तारिक आज़मी
भीड़ तो अब सड़क पर ही इन्साफ करने को बेचैन है। लगता है सिस्टम को अपने हाथो में लेना भीड़ का पहला मकसद बनता जा रहा है। जबकि हम अच्छी तरफ से जानते है कि इन्साफ के लिए पूरा सिस्टम बना हुआ है। ठीक है मैं भी मानता हु कि आपको शक था। तो क्या आप खुद के हाथो में कानून ले लेंगे। आप क्या खुद को न्यायपालिका समझते है जो इन्साफ सड़क पर ही करने लगेगे। या फिर आप खुद को दामिनी का सन्नी देवल समझ बैठे है जो अम्बरीपूरी से कहेगे कि न तारिख न सुनवाई फैसला वही आन द स्पॉट वह भी ताबडतोड़।
ये साफ़ है कि भीड़ किसी मज़हब की नही थी। दोनों ही थे, मगर एक सवाल दिमाग में आया ये बताओ इस तरह भीड़ तंत्र जुटाने के लिए न मज़हब देखा और न ही फिरका देखा सब एक हो गए। ये एकता तब कहा रहती है जब आपस में लड़ते हो। सब छोडो आज जैसे भीड़ लगा कर उस पागल शख्स को कूट दिया तुम लोगो ने, गुरु और गिरस एक बात बताओ दोनों लोग मिल कर कि अभी पिछले महीने शीशा कारोबारी लल्लू भाई को पास में ही कोइला बाज़ार बीच रास्ते सरेशाम मगरिब की अज़ान के ठीक पहले गोली मार कर लूट लिया गया था। सिर्फ लूटा लल्लू भाई को ही नहीं था वो बदमाश तुम्हारी हिम्मत का कलेजा भी लूट कर बड़े ही आराम से चले गए थे। तब कहा थी तुम्हारी ये आज जैसे कथित बहादुरी और हिम्मत। तब भीड़ के रूप में क्यों नही दौड़ा का पकड़ लिया था।
तुम्हे डर था न उस वक्त कि उन बदमाशो के हाथो में असलहा है। तुम्हे वह खौफ था कि वो बदमाश मार देंगे। सही भी था खौफ क्योकि अगर वो पकडे जाने की स्थिति में आते तो गोली चला सकते थे। मगर तुमको यहाँ तो खौफ रहा नही होगा क्योकि यहाँ तो वो बेचारा अकेला था। साथ साथ निहत्था भी था। यही नहीं सबसे बड़ी बात वो कमज़ोर था। तुमने उसका नाम तक न पूछा, वो दीवानों के तरह क्या दीवाना तो था ही तुमसे मार खाता रहा। जो आ रहा है दो चार देकर चला जा रहा है। जिसको बच्चा चोर बच्चा चोर कहकर तुमने कूट दिया उसकी उम्र 70 साल थी। माज़ूर था वह दिमागी तौर पर, नाम उसका नखडू था। गाजीपुर ज़मानिया का रहने वाला था। तुमने ये भी नही देखा कि उसकी उम्र कितनी है। बस कुटना शुरू कर दिया। भीड़ तंत्र के बल पर तुम आज दुनिया के सबसे बड़े बहादुर बने थे।
तुम्हे मालूम है, उसको सर में तगड़ी चोट आई है। पुलिस ने उसको अस्पताल में भर्ती करवाया था। शाम 3:52 पर अस्पताल में भर्ती हुआ नखडू कुछ ही लम्हों में आँखे बचा कर कही चला गया। अस्पताल को भी नही पता कि कहा गया। असपताल के रिकॉर्ड में वह 4:22 पर अस्पताल से चला गया बिना बताये। डाक्टर ने बताया कि उसको सर पर तगड़ी चोट आई थी। उसको इलाज की ज़रूरत थी। अब आप खुद बताओ इतना जानने के बाद भी आप क्या खुद को माफ़ कर पाओगे। चलो बच्चा चोर कहा तुमने, तो ये बताओ जिन बच्चो को लेकर जाने की बात कहकर तुमने सब कुछ किया। सीधे लफ्जों में कहे तो मोबलीचिंग किया वो बच्चे किसके थे? कब गायब हुवे थे? बच्चे कहा है? कोई इसका जवाब है क्या ? अमा छोडो गिरस, क्या जवाब होगा, क्योकि बच्चा तो कही था ही नही, तुम्हे बस मारना था मार लिया।
आज पानी पी पी कर बिहार में हुई तबरेज़ अंसारी की मोब लीचिंग घटना पर दोषियों के खिलाफ बोलते हो न, सच बताऊ तुम्हे कोई हक़ नही है बोलने का, क्योकि तुमने भी वही किया है। जी हां मोब लीचिंग किया है तुमने भी। फर्क इतना था कि तबरेज़ अंसारी के वक्त में रात थी और यहाँ तो दिन था। तबरेज़ अंसारी को उपचार नही मिल सका था और यहाँ थोडा ही सही मौके से हटाने के बाद उसको इलाज मिल गया। बकिया कोई फर्क नहीं था तबरेज़ के साथ हुई घटना में और तुम्हारी करनी में। दोनों एक जैसे ही थे। तबरेज़ में भी आरोप का कोई सबूत नही था, और तुम्हारे पास तो एकदम है ही नही। आखिर जिसका बच्चा गायब हुआ वह क्यों नही आया था थाने पर शिकायत दर्ज करवाने।
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