संजय ठाकुर
मऊ : मत्स्य पालन एक सुनिश्चित आमदनी का जरिया है उत्तर प्रदेश एक बड़ी आबादी वाला प्रदेश है जहां मछली का उपयोग बहुतायत किया जाता है। मत्स्य उत्पादों की पौष्टिकता तथा खपत एवं इसमें स्वरोजगार की असीमित संभावनाओं को देखते हुए उ0प्र0 सरकार मत्स्य पालन को बढ़ावा देने, मछुआ समुदाय के आर्थिक एवं सामाजिक उत्थान के लिए उनको विशेष सुविधाएं उपलब्ध करा रही है। एक ओर जहां पौष्टिक खाद्य पदार्थों की श्रेणी में मछली की विशेष उपयोगिता है। वहीं इसके साथ ही बहुत से लोग मत्स्य पालन को स्वरोजगार के रूप में अपना कर अच्छी आमदनी प्राप्त कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में मत्स्य पालन के लिए बहुतायत में प्राकृतिक जल स्रोत एवं जल संसाधन उपलब्ध हैं इसका समुचित उपयोग करने के लिए राज्य सरकार की ओर से मत्स्य पालकों के लिए विभिन्न संसाधन एवं सुविधाएं उपलब्ध कराये जा रहे हैं। मत्स्य पालन के लिए गांवों में बेकार पड़ी अनुपयुक्त भूमि, तालाब, पोखरों, जलाशयों का उपयोग करके अतिरिक्त आय अर्जित करने की दृष्टि से राज्य सरकार मत्स्य पालन को बढ़ावा दे रही है।
प्रदेश में मत्स्य पालन एवं उसके विकास हेतु पर्याप्त जल संसाधन उपलब्ध होने के कारण मत्स्योत्पादन के विकास की प्रबल संभावनाएं हैं। साथ ही इस सेक्टर के विकास से मत्स्य पालकों/कृषकों की आय में पर्याप्त वृद्धि होने के अवसर उपलब्ध हैं।
राज्य एवं केन्द्र सरकार के सहयोग से मत्स्य विकास की विभिन्न योजनाओं को एक अम्ब्रेला के अन्तर्गत लाते हुए सेन्ट्रल सेक्टर स्कीम ‘‘ब्लू रिवोल्यूशन: इन्टीग्रेटेड डेवलपमेंट एण्ड मैनेजमेंट आफ फिशरीज’’ संचालित की गयी है जिसका उद्देश्य मत्स्य पालन की प्रचुर सम्भावनााओं वाले क्षेत्रों का सर्वांगीण रूप से विकास करना है। इसके अन्तर्गत निजी क्षेत्र में फिश फीड मिलों की स्थापना, सोलर पावर सपोर्ट सिस्टम, रिसर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम यूनिटों की स्थापना, मत्स्य हैचरियों की स्थापना, मार्डन मत्स्य बाजार की स्थापना तथा मत्स्य विपणन के सुदृढ़ीकरण कार्यक्रम आदि परियोजनाएं संचालित की जा रही हैं। प्रदेश के प्रमुख शहरों में जनसामान्य को पैकिंग सहित ताजी एवं स्वच्छ मछली तथा इससे तैयार किये गये विभिन्न व्यंजनों की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए मोबाईल फिश पार्लर (सचल मत्स्य एवं मत्स्य व्यंजन बिक्री केन्द्र) संचालित की गई है।
मछली के उत्पादन में वृद्धि किये जाने के उद्देश्य से उत्तम प्रजाति का मत्स्य पालकों को उनकी मांग पर निर्धारित मूल्य पर वितरित किया जाता है। मत्स्य बीज वितरण की व्यवस्था जिला स्तरीय मत्स्य पालक वितरण विकास अभिकरण के माध्यम से की जाती है। वर्ष 2019-20 में 29632.00 लाख मत्स्य बीज वितरण का लक्ष्य प्रस्तावित है। इसके अतिरिक्त विभागीय जलाशयों में मत्स्य बीज का संचय भी किया जाता है। वर्ष 2019-20 में 368.00 लाख मत्स्य बीज संचय कराये जाने का लक्ष्य प्रस्तावित है।
