तारिक खान
प्रयागराज. माहे मोहर्रम की दो को भी अज़ाखानों इमामबाड़ों व घर घर बरपा हो रही मजलिस मे शिददत से करबला के बहत्तर शहीदों को याद किया गया। ओलमा व ज़ाकिरों ने मजलिस मे जहाँ वाक़ेयाते करबला का ज़िक्र किया वहीं मातमी अन्जुमनों ने ग़मगीन नौहे की सदा बुलन्द की। प्रात: 7:30 से इमामबाड़ा नज़ीर हुसैन बख्शी बाज़ार से शुरु हुआ मजलिस का दौर देर रात तक जारी रहा।
करबला के बहत्तर शहीदों पर यज़ीदी लशकर द्वारा ढाए गए ज़ुल्म की दास्ताँ सुन कर अक़िदतमन्दों की आँखें छलक पड़ी। छोटी चक व घन्टा घर स्थित इमामबाड़ा सय्यद मियाँ मे भी मजलिस बरपा हुई। ज़ाकिरे अहलेबैत रज़ा अब्बास ज़ैदी ने ग़मगीन मसायब पढ़े। पान दरिबा स्थित मिर्ज़ा हिमायत हुसैन व बाबर भाई के अज़ाखाने पर भी मजलिस हुई। वहीं पत्थरगली, शाहगंज, रानी मण्डी, दरियाबाद, करैली, दायरा शाह अजमल, बैदन टोला, कोलहन टोला, रौशनबाग़, मनसूर पार्क, सियाह मुर्ग, बरनतला आदि जगहों पर अजाखानों में कहीं पुरुष तो कहीं महिलाओं की मजलिसे देर रात तक जारी रहीं।
पूर्व डिप्टी वार्डेन नासिर ज़ैदी के आवास पर मजलिस मे हुसैन ए मज़लूम की फर्शे अज़ा बिछी। अन्जुमन ग़ुन्चा ए क़ासिमया के नौहा ख्वान शादाब ज़मन, अस्करी अब्बास, ज़हीर अब्बास, यासिर ज़ैदी, कामरान रिज़वी, एजाज़ नक़वी शबीह रिज़वी, अली रज़ा रिज़वी, युसूफ नक़वी सहित अन्य सदस्यों ने तालिब इलाहाबादी का लिखा नया कलाम पढ़ा:-
अब्बास आओ भाई बाज़ार आ गया है
बारिश है पत्थरों की खुद को बचाऊँ कैसे
खोलो मेरी कलाई बाज़ार आ गया है
नौहे के एक एक अशआर पर लोगों की आँखें अश्कबार हो गईं
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