौरान 122 मत मिले।
बिल पास होने के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा, ‘ये बहुमत सिद्ध करने का मतदान है। इसमें बीजेपी के दो सदस्यों नारायण त्रिपाठी और शरद कोल ने सरकार का साथ दिया। हमें 122 मत मिले। हमारी सरकार अल्पमत की सरकार नहीं है। उधर, नारायण त्रिपाठी ने कहा कि घर वापसी हुई है।
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