तारिक आज़मी
मनमोहन नामिक्स और मोदी नामिक्स के बहस के बाद अब बिहार के वित्त मंत्रालय देखने वाले उप मुख्यमंत्री सुशिल मोदी ने एक नई बहस को मुद्दा दे दिया है। आपने बहस तो जेसीवी को लेकर खूब किया होगा। आइये एक नई बहस की शुरुआत करते है। जिसमे मंदी का भी मौसम तय हो जाये। वैसे आपको जब इसकी जानकारी हो ही गई है तो अगले साल से आप इसकी बेहतर तयारी कर सकते है।
खुद सोचे अगर आपको पता रहेगा कि फलाने महिने में तेज़ी रहेगी और ढीमकाने महीने में मंदी रहेगी तो आप तैयारी भी तो कर सकते है। आप शुक्रगुज़ार हो सकते है सुशासन बाबु की कुर्सी के आधे हक़दार का जो उन्होंने आपको ये सुपर लोजिक बता दिया। अब आप हर सावन भादों में मंदी के वजह से फ्री टाइम निकाल कर परिवार के साथ बिता सकते है। उनके साथ घूम टहल सकते है। जाइए अगले सावन की तैयारी करे। वैसे तेज़ी का मौसम अभी सुशील मोदी जी ने बताया नही है जल्द ही वह भी आपको पता चल जायेगा।
क्या आप इतिहास भूगोल के चक्कर में पड़े है। इतिहास बीत चूका है उसके पीछे माथा क्या खपाना आपको। यही नही धरती गोल है यही भूगोल समझ कर मंदी को भी इन्जॉय करे आप। आपको सोचना ही होगा इस तरफ कि सावन भादों में मंदी रहती ही रहती है। वजह भी है। अगर आप इसके ऊपर नही सोचेगे तो आप बेकार के सवालो पर गौर करके सवाल पूछेगे। आप पूछेगे रोज़गार के बारे में। बिहार के दिन प्रतिदिन ख़राब होती कानून व्यवस्था के बारे में। इस प्रकार के सवालो को सोचना भी आप क्यों चाहते है ? आप तो सिर्फ सोचे कि मंदी सावन भादों में रहती है, तो बस रहती है।
अब आप सिर्फ ये सोचे जैसा आपको सुशील मोदी जी ने बताया है। उन्होंने साफ़ कह दिया है कि सावन भादों में मंदी रहती ही है। बस इस बार की मंदी का शोर विपक्ष ने अधिक उठा दिया है। बिहार के उप मुख्यमंत्री और वित्तमंत्री सुशील मोदी ने रविवार को कहा कि देश के आर्थिक हालात को लेकर कुछ विपक्षी पार्टियां भय का माहौल पैदा करने की कोशिश कर रही हैं जबकि सावन-भादो के महीने में हर साल मंदी रहती है। तो आप इसी बात को माने। असल में सावन भादों में तेज़ी भी थोडा मौसम का लुत्फ़ उठाने चल देती है। फिर आपको इतनी फिक्र करने की क्या ज़रूरत है। दो महीने ही की तो बात है। दस महीने तेज़ी रहती ही है न।
अब सुशील मोदी जी ने तो आकड़ो के साथ स्पष्ट भी कर दिया है कि आर्थिक सुस्ती से बिहार अछूता रहा और दावा किया कि राज्य में मोटर वाहनों की बिक्री में कोई गिरावट नहीं दर्ज की गई। अब बिहार के वित्त मंत्री कह रहे है तो मान ले इस बात को। भले आकडे कुछ भी कहे। विपक्ष इसको तोड़ मरोड़ कर पेश कर सकता है। मगर आप उस हकीकत से रूबरू रहे जो सुशासन बाबु के वित्त मंत्री कहते है।
भले ही कलमकारों में कई लोगो को और शायद आपको भी सुशील मोदी के इस अर्थशास्त्र पर अचम्भा हुआ हो, मगर मुझको तो ज़रा भी नही हुआ है। आप खुद सोचे जब गिरिराज सिंह ऐसे फैक्ट्री का निर्माण कर सकते है जिसमे सिर्फ गर्भधान में गाये ही हो बछड़े हो ही न तो फिर इस मंदी के मौसम को लेकर किसी बयान पर क्या कहना। आप खुद सोचे न प्रकृति का नियम है। नर होगा या मादा होगा। मगर एक ऐसे तकनीक के साथ गिरिराज सिंह ने बयान दिया है जिसमे केवल गाय का ही जन्म होगा। बछड़े तो होंगे ही नहीं। इसके बाद गाय और फिर गाय से दूध और फिर गाय फिर दूध और करते करते आप खुद सोचे हमारे पास कितना दूध हो जायेगा। फिर हम गाय से दूध पाकर दूध की देश में एक बार फिर नदिया बहा सकते है।
अब आप इसको एकदम न कहना कि ये खयाली पुलाव हो सकता है। एकदम न कहे। आप देश हित की बात सोचे जब देश के अन्दर गाय पैदा करने की फैक्ट्री रहेगी जहा सिर्फ गाय पैदा होगी वह भी ऐसी गाय होगी जो एक दिन में 20 लीटर दूध देगी। अब एक गाय से 20 लीटर दूध और फिर 100 गाय से 2 हज़ार लीटर दूध मिलेगा। अब आप खुद सोचे कि 2 हज़ार लीटर दूध को आप सिर्फ 30 रूपये लीटर में भी बेचेंगे तो 60 हज़ार रुपया रोज कमायेगे। फिर आप 20 हज़ार का चारा भी खिला देंगे तो भी आपको 40 हज़ार रोज़ बचेगा। इतना पैसा होगा कि आप खुद के लिए सोने का महल बनवा सकते है जिसमे आप आराम से सो सकते है।
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