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22 पश्चिमी देशो ने बयान जारी कर मुस्लिमो के ऊपर चीन में हो रहे भयावाह व्यवहार को रोकने  को कहा

आफ़ताब फारुकी

जिनेवा: आँखे खुली रखो, मगर देखने की जुर्रत न करना। कान खुले रहे एक एक आवाज़ सुनाई पड़नी चाहिये मगर कुछ सुना तो खैर नही है। ये जो जुबान है इसको बोलने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसका इस्तेमाल करो, बोलो गूंगे न बने रहो, मगर आवाज़ निकली तो ज़ुबाने खीच लिया जायेगा। जी हां शायद कुछ इसी दौर में चीन की पत्रकारिता पहुच चुकी है। जब दुनिया के 22 मुल्क मिलकर ये कहते है कि चीन में अल्पसंख्यको और मुसलमानों पर ज़ुल्म हो रहे है, तो वही चीन का मीडिया खामोश है और खोजी पत्रकारिता तो उसकी खोज में शामिल हो चुकी है।

चीन में शी जिनपिंग के साथ मज़बूत नेता का उफान फिर से आया है। इसका नतीजा यह हुआ है कि चीन के प्रेस में आलोचनात्मक रिपोर्टिंग बंद हो गई है। यह संपूर्ण सेंसरशिप का दौर है। हमारे जैसे पत्रकार करीब करीब विलुप्त हो गए हैं’। 43 साल की पत्रकार ज़ांग वेनमिन का यह बयान न्यूयार्क टाइम्स में छपा है। इस खबर को आप इस मुद्दे पर देख सकते है कि विश्व के 22 मुख्तलिफ मुल्क चीन में हो रहे मुसलमानों पर ज़ुल्मो सितम की दास्तान कह रहे है मगर चीन की मीडिया इसके ऊपर अपनी ख़ामोशी आज भी अख्तियार किये हुवे है।

मानवाधिकार निगरानी संस्था (ह्यूमन राइट्स वॉच) का कहना है कि 22 पश्चिमी देशों ने एक बयान जारी कर चीन से अनुरोध किया है कि वह पश्चिम शिनजियांग क्षेत्र में उइगर और अन्य मुसलमानों के खिलाफ बड़े पैमाने पर मनमाने तरीके से हुई नजरबंदी और अन्य उल्लंघनों को खत्म करें।

ह्यूमन राइट्स वॉच के जिनेवा निदेशक जॉन फिशर का कहना है, 22 देशों ने शिनजियांग में मुसलमानों के साथ हो रहे भयावह व्यवहार को ठीक करने के लिए चीन से कहा है। द न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, इस संबंध में मानवाधिकार के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त मिशेल बैचलेट को एक पत्र भेजा गया है। इस पत्र में चीन से कहा गया कि वह अपने कानूनों और अंतराष्ट्रीय दायित्वों को बनाए रखे और उइगर और अन्य मुस्लिम व अल्पसंख्यक समुदायों के मनमानेपन को रोकें और धर्म की स्वतंत्रता की अनुमति दें।

ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी उन 18 यूरोपीय देशों में शामिल हैं जिन्होंने जापान, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और न्यूजीलैंड के साथ जुड़कर इस संबंध में आ रहीं रिपोर्टों पर ध्यान आकर्षित किया है। पत्र में मिशेल बैचलेट से को मानवाधिकार परिषद को नियमित रूप से इस घटनाक्रम पर अपडेट रखने के लिए कहा है। मानवाधिकार समूहों और अमेरिका का ऐसा अनुमान है कि शिनजियांग में क़रीब 10 लाख मुसलमानों को जबरन नज़रबंद किया गया है। हालांकि, चीन हिरासत केंद्रों में इस तरह के मानवाधिकार उल्लंघनों से इनकार करता है और इन्हें चरमपंथ से लड़ने तथा रोजगार योग्य कौशल सिखाने के उद्देश्य वाले प्रशिक्षण स्कूल बताता है।

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