आदिल अहमद
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या बाबरी मस्जिद/ रामजन्म भूमि प्रकरण पर गुरुवार को भी सुनवाई जारी रही। इस मामले में मध्यस्थता के जरिए मैत्रीपूर्ण तरीके से किसी समाधान पर पहुंचने की कोशिशें विफल होने के बाद सुनवाई जारी है। राम लला’ की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता के परासरन ने प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष दलीलें पेश कीं।
रामलला के लिए वकील के परासरन ने अपनी दलीलें रखते हुए कोर्ट में कहा कि जन्म स्थान को सटीक स्थान की आवश्यकता नहीं है, लेकिन आसपास के क्षेत्रों में भी इसका मतलब हो सकता है। हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्ष विवादित क्षेत्र को जन्म स्थान कहते हैं। इसलिए इसमें कोई विवाद नहीं है कि यह भगवान राम का जन्म स्थान है। उन्होंने कहा कि रामलला को इस मुकदमे में पक्षकार तब बनाया गया जब सीआरपीसी की धारा 145 के तहत इनकी सम्पत्ति अटैच कर दी गई। इसके बाद सिविल कोर्ट ने वहां कुछ भी करने से रोक लगा दी।
परासरन ने दलील देते हुवे कहा कि कोर्ट ने राम जन्मभूमि को कानूनी व्यक्ति (ज्यूरिस्टिक पर्सन) मानने से इनकार कर दिया तो रामलला को पक्षकार बनना पड़ा। रामलला चूंकि नाबालिग हैं लिहाजा उनकी ओर से अंतरंग मित्र मुकदमा लड़ रहे हैं। इस मामले में तो कोर्ट ने भी माना है कि राम जन्मभूमि की पूरी जमीन एक ही सम्पत्ति है। पहले देवकीनंदन अग्रवाल ने रामलला का मुकदमा लड़ा, अब त्रिलोकीनाथ पांडेय लड़ रहे हैं।
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