फारुख हुसैन
सिंगाही खीरी। सिंगाही नगर पंचायत की बिल्डिंग पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है। आलम यह है कि बिल्डिंग की दीवार व छतों में दरारें आ गई हैं। छत से लोहे की छड़ साफ दिखाई देती है। बारिश में छत से पानी टपकता है जिससे सरकारी दस्तावेज भी खराब हो रहे हैं। इस जर्जर भवन में कर्मचारी कार्य करते हैं। वहीं किसी न किसी जरूरी कार्य से फरियादी भी आते रहते हैं। अगर आला अफसरों द्वारा इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।
सिंगाही नगर पंचायत की स्थापना जून 1955 में की गई थी। जिसमें राजा लव शाह नगर के चेयरमैन मनोनीत हुए थे 23 जून 1956 में सुरथ बहादुर शाह निर्वाचित हुए उसके कई चेयरमैन बदले मगर किसी ने नगर पंचायत के जीर्णोद्धार के लिए नहीं सोचा और ना ही इस भवन की मरम्मत तक नहीं कराई गई। जिससे ये पुरानी बिल्डिंग बदहाल हो चुकी है। भवन के जर्जर होने से बारिश का पानी छत टपकता है। जिसके चलते सरकारी दस्तावेज भी खराब होते रहते हैं आलम यह है कि भवन के दीवारों पर पौधे उग गए हैं और छत का प्लास्ट टूट कर गिरता रहता है।
वैसे तो सरकार अपने कर्मचारियों को बेहतर सुविधा देने का दम बरती है पर नगर पंचायत में सरकारी कर्मचारी मौत के सायं में दिन गुजारने को मजबूर है। आए दिन छत से कंकरीट नीचे काम कर रहे कर्मचारियों के उपर गिर रहे है, जिससे कई बार कर्मचारी इनसे घायल भी हो चुके है।सरकार का काम अपने कर्मियों को हर सुविधा मुहैया करवाना होता है लेकिन यहां उल्टा है पेट की खातिर कर्मी मौत के सांय में काम कर रहे हैं। ऐसे में लगता है कि प्रशासन यहां कोई बड़े हादसे का इन्तजार कर रही है, जिसका जिम्मेदार कौन होगा ये अपने आप में बड़ा सवाल है ?
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