आसिफ रिज़वी
मऊ. जेल के अन्दर अपराधियों का पैसो के बल पर कारस्तानियो का अनेको अपुष्ट समाचार आपको मिलता रहा होगा। मगर इन खबरों के कोई साक्ष्य नही उपलब्ध होते है। प्रशासन जेल में छापेमारी करती है। जेल के अन्दर से आपत्तिजनक सामग्री बरामद होती रहती है। कार्यवाही के नाम पर कैदियों के ऊपर एक मुक़दमे और हो जाते है। जो खुद अपराधी अनेको अपराध में संलिप्त होकर जेल के अन्दर रहते है उनके ऊपर एक और मुक़दमे का शायद फर्क नही पड़ता है और मामला ठंडा हो जाता है। जब तक कोई बड़ी घटना नही घटती है तब तक जेल के सुरक्षाकर्मियों और जेल अधिकारियो पर कोई बड़ी कार्यवाही नही होती है।
आपको याद होगा कैसे अतीक अहमद पर आरोप लगा कि उसने जेल में बंद रहते हुवे लखनऊ से एक युवक को उठवा कर देवरिया जेल में बुलवा कर उसकी जेल के अन्दर पिटाई किया था। मामले में जब उच्चस्तरीय जाँच हुई तो मामला सही पाये जाने की बात सामने आई और फिर अतीक अहमद पर मुकदमा दर्ज हुआ और उसका गैर जिला स्थानांतरण किया गया। उसके बाद न्यायालय सख्त हुआ और अतीक अहमद को गुजरात जेल भेज दिया गया।
देखे कथित वीडियो
ऐसा नही है कि मामले सामने नही आते है। बाहर से जाकर अपराधियों ने वाराणसी जेल में बंद युवक को गोली मारी थी। फिर वाराणसी में ही जेल में बंद अन्नू त्रिपाठी की जेल में ही हत्या हुई थी वह भी गोली मार कर। नये मामले देखे तो कुख्यात अपराधी मुन्ना बजरंगी की जेल के अन्दर गोली मार कर हत्या हुई है। जेल के अन्दर बैठे अपराधियों द्वारा फोन पर रंगदारी मांगने का तो कई मामला प्रदेश में दर्ज है। ये वो मामले है जो पुलिस तक शिकायत के तौर पर पहुचे है। काफी मामले तो पुलिस के पास पहुचते भी नही है।
अब देखिये न अभी गुज़रे हुवे कल की ही बात है कि उत्तर प्रदेश के मऊ जनपद के जेल में जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक, क्षेत्राधिकारी नगर ने एक बटालियन पीएसी व तीन थानों की पुलिस के साथ जबरदस्त अभियान चलाकर कैदियों के 12 बैरक तथा गड्ढे में गाड़े गए मोबाइलों को बरामद किया था। लगता है कि शायद उनकी इस कार्यवाही से किसी अज्ञात के अन्दर इतना रोष आया कि उसने एक कथित जेल के अंदर का वीडियो वायरल किया है। वायरल वीडियो में दावा किया जा रहा है कि मऊ जेल के अन्दर सभी सुविधाये पैसे खर्च करने से मिल सकती है।
वायरल वीडियो में दावा किया गया है कि यह मऊ जेल का है। जेल के अन्दर हीटर पर खाना पकाने की सुविधा उपलब्ध है। वायरल वीडियो के दावो के अनुसार एक हज़ार रूपये सुविधा शुल्क देने पर यह सुविधा उपलब्ध है। वायरल वीडियो में दावा किया गया है कि जेल में जानबूझ कर ख़राब खाना दिया जाता है ताकि हीटर की सुविधा लेने के लिये सुविधा शुल्क मिले। यही नहीं वीडियो में दावा किया गया है और साफ़ देखा भी जा सकता है कि कई लोग मोबाइल प्रयोग कर रहे है। वीडियो में दावा किया गया है कि एक हज़ार प्रतिमाह के सुविधा शुल्क के एवज में मोबाइल प्रयोग करने की सुविधा उपलब्ध है।
यही नहीं वायरल वीडियो में एक शख्स छोटी छोटी पुडिया किसी पाउडर की बना रहा है। दावा किया गया है कि ये हिरोईन है। सिर्फ यही नही वायरल वीडियो में कथित हीरोइन की पुडिया बनाते हुवे और बेचते और उपयोग करते हुवे भी दिखाया गया है। वीडियो जो शख्स बना रहा है उसका दावा है कि जेल अधीक्षक को पैसा देकर जेल में हीरोइन बेचा जाता है। हम इस वीडियो की सत्यता का कोई दावा नही कर रहे है। हम स्पष्ट कर देना चाहते है कि वायरल वीडियो की सत्यता की PNN24 न्यूज़ दावा नही कर रहा है। कथित वीडियो मऊ जेल का होने का दावा वायरल वीडियो में किया जा रहा है। यह वीडियो कितना सत्य है कितना नही अथवा प्लांड है यह पुलिस जांच का विषय है।
वही इस प्रकरण के सामने आने के बाद मऊ के पुलिस अधीक्षक अनुराग आर्या ने कहा है कि सोशल मीडिया पर वायरल होता हुआ वीडियो हमने देखा है। हम इसकी जांच करवा रहे है। उन्होंने कहा कि हमने इस वीडियो का संज्ञान लिया है। आर्या ने कहा कि मामले में जांच करवाए जाने की आवश्यकता है और एलआईयु इसकी जाँच 24 घंटे में पूरी करके मुझे देगा। हम इसकी गहराई से जांच करेगे। वीडियो देखने से प्रतीत हो रहा है कि वीडियो पुराना है। हम मामले की जाँच कर रहे है। पिछले दस दिनों में प्रशासन ने दो बार छापे मार कर आपत्तिजनक चीज़े जेल से बरामद किया है। जिसमें तीन लोगो पर मुक़दमे भी दर्ज हुवे है। जांच इस विषय पर भी होगी कि क्या कार्यवाही को भटकाने के लिए तो ऐसा वीडियो वायरल किया गया है।
जो भी हो, वीडियो के वायरल होने के बाद जहा जेल प्रशासन की किरकिरी हुई है स्थानीय प्रशासन में भी हडकम्प मचा है। मामले की जाँच इस्पेक्टर एलआईयु को दिया गया है और कहा गया है कि अगले 24 घंटो में जांच पूरी करके रिपोर्ट प्रेषित करे। अब देखा होगा कि प्रशासन द्वारा इस वीडियो की क्या सत्यता सामने आती है।
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