तारिक आज़मी
देखिये मेरे लेख को पढने से पहले आप मज़हबी चश्मे को उतार फेके। क्योकि आज कल ये काफी चल रहा है कि बाते सुनने के पहले या लिखा पढने के पहले ही मज़हबी चश्मे से इबारत को पढने वालो की कमी नही रह गई है। घटना पहले आपको बता देता हु कि शाम चार बजे मछोदरी लबे सड़क खुल्लम खुल्ला एक मोटरसायकल पर सवार दो युवको ने एक बुज़ुर्ग महिला से सरे राह चेन स्नेच कर लिए। मछोदरी पीसीओ पैराडाईज के ठीक सामने की पटरी पर हुई यह घटना वाकई काफी अचम्भे वाली ही है। स्नेचरो ने चेन खीची और आराम से बाइक चलाते हुवे चले गए।
मामला ये है कि इस प्रकार का अपराध हमारे क्षेत्र में पहली बार हुआ है। हीरामणि देवी एक गरीब और सभ्य महिला है। बचपन से उनको देखता आया हु। उनके साथ ही घटना हुई ये कोई ऐसी बात नहीं है जिस पर चर्चा किया जाए। घटना के लिए उन युवको को शायद एक शिकार की ज़रूरत रही होगी और हीरामनी देवी आसान शिकार समझ में आई। मामले में चर्चा करने का कोई फायदा नही है। मगर चर्चा जिस पर होनी चाहिये वह यह है कि ऐसी घटना करके युवक आसानी से निकल कर चले गए और भीड़ के रूप में खड़े लोग मूकदर्शक बने रहे ये चिंतनीय विषय है। वैसे यही पास में ही एक स्कूल के चबूतरे पर एक युवक की हत्या हुई थी। क्षेत्रीय नागरिको ने हत्यारों को आला क़त्ल के सहित मौके पर ही पकड़ लिया था। नागरिको के बजाये अगर ये कहू कि एक युवक ने पकड़ लिया था तो शब्द गलत नही होंगे। वाकई उस युवक ने बहादुरी का परिचय देते हुवे कातिल दो लोगो को अकेले पकड़ लिया था। ये घटना केवल आपको क्षेत्र के हिम्मत का उदहारण देने के लिए बता रहा हु। वरना घटना में समस्त आरोपियों को अदालत ने दोषी मानते हुवे सजा मुक़र्रर किया है और मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है।
कल की घटना के समय यानी शाम 4 बजे मौका-ए-वारदात पर काफी लोग रहते है। चार कदम की दुरी पर ही चाय पान के खोमचे पर हमेशा 20-25 लोग रहते है। दस पंद्रह लोग सामने अनिल की पान की दूकान पर पान की गिलौरी का लुत्फ़ उठाते है। 10-20 लोग मांस की दूकान के अगल बगल रहते है। चौराहे पर हमेशा 25-50 लोगो का जमावड़ा रहता है। अगर किसी एक ने भी हिम्मत करके उन युवको को दौड़ा लिया होता तो शर्तिया ये अपराधी भाग नही पाते और पकडे गए होते। मगर ऐसा हुआ नही। सभी मूकदर्शक बने खड़े रहे। सब सिर्फ बाद में चर्चा करते दिखाई दे रहे थे।
ये वही जगह है जहा अभी दो दिन पहले बिजली नही आने पर 200 लोगो ने सड़क जाम कर दिया था। देर रात 12 बजे अँधेरी में सड़क जाम कर जिंदाबाद मुर्दाबाद करने वाले भीड़ तंत्र ने पुलिस प्रशासन से बिजली की मांग किया था। वाकई आपको हंसी आएगी। मगर हकीकत है कि जवाहिर सेठ का कलयुगी देसी घी की ताकत थी कि जो एक होमगार्ड को भी देख कर हमें नहीं मालूम हम तो सुसु करने गए थे कहने वाले लोग पुलिस इन्स्पेक्टर के मुह पर चढ़ कर कह रहे थे कि क्षेत्र में पानी नही आ रहा है और बिजली नहीं आ रही है। उनका बस नही चल रहा था कि इस्पेक्टर से कहे कि तत्काल आप एक जेनरेटर मंगवाओ और यहाँ लगा कर हमको पानी और बिजली दो। वो भीड़ कही से बुलाई गई नही थी। सभी क्षेत्र के ही लोग थे। भीड़ की वजह सिर्फ इतनी थी कि प्रभावित सभी थे। तो शेख अपनी अपनी देख के तर्ज पर सब सड़क जाम करके खड़े हो गए।
