प्रदीप दुबे विक्की
ज्ञानपुर,भदोही। ओपीडी में इलाज को लेकर सुबह से ही लगी कतार में बढ़ रही मरीजों की तादाद, भगवान भाष्कर के दिन चढ़ने के हिसाब से चढ़ रहा पारा और धरती पर भगवान का दूसरा अवतार का दर्जा प्राप्त चिकित्सकों का निर्धारित समय सुबह आठ बजे से डेढ़ घटे विलंब के बावजूद भी अस्पताल में आये मरीजों की पीड़ा से बेखबर दूर दूर तक अता पता नहीं।
बीमारी से पीड़ित व अन्य इलाज के लिये सरकार की ओर से समुचित इलाज के लिये सरकारी अस्पतालों को आधुनिक चिकित्सा उपकरणों से लैश कर गरीब कमजोर वर्ग को आर्थिक तंगी की दशा में आवश्यकता के हिसाब से उच्च स्तरीय चिकित्सा सेवा दिये जाने की मंशा से पर्याप्त धन खर्च किए जाने के बावजूद चिकित्सा कर्मियों की मनमानी से समय से इलाज न होने पर हो पाने की वजह से जहां मरीजों की परेशानी बढ़ जाती है वहीं सरकारी अस्पतालों के प्रति जनता का विश्वास उठता जा रहा है जिसके वजह से सक्षम न होने के बावजूद भी इलाज के लिए निजी चिकित्सालयों का शरण लेकर आर्थिक शोषण का शिकार होना मरीजों की मजबूरी हो गई है।
इसकी सच्चाई बुधवार को जिला अस्पताल में ड्यूटी टाइम के डेढ़ घंटे बाद हुई ओपीडी में कई चिकित्सकों कुर्सी खाली होने से हैं। कमोवेश लेटलतीफी उनकी दिनचर्या हो गई है। समय की पाबंदी को लेकर विभागीय अधिकारियों की ओर से अनदेखा कर मौन धारण करने से सुधार होता नहीं दिख रहा है। अनुपस्थित चिकित्सकों को आलाधिकारियों की चेतावनी के बावजूद इसके चिकित्सकों व चिकित्सा कर्मियों की आदत में सुधार होता नहीं दिख रहा है।
नहीं खुल रहा जिला चिकित्सालय का बंद पड़ा अल्ट्रासाउंड कक्ष
ज्ञांनपुर, भदोही। जनपद के एकमात्र अस्पताल महाराजा चेेत सिंह जिला चिकित्सालय मे लाखों रुपए खर्च करके बनाया गया अल्ट्रासाउंड कक्ष मरीजों के लिए सफेद हाथी होता दिखाई दे रहा है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा वर्षों पूर्व अल्ट्रासाउंड कक्ष का निर्माण कराया गया था। जिसमें मरीजों को बेहतर सुविधाएं भी मुहैया की जा रही थी , लेकिन अचानक वर्षों से यह बंद चल रहा है। चिकित्सा कर्मियों के अनुसार विशेषज्ञ की कमी बताकर पल्ला झाड़ लिया जा रहा है । इसके चलते आवश्यकता पड़ने पर जनपद वासियों को निजी अल्ट्रासाउंड चिकित्सालयों का सहारा लेना पड़ रहा है।
डब्ल्यूएचओ व राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की मन्सा जिले में कदापि पूरी नहीं होती दिख रही है। सरकार द्वारा लाखों रुपए खर्च करके जिला चिकित्सालय में अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था कराई गई थी । लेकिन कुछ दिन बाद से ही अचानक बंद होने के चलते कोई भी लाभ जरूरतमंदों को नहीं मिल रहा है। सरकार द्वारा कक्ष का निर्माण कराकर उसमें लाखों रुपए की मशीनें व उपकरण स्थापित कराए गए थे। इसके बावजूद भी अल्ट्रासाउंड कक्ष विशेषज्ञ विहीन बना हुआ है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिला प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराते हुए अल्ट्रासाउंड कराने की मांग की है
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