उ0प्र0 में वर्ष 2017-18 के सभी स्रोतों से 6.29 लाख मीट्रिक टन मत्स्य उत्पादन प्राप्त किया गया। अंतस्र्थलीय मत्स्य उत्पादन क्षेत्र में उ0प्र0 का देश में तीसरा स्थान है। भारत सरकार के सहयोग से संचालित ब्लू रिवोल्युशन कार्यक्रम के तहत 29 मत्स्य बीज हैचरियों की स्थापना, 06 लघु फीड मिल, 15 आर0ए0एस0, 138 फिश सीड रियरिंग यूनिट तथा 3 सोलर पावर आधारित सपोर्ट सिस्टम फार एक्वाकल्चर व 600 मछुआ आवासों का निर्माण कराया जा रहा है।
इसके अतिरिक्त मछुआ समुदाय के व्यक्तियों के आर्थिक एवं सामाजिक कल्याण के लिए प्रदेश सरकार ने 25 करोड़ रुपये से मछुआ कल्याण फण्ड की स्थापना के लिए बजट की व्यवस्था की गयी है, जिसके क्रियान्वयन की दिशा में तेजी से कार्यवाही की जा रही है। इसके अलावा ब्लू रिवोल्यूशन योजना के तहत रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए नई व आधुनिक मत्स्य मण्डियों की स्थापना के साथ ही मत्स्य पालकों के हितों के संरक्षण पर कार्य किया जाना प्रस्तावित है।
मत्स्य व्यवसाय से जुड़े मछुआ जाति के व्यक्तियों के सामाजिक एवं आर्थिक स्तर में सुधार लाने हेतु उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से त्रिस्तरीय ढ़ांचा तैयार किया गया है। प्रदेश स्तर पर मत्स्य जीवी सहकारी संघ, जनपद स्तर पर जिला सहकारी मत्स्य विकास एवं विपणन फेडरेशन तथा न्याय पंचायत स्तर पर प्राथमिक मत्स्य जीवी सहकारी समितियां गठित की गई है। वर्तमान में 1081 प्राइमरी समितियां, 22 जिला फेडरेशन व 01 प्रादेशिक मत्स्य सहकारी संघ प्रदेश में कार्यरत है।
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रधानमंत्री बीमा योजना के तहत संचालित मछुआ दुघर्टना बीमा योजना में वित्तीय वर्ष 2019-2020 के दौरान 02 लाख मत्स्य पालकों को आच्छादित किया जायेगा। इस योजना में आच्छादित मत्स्य पालक को दुघर्टनावश मृत्यु अथवा पूर्ण अपंगता की दशा में उसके आश्रितों को 02 लाख रूपये तथा दुघर्टना में आंशिक स्थाई अपंग होने की दशा में 01 लाख रूपये बीमा राशि का भुगतान किया जाता है। इसके साथ ही मछुआ आवास योजना के अन्तर्गत आवास विहीन मछुआरों को प्रधानमंत्री आवास योजना के समान प्रति आवास 1.20 लाख रूपये की धनराशि की सुविधा अनुमन्य है। भारत सरकार के सहयोग से यह योजना संचालित की जा रही है। इस वित्तीय वर्ष में 1000 मछुआ आवासों का निर्माण कराया जायेगा।
प्रदेश सरकार ने मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए मत्स्य पालकों को भी किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा सुलभ कराई है। किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से मत्स्य पालकों को अपने व्यवस्था में वृद्धि में आसानी से ऋण सुलभ कराया जायेगा। इसके अलावा मछुआ समुदाय के सामाजिक एवं आर्थिक उत्थान के लिए सहकारी समितियों का गठन किया गया है। इस प्रकार मौजूदा समय में उ0प्र0 मत्स्य पालन के क्षेत्र में एक सुनिश्चित स्वरोजगार तथा अतिरिक्त आमदनी के जरिया के रूप में उभर रहा है।
जनपद में मत्स्य विभाग द्वारा 2018-19 में निजी क्षेत्र के तालाब निर्माण/निवेश 15, प्रथव वर्ष निवेश 30, मोटर साईकल एवं आइस बाक्स 18, 2019-20 में निजी क्षेत्र के तालाब निर्माण/निवेश 72, सीड हैचरी 02, मिनी किश फीड मिल 07 है।
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