मोहम्मद शोएब
कानपुर। सस्ते गल्ले की दुकानों के पीछे शासन की सोच रहती है कि गरीबो को अनाज पेट भरने के लिए सस्ते दामो पर सुविधाओ के साथ मिल जाये। मगर सस्ते गल्ले की दुकानों के कोटेदारो ने इसको एक बड़ा व्यवसाय बना रखा है। सरकार ने हर राशन के वितरण का अलग अलग दिन और समय रखा है। मगर कई कोटेदार ऐसे है जो खुद का नियम चलाते है और सरकारी नियमो को ताख पर रख देते है।
क्षेत्रीय एक उपभोक्ता ने बताया कि यही नहीं राशन देने के नाम पर उपभोक्ताओं को परेशान भी किया जाता है। इसी क्रम में सरकार द्वारा आधार को राशन कार्ड से मैप करवाने की योजना शुरू होने के बाद कई उपभोक्ताओ के आधार कार्ड न होने की समस्या को देखते हुवे प्रशासन द्वारा निर्देश जारी किया गया कि प्रमाणित किसी भी पहचान पत्र के माध्यम से भी राशन लिया जा सकता है। मगर सोनू बाबु का निर्देश अलग है। पहले जाओ अपना आधार कार्ड बनवा कर लाओ और जब आ जाये तब राशन लेना। वही क्षेत्रीय जनता का आरोप है कि कोटेदार अपने हित मित्रो को बिना राशन कार्ड के भी राशन दे देता है।
क्षेत्र की जनता का कहना है कि यदि इसके खिलाफ आवाज़ उठाओ तो तुरंत यह कार्ड कैंसिल करवा देने की धमकी देने लगता है। अब देखना होगा कि स्थानीय प्रशासन इस कोटेदार से परेशान उपभोक्ताओं की समस्या का निस्तारण कब और कैसे करेगा।
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