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वाराणसी – वापस आये मिस्टर गायब, अपहरण का हो हल्ला मचाने वालो पर अब क्या होगी कार्यवाही ?

ए जावेद

वाराणसी. चेतगंज थाना क्षेत्र के पानदरीबा चौकी इंचार्ज राजीव कुमार सिंह अपनी विवेचना में लगातार कह रहे थे कि अपहरण का मामला फर्जी है। गुमशुदगी हो सकती है। क्योकि गायब हुवे रमेंद्र अक्सर इसके पहले भी कई बार गायब होकर 4-6 महीनो के बाद वापस आ जाते है। वह खुद से घर से नाराज़ होकर चले जाते है। मगर साहब नही सुनना था तो लोग नहीं सुन रहे थे। अब जब 23 जुलाई को कथित अपहृत बुज़ुर्ग रमेंद्र खुद से वापस आ गए और खुद चलकर चेतगंज थाने पहुच गए तथा बताया कि वह कही किसी के द्वारा अपहृत नही हुवे थे और खुद से शिरडी चले गए थे, तो कल तक हो हल्ला करके हंगामा खड़ा करने वाले लोग आज अचानक मौन व्रत धारण कर लिए है।

मामला कुछ इस तरह है कि चेतगंज थाना क्षेत्र के तत्कालीन पानदरीबा चौकी इंचार्ज को एक विवेचना मिली अपहरण के मुक़दमे की। मामले में कहा गया था कि पीड़ित के पिता का अपहरण कतिपय लोगो के द्वारा कर लिया गया है। मामले में नामज़द तहरीर के हिसाब से मुकदमा पंजीकृत हुवा था। नामज़द सभी लोगो से पूछताछ हुई। हंगामा इस बात का था कि रमेंद्र के बेटे ने कहा कि उसके मकान में अल्पसंख्यक वर्ग के टाईल्स कारोबारी ने अपने बेटो के साथ मिलकर पिता रमेंद्र का अपहरण किया है। मामले में नामज़द किरायदार से भी पूछताछ हुई और उसकी लोकेशन भी हर हिसाब से जांची परखी गई। मामला पूरी तरह संदिग्ध नज़र आया और संज्ञान आया कि कथित अपहृत बुज़ुर्ग इसके पहले भी अपने परिवार से नाराज़ होकर घर छोड़ कर जा चुके है और कई कई महीनो तक गायब रहने के बाद वापस आ जाते है।

मामले में दो सम्प्रदाय का होने से इसमें राजनैतिक रोटिया भी सिकने लगी। कथित अपहृत के पुत्र द्वारा लगातार पुलिस पर राजनैतिक दबाव बनाया जाने लगा कि नामज़द लोगो को विवेचक राजीव कुमार सिंह हिरासत में लेकर जेल भेजे, सूत्रों की माने तो मामले में सांप्रदायिक रंग देने का भी पूरा प्रयास कथित अपहृत के बेटे द्वारा किया गया और चौकी इंचार्ज राजीव कुमार सिंह के ऊपर अल्पसंख्यक तुष्टिकरण का आरोप भी लगने लगा। सूत्र बताते है कि कथित अपहृत के बेटे द्वारा अपनी दूकान किरायदार से खाली करवाने के लिये लम्बी जुगत भी लगाना शुरू कर दिया गया था। यहाँ तक कि मामले में खुद को मुख्यमंत्री का करीबी बताने वाले अमरीश सिंह भोला तक को शामिल किया गया।

अम्बरीश सिंह भोला जो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के करीबी भी बताये जाते है ने मामले में 4 जून को थाना चेतगंज में धरना भी दे डाला। इस प्रकरण में खूब राजनैतिक रंग दिया गया। कहा जाता है कि नाम में मज़हब तलाशने वालो की कमी नही है तो इस प्रकरण में भी कथित पीड़ित पक्ष के द्वारा नाम में मज़हब की तलाश जमकर किया गया। अमरीश सिंह भोला ने धरना दिया। उनकी मांग थी कि किरायदारो को हिरासत में लिया जाये। मामला सुलझने के बजाये उलझता ही रहा और विवेचक राजीव कुमार सिंह ने लगातार इस बात को साफ़ साफ़ कहा कि मैं निर्दोष की गिरफ़्तारी नही करूँगा। मामले में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के पास भी कई बार शिकायत किया गया।

अंततः वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने पानदरीबा चौकी इंचार्ज राजीव कुमार सिंह का स्थानांतरण कर डाला। अभी चौकी इंचार्ज राजीव कुमार सिंह द्वारा चार्ज दिया ही गया था कि मात्र दो दिनों बाद ही कथित अपहृत रविन्द्र की वापसी हो जाती है। वापस आने के बाद कथित अपहृत रविन्द्र ने कल रात दिनांक 23 जुलाई को खुद थाना चेतगंज पहुच कर साफ़ साफ़ कहा कि वह अपनी मर्ज़ी से शिरडी गए हुवे थे और उनका कोई अपहरण नही हुआ था। मामला पूरी तरह फर्जी और बेबुनियाद है।

अब सवाल उठता है कि जिस प्रकार से अमरीश सिंह भोला को भी अँधेरे में रख कर मामले में सम्प्रयायिक रूप देते हुवे फर्जी मामले में पहले तो निर्दोष को गिरफ्तार करवाने का प्रयास किया गया। यही नही किरायदार को मासिक उत्पीडित तक होना पड़ा और वह बिना किसी गुनाह को किये ही मामले में आरोपी दिखाई देने लगा था। मगर जब खुला प्रकरण तो मामला पूरी तरह फर्जी निकल कर सामने आया तो क्या पुलिस मामले में आगे अब इसके ऊपर कार्यवाही करेगी। खुद के गायब हुवे पिता को तलाशने के बजाये पुलिस पर बेक़सूर लोगो को जेल भेजने का दबाव बनाने वाले रमेंद्र के बेटे पर कोई कार्यवाही होगी अथवा मामले को ठन्डे बसते में डाल दिया जायेगा। देखने वाली बात होगी कि बिना गलती के ही गाज झेलने वाले दरोगा राजीव कुमार सिंह को उनका सम्मान वापस मिलता है कि नही।

 

 

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