उस भीड़ तंत्र को पता था कि मामले में बिजली विभाग से कोई आना नही है हां चक्का जाम छुडवाने के लिए पुलिस ही आयेगी। ये तो मानवता थी स्थानीय थाना प्रभारी निरीक्षक की वरना चक्का जाम करने पर भी मुकदमा होता है गुरु ये आप लोगो को शायद पता नही होगा। अब इसी पर बोलू तो लगेगी न, कि भीड़ लेकर वहा चक्का जाम करने कोई नही आया था। देखा था सिर्फ आठ दस नवजवान सड़क के बीच में आये थे तो उनके साथ 200 और आ गए। वो जो बुज़ुर्ग दादा जी है न जो कोने में अक्सर बैठे रहते है, ठेला लेकर, वो भी बहादुर नवजवान बन गए थे और ठेला अड़ा कर चक्का जाम का समर्थन कर रहे थे। गजब की हिम्मत आ गई थी उनके अन्दर भी।
मगर कल ये हिम्मत कहा गई थी ? सिर्फ दो लड़के थे। तुम में से कई बलशाली ऐसे भी है कि एक थप्पड़ अगर ढंग का मार देते उनको तो वह ज़मीन सूंघने लगते। मगर बल तुम्हारा धरा का धरा रह गया। दो चिंदीचोर तुम्हारे सामने से चले गए घटना करके और तुम मुह ताकते रह गए। इस तरह की हरकत को क्या कहते है जानते हो न तुम ? मैं ऐसे शब्दों से अपने लेख को कलंकित नही करना चाहता हु। याद रखना ये एक हीरामणि देवी थी, और घटना करने वाले चिंदीचोर रहे होंगे, कल हमारी तो परसों तुम्हारे घरो के लोगो के साथ ये चिंदीचोर घटना को अंजाम दे सकते है।
हर घटना के लिए आप पुलिस को दोषी नही मान सकते है। स्पष्ट कहता हु कि शायद आदमपुर पुलिस और मछोदरी पुलिस चौकी के विरोध में मैंने सबसे अधिक लिखा होगा। मगर हकीकत ये है कि इस घटना में स्थानीय पुलिस एकदम दोषी नही है। दोषी हम और आप है। पुलिस चौकी पर फैंटम के दो सिपाही जो राउंड पर थे, दो सिपाही चौकी के और एक चौकी इंचार्ज इत्तिफाक से विवेचना में सभी क्षेत्र में थे। मगर आप तो पान की गिलौरी खा रहे थे। साव जी की मस्त कचौड़ी का आनद ले रहे थे, आप नही बोले, आपकी हिम्मत जवाब दे गई और खामोश तमाशा देखते रहे। याद रखियेगा अपराधी किसी का नही होता है। अपराध से बचने के लिए हमें आपको जागरूक होना पड़ेगा। हर थाना क्षेत्र का अपना अपना डिजिटल वालंटियर ग्रुप बना है। लोग उसका प्रयोग क्या करते है ? क्या किसी संदिग्ध गतिविधि की कभी सुचना डाली गई। नहीं डाली जाती है। मैं खुद एक नही तीन डीजी ग्रुप में हु, देखता हु, लोग अपनी फोटो डालते है ताकि जाना जा सके कि फलनवा बड़े नेता अथवा अधिकारी से जानने वाले है। कुछ लोग तो गाने तक डाल देते है। मगर काम की बात पर ,,,, एक खमोशी रहती है।
याद रखियेगा आपकी ख़ामोशी एक दिन आपको ही भारी पड़ेगी। मैं ये भी नही कह रहा हु कि तंत्र को हाथ में लेकर सड़क पर ही इन्साफ करने लगो। मगर हो रहे गुनाह को तो रोको। उसके खिलाफ आवाज़ तो उठाओ। बोलो और जोर से बोलो। कानून के दायरे में रहकर बोलो। ध्यान रखे कि पुलिस भी बिना शिकायत के कोई कार्यवाही नही कर पाती है। वरना फिर भीड़ तंत्र लो और चक्का जाम करके पुलिस से मांग करो कि हमें बिजली दो। कमाल करते हो न राजा बाबु। ख़ास तौर पर दो घूंट के बाद तो और जोर से मांग हो सकती है कि पानी नही बरस रहा है। लगे रहो, मगर ध्यान रखना हीरामणि देवी हमारे और आपके घर में भी हो सकती है। भगवान न करे कभी ऐसी घटना घटे तो फिर ये खामोश समाज को दोषी न कहना क्योकि इसी खामोश समाज का एक हिस्सा हम और आप भी है।
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