करिश्मा अग्रवाल
नई दिल्ली: बीते 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 को खत्म किए जाने से एक दिन पहले 4 अगस्त से जम्मू कश्मीर में भारी संख्या में सुरक्षा बल तैनात कर दिया गया और संचार सेवाओं पर भी पूरी तरह से पाबंदी लगाई गई है। इस सम्बन्ध में दाखिल याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर के हालात को बेहद संवेदनशील बताते हुवे संचार सेवाओं के साथ लगे अन्य प्रतिबंधों को हटाने के संबंध में केंद्र सरकार को तत्काल कोई आदेश जारी करने से इनकार कर दिया।
जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने हालात में सुधार की उम्मीद करते हुए सुनवाई को 2 हफ्ते के लिए टाल दिया है। पीठ में जस्टिस एमआर शाह और अजय रस्तोगी भी थे। केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने अदालत को बताया कि बुरहान वानी की मौत के बाद राज्य में जुलाई 2016 में हुए प्रदर्शन को ध्यान में रखते हुए प्रतिबंध लगाए गए हैं। उन्होंने कहा कि जमीनी स्तर पर हालात को ध्यान में रखते हुए अगले कुछ दिनों में प्रतिबंधों में ढील दी जा सकती है। वेणुगोपाल ने आगे कहा कि सरकार रोजाना हालात की समीक्षा कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि इस दौरान राज्य में एक भी व्यक्ति की जान नहीं गई है।
अपनी याचिका में पूनावाला ने 5 अगस्त को गिरफ्तार किए गए पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और जम्मू कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के नेता सज्जाद लोन को हिरासत में लिए जाने को चुनौती दी थी। इसके साथ ही उन्होंने नए गठित केंद्र शासित प्रदेश में कर्फ्यू या प्रतिबंधों को हटाने और फोन, इंटरनेट और न्यूज चैनलों पर लगे प्रतिबंधों को हटाने की मांग की थी।
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