फारुख हुसैन
पलिया कलां खीरी÷ प्रतिभाएं न ही उम्र की सीमा को देखतीं हैं और न ही किसी की मोहताज होती हैं। यह कहावत सुनी तो बहुत होगी लेकिन इस कहावत को मात्र तीन साल उम्र की मासूम ने अपने हौसले व लगन के जरिये सिद्ध करते हुए समाज के सामने बड़ी मिसाल पेश की है।
यह प्रतिभा इस छोटी सी बच्ची में ईश्वरीय वरदान के रुप में मौजूद है। पलिया में युवाओं को सालों से ताइक्वांडों सिखा रहे कोच अरुण तिवारी जब तिकुनियां कैंप में पहुंचे और बच्ची का हुनर देखा तो वह हैरान रह गये। उन्होंने ट्रेनिंग में बच्ची के हुनर को काफी परखा जिसके बाद उसे भविष्य की ताइक्वांडो चैंपियन बनने की घोषण कर डाली।
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