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पत्रकारों पर हमला प्रकरण में लोनी पुलिस की लचर कार्यवाही, एक सप्ताह बाद भी हाथ खाली

आदिल अहमद

गाजियाबाद लोनी। एक सप्ताह पूर्व दो पत्रकारो पर अज्ञात हमलावरो ने लोनी से भाजपा विधायक नंद किशोर गुर्जर के कार्यालय पर हमला कर दिया था। जिसमे दोनो पत्रकार बुरी तरह घायल हो गए थे तथा एक पत्रकार की हालत गम्भीर हो गयी थी, जिसको निजी अस्पताल में भर्ती गया था। जहां से 2 दिन पहले छुट्टी दे दी गयी है। मगर पुलिस आज तक हमलावरो की गिरफ्तारी करने में असफल रही है या यूं कहिये कि पुलिस राजनीतिक दबाव के कारण हमलावरो को गिरफ्तार नही कर पा रही है तथा दूसरी और पीड़ित पत्रकारो ने अपनी जान को खतरा होने का अंदेशा जताया है।

आपको बताते चले कि बीते 18 सितम्बर को लोनी तिराहे पर लोनी उपजिलाधिकारी प्रशांत तिवारी द्वारा अतिक्रमण हटाया जा रहा था। जहाँ से पत्रकार शौकत अली व सरताज खान गुजर रहे थे और उपजिलाधिकारी की कार्रवाई देखकर दोनो पत्रकार कवरेज करने लगे। इसी दौरान वहां मौजूद सर्वेश नामक सिपाही ने सरताज खान से अभद्रता कर दी। इससे नाराज पत्रकार अगले दिन सुबह 11 बजे पत्रकारो की सुरक्षा की मांग को लेकर भाजपा विधायक नन्द किशोर गुर्जर के बलराम नगर स्थित कार्यालय पर धरने के लिये गये थे। जिस दौरान उक्त दोनों पत्रकारो पर हमला कर दिया गया।

लाठी डंडो से जानलेवा हमले से पत्रकारो के बेहोश होने पर हमलावर वहां से सरताज खान का कीमती मोबाइल फोन भी लूटकर फरार हो गये। उसके बाद किसी तरह घायल पत्रकारो को घटना के समय उनके साथ मौजूद 4 पत्रकारो सचिन विशोरिया, प्रदीप बंसल, सुधाकर चौहान, शहजाद खान ने होश में लाकर सम्भाला। जहाँ से घायल शौक़त अली ने पुलिस कंट्रोल रूम को फोन कर घटना की जानकारी दी। सूचना पर पहुंची पुलिस ने घायलों को सीएचसी अस्पताल पहुंचाया और तहरीर लेकर 7-8 अज्ञात हमलावरों के खिलाफ गम्भीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया।

मगर घटना के एक सप्ताह बाद भी पुलिस ने हमलावरो को गिरफ्तार नही किया। पीडित सरताज खान पत्रकार का कहना है कि पुलिस राजनैतिक दबाव में मामले को दबाना चाह रही है। आज तक हमलावरो की गिरफ्तारी तो दूर पुलिस ने उनके मोबाइल को ट्रेस करने की जहमत नही उठाई। सूत्रों की माने तो पुलिस ने सभी हमलावर को ट्रेस कर लिए है लेकिन राजनैतिक दबाव में पुलिस गिरफ्तार नही कर रही है। वही पीड़ित शौकत अली पत्रकार ने बताया कि हमलावर उनकी हत्या भी करा सकते है तथा उनके खिलाफ फर्जी मुकदमो का षड्यंत्र भी रचा जा रहा है। जिससे पत्रकार दबाव में आकर मामले में फैसला कर ले।

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