विकास राय
गाजीपुर जनपद के मुहम्मदाबाद तहसील मुख्यालय पर स्थित सपा के कैम्प कार्यालय पर छोटे लोहिया के रूप में प्राख्यात स्व जनेश्वर मिश्रा की जयंती मनायी गयी।उपस्थित लोगों के द्वारा स्व जनेश्वर मिश्रा के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गयी। कार्यक्रम की अध्यक्षता मुहम्मदाबाद बिधान सभा क्षेत्र के सपा अध्यक्ष चन्द्रमा यादव एवम संचालन सपा महासचिव सन्तोष राय के द्वारा किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुवे युवा समाजसेवी एवं डालिम्स सनबीम स्कूल गांधीनगर. सरजू राय मेमोरियल डिग्री कालेज के प्रबंधक अभिजित राय हिमांशु ने कहा की ईमानदारी एवं सादगी की प्रति मूर्ति थे स्व जनेश्वर मिश्रा।
आप हमेशा पूंजीवाद के प्रबल बिरोधी रहे थे
जनेश्वर मिश्र का जन्म 5 अगस्त 1933 को बलिया के शुभनथहीं गांव में हुआ था। उनके पिता रंजीत मिश्र किसान थे। बलिया में प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के बाद 1953 में आप इलाहाबाद पहुंचे जो उनका कार्यक्षेत्र रहा। जनेश्वर मिश्र को आजाद भारत के विकास की राह समाजवादी सपनों के साथ आगे बढ़ने में दिखी और समाजवादी आंदोलन में इतना रम गये कि उन्हें लोग ‘छोटे लोहिया’ के तौर पर ही जानने लगे।
उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में स्नातक कला वर्ग में प्रवेश लेकर हिन्दू हास्टल में रहकर पढ़ाई शुरू की और जल्दी ही छात्र राजनीति से जुड़े। छात्रों के मुद्दे पर उन्होंने कई आंदोलन छेड़े जिसमें छात्रों ने उनका बढ-चढ़ कर साथ दिया। 1967 में उनका राजनैतिक सफर शुरू हुआ। वह जेल में थे तभी लोकसभा का चुनाव आ गया। छुन्नन गुरू व सालिगराम जायसवाल ने उन्हें फूलपुर से विजयलक्ष्मी पंडित के खिलाफ चुनाव लड़ाया। चुनाव सात दिन बाकी था तब उन्हें जेल से रिहा किया गया। चुनाव में जनेश्वर मिश्रा को हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद विजय लक्ष्मी राजदूत बनीं। फूलपुर सीट पर 1969 में उपचुनाव हुआ तो जनेश्वर मिश्र सोशलिस्ट पार्टी से मैदान में उतरे और चुनाव जीते। लोकसभा में पहुंचे तो राजनारायण जी ने आपको ‘छोटे लोहिया’ का नाम दिया। वैसे इलाहाबाद में उनको लोग पहले ही छोटे लोहिया के नाम से पुकारने लगे थे।
उन्होंने 1972 के चुनाव में यहीं से कमला बहुगुणा को और 1974 में इंदिरा गांधी के अधिवक्ता रहे सतीश चंद्र खरे को हराया था। इसके बाद 1978 में जनता पार्टी के टिकट से इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतरे और विश्वनाथ प्रताप सिंह को पराजित किया। उसी समय वह पहली बार केन्द्रीय पेट्रोलियम, रसायन एवं उर्वरक मंत्री बने। इसके कुछ दिन बाद ही वह अस्वस्थ हो गये। स्वस्थ होने के बाद उन्हें विद्युत, परंपरागत ऊर्जा और खनन मंत्रालय दिया गया। चरण सिंह की सरकार में जहाजरानी व परिवहन मंत्री बने। 1984 में देवरिया के सलेमपुर संसदीय क्षेत्र से चंद्रशेखर से चुनाव हार गये। 1989 में जनता दल के टिकट पर इलाहाबाद से लडे़ और कमला बहुगुणा को हराया। इस बार संचार मंत्री बने। फिर चंद्रशेखर की सरकार में 1991 में रेलमंत्री और एचडी देवगौड़ा की सरकार में जल संसाधन तथा इंद्र कुमार गुजराल की सरकार में पेट्रोलियम मंत्री बनाये गये। 1992 से 2010 तक वह राज्यसभा के सदस्य रहे।
22 जनवरी 2010 को आप इस संसार से विदा हो गये।
इस कार्यक्रम में सपा विधान सभा सचिव श्याम बहादुर राय,मंगला यादव, राम सागर यादव, श्याम नरायण यादव, रविंद्र यादव, उमेश यादव, अक्षय कनौजिया, शाहिद खान,सद्दाम खान,अतुल तिवारी, नागा बाबा,सुशील उपाध्याय, मनोज राय,विजय पाल,समेत ढेर सारे लोग उपस्थित रहे।
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