फारुख हुसैन
लखीमपुर खीरी÷ धौरहरा इलाके में अभी भी घाघरा नदी का कहर जारी है। हर रोज कटान में किसानों की सैकड़ों बीघा जमीन समा जा रही है। लेकिन फिर भी प्रशासन का बचाव कार्य बंद है। इससे ग्रामीणों में दहशत है। आसपास में रहने वाले कई ग्रामीण पलायन करने की सोच रहे हैं।
यह ग्रामीण पाई पाई को मोहताज हो गए हैं। न तो इनके पास खाने को रोटी बची है और न ही रहने को घर। जिस फसल से इन ग्रामीणों को बहुत उम्मीदें थी, वह भी कट कर घाघरा में समा चुकी है। गुलरिया और अमेठी में राम लखन, कमलेश, रामकिशोर, जगदीश प्रसाद, अनिल कुमार, विशंभर, अशोक जायसवाल समेत 40 लोगों की घाघरा नदी में कृषि योग्य जमीन कट चुकी है। फसल बर्बाद हो जाने से ग्रामीण बर्बाद हो चुके हैं। इसी फसल से ग्रामीणों के घर सालभर चूल्हा जलता था। कटान की वजह से मौजूदा समय में तो किसान के घर दो वक्त की रोटी की दिक्कत हो ही गई है। साथ ही इन किसानों को यह भी चिंता खाए जा रही है कि उनके परिवार का साल भर चूल्हा कैसे जलेगा।
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