सोनभद्र नरसंहार – क्षेत्राधिकारी, कोतवाल, दरोगा और सिपाही पर गिरी गाज, हुवे सस्पेंड, राजस्व विभाग की भूमिका जांच के घेरे में
राकेश अग्रहरि
लखनऊ। सोनभद्र के घोरावल थाना क्षेत्र के उभ्भा गांव में 17 जुलाई को जमीन विवाद में हुए नरसंहार में लापरवाही बरतने वाले सीओ घोरावल, थाना प्रभारी घोरावल एवं हल्के के दरोगा व कांस्टेबल को संस्पेंड कर दिया गया है तथा इस मामले में लापरवाही बरतने वाले राजस्व विभाग के अधिकारियों की भूमिका की जांच के लिए एक समिति का गठन किया गया है जिसकी रिपोर्ट मिलने पर दोषी राजस्व अधिकारियों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी। यह बात मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में सोनभद्र के मामले पर बोलते हुए कही।
उन्होने कहा कि इस घटना की नींव 1955 में तब पड़ गयी थी जब ग्राम समाज व किसानों की जमीन सोसायटी के नाम पर कागजों में हेराफेरी कर चढ़ा दी गई थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस मामले में किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। आदर्श सोसायटी की जमीन लोगों के नाम पर करना तथा बाद में ग्राम प्रधान के नाम पर करना गलत है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि इस मामले में अब तक मुख्य आरोपी उभ्भा के ग्राम प्रधान व उसके भतीजों सहित 26 लोग गिरफ्तार किया जा चुका है। इससे पहले एडीजी जोन व मंडलायुक्त ने अपनी जांच रिपोर्ट शासन को सौंप दी।
कांग्रेस की यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी को आज उभ्भा गांव जाते समय वाराणसी जोन की पुलिस ने सोनभद्र में धारा 144 लगी होने का हवाला देते हुए मिर्जापुर में रोंक दिया गया जिससे नाराज होकर प्रियंका गांधी व कांग्रेस कार्यकर्ता वहीं पर धरना देकर बैठ गये।
उधर अनूसूचित जाति/जनजाति आयोग के अध्यक्ष बृजलाल का भी कहना है कि सोनभद्र का नरसंहार राजस्व विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के चलते हुई है हालांकि वे मानते हैं कि क्षेत्रीय पुलिस भी इस मामले में कम दोषी नहीं है, जो केवल 107/116 की कार्यवाही कर व 145 की रिपोर्ट भेजकर हाथ पर हाथ धरे बैठी थी। एसडीएम करीब 3 महीने से पुलिस की 145 की रिपोर्ट दबाए बैठे हुए थे।
उन्होने बताया कि 1955 से 600 बीघे की जमीन को लेकर विवाद चला आ रहा था। बिहार के एक आईएएस अधिकारी का भी नाम इस मामले में सामने आ रहा है। आयोग ने अपने उपाध्यक्ष के नेतृत्व में एक टीम जांच के लिए उभ्भा गांव भेजी है।