तारिक आज़मी
आप में से सभी को याद होगा कि जब वर्ष 2016 में मोदी सरकार ने टेक्सटाइल्स सेक्टर को छह हज़ार करोड़ के पैकेज और अन्य रियायतों एलान किया था। खूब जोरो शोरो से दावा था कि तीन साल में एक करोड़ रोज़गार पैदा होगा। इस मामले को मीडिया ने खूब जमकर उछाला था। खूब हो हल्ला करके प्रचार प्रसार हुआ। कई अखबारों ने संपादकीय के पन्ने पर जमकर इसके ऊपर लेख लिखे। आज जब लगभग तीन साल पुरे हो चुके है तो इंडियन एक्सप्रेस ने पेज नंबर तीन पर एक बड़ा विज्ञापन छाप कर सबका ध्यान इस तरफ आकर्षित किया है। लगभग आधे पेज के इस विज्ञापन के माध्यम से इंडियन एक्सप्रेस ने दावा किया है कि टेक्सटाइल्स सेक्टर में नौकरिया मिलने के बजाये बड़े पैमाने पर नौकरिया चली गई है।
इंडियन एक्सप्रेस न्यूज़ ने लिखा है कि भारतीय स्पीनिंग उद्योग सबसे बड़े संकट से गुज़र रहा है। जिसके कारण बड़ी संख्या में नौकरियाँ जा रही हैं। आधे पेज के इस विज्ञापन में नौकरियाँ जाने के बाद फ़ैक्ट्री से बाहर आते लोगों का स्केच बनाया गया है। नीचे बारीक आकार में लिखा है कि एक तिहाई धागा मिलें बंद हो चुकी हैं। जो चल रही हैं वो भारी घाटे में हैं। उनकी इतनी भी स्थिति नहीं है कि वे भारतीय कपास ख़रीद सकें। कपास की आगामी फ़सल का कोई ख़रीदार नहीं होगा। अनुमान है कि अस्सी हज़ार करोड़ का कपास होने जा रहा है तो इसका असर कपास के किसानों पर भी होगा।
हाल ही में ऑटो सेक्टर में ज़ोरदार मंदी और बिक्री के 30-35 प्रतिशत तक कम होने की ख़बरें आती रही थीं। देश की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति सुज़ुकी समेत ह्यूंडई, महिंद्रा, हॉन्डा कार और टोयोटा किर्लोस्कर मोटर्स जैसी प्रमुख वाहन कंपनियों की बिक्री में जुलाई में दहाई अंक की गिरावट दर्ज की गई थी, और यह भी बताया गया था देशभर में सैकड़ों डीलरशिप बंद हो गई हैं। अब देश का टेक्सटाइल सेक्टर भी मंदी की चपेट में रहता है तो देश में बेरोज़गारी और भी बढ़ेगी।
सब मिलाकर अगर देखा जाये तो बेरोज़गारी अपने चरम पर पहुचती दिखाई दे रही है। मगर आपका पसंदीदा अखबार और चैनल इस मुद्दे पर बात नही कर रहे है। खुद उठा कर देख ले कितनो ने इस मुद्दे पर बहस किया। किसने ऑटो सेक्टर की मंदी दिखाई। किसने अपना सम्पादकीय बेरोज़गारी के नाम किया। किसने इस बेरोज़गारी पर डिबेट किया। आपको आपका जवाब खुद मिल जायेगा। इन मुद्दों पर बात करने के बजाये आपका पसंदीदा चैनल किसी अजनबी जैसे दो टके की कोई पाकिस्तानी नेता अथवा कथित सामाजिक कार्यकर्ती को लाकर चैनल पर डिबेट करने का काम कर रहा है। वो पाकिस्तानी जो अपने घर में आंटा भी पड़ोस से शायद मांग कर लाई होगी, वह हमारे देश और हमारे प्रधानमंत्री का चित्रण करती है। ये हकीकत में टीआरपी की अंध भागदौड़ है। जब पकिस्तान ऐसे विज्ञापनों पर प्रतिबन्ध लगा चूका है जिसमे भारतीय कलाकार हो तो फिर हम क्यों पाकिस्तानी जाहिल को अपने टीवी पर देख रहे है।
जिस प्रकार से हमने बड़े पॅकेज के इलान के बाद जमकर इसका प्रचार प्रसार और खूब उसके फायदे अपनी कलम से लिखे। लम्बी चौड़ी लेखनी इस इलान के नाम किया तो फिर आखिर इस मुद्दे पर बात क्यों नही कर रहे है। मैं भी मानता हु कि सरकार के पास कोई जादू की छड़ी नही है जिसको घुमाने मात्र से समस्याये दूर हो जायेगी। मगर इस मुद्दे को भी तो चर्चा में लाना चाहिये।
(इनपुट – साभार इंडियन एक्सप्रेस और रविश कुमार के फेसबुक पेज से)
शाहीन अंसारी वाराणसी: विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी सामाजिक संस्था आशा ट्रस्ट द्वारा…
माही अंसारी डेस्क: कर्नाटक भोवी विकास निगम घोटाले की आरोपियों में से एक आरोपी एस…
ए0 जावेद वाराणसी: महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के शिक्षाशास्त्र विभाग में अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा विरोधी…
ईदुल अमीन डेस्क: सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने संविधान की प्रस्तावना में…
निलोफर बानो डेस्क: उत्तर प्रदेश के संभल ज़िले में शाही जामा मस्जिद के सर्वे के…
निलोफर बानो डेस्क: उत्तर प्रदेश के संभल ज़िले में शाही जामा मस्जिद के सर्वे के…