हर्मेश भाटिया
रामपुर। थाना कोतवाली क्षेत्र के मुहल्ला घेर मरदान खान के कुरैशी बिरादरी के लोगों के साथ कल देर रात पुलिस की झड़प हो गई। झड़प के बाद कुरैशी समाज की महिलाओं ने और उनके बच्चों ने जिला प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी किया। मर्दों से हुई झड़प के बाद महिलाओं और बच्चो ने मोर्चा संभल लिया। स्थिति बिगड़ती देख पुलिस और प्रशासन के आला अधिकारी मौके पर पहुचे और मामले का निस्तारण करने का प्रयास किया।
मौके पर मौजूद रामपुर एडिशनल एसपी अरुण कुमार सिंह ने मोर्चा संभालते हुए पुलिस के साथ मोहल्ला घेर मरदान खान, चाकू बाजार, बाजार नसरुल्लाह खान मैं पुलिस फोर्स के साथ स्थिति का जायजा लिया। इस दौरान शहर बाजार की दुकानें धडाधड बंद होने लगी। वही जानकर बताते है कि पुलिस कार्यवाही से भयभीत कुरैशी समाज के लोग अपने घर छोड़कर शहर बाहर चले गए है।
घटना के सम्बन्ध में प्राप्त समाचारों के अनुसार रामपुर के कोतवाली थाना क्षेत्र में गौकशी और अवैध स्लाटर हाउस की जानकारी प्राप्त होने पर पुलिस ने तफ्तीश के सम्बन्ध में शुक्रवार को छापेमारी किया था। जिसमे दो लोगो के पशु क्रूरता अधिनियम में गिरफ़्तारी की बात सामने आ रही है। सूत्र बताते है कि इस दौरान भैस भी कुछ पुलिस ने पकड़ी थी, मगर उन भैसों को छोड़ दिया गया। कल रात इसी प्रकरण को लेकर मामले ने तुल पकड़ा और कोतवाली का घेराव करने के मंशा से सैकड़ो कुरैशी समुदाय के लोग चौराहे पर आये। जहा मौजूद स्थानीय दरोगा ने उनको वही रोका।
जब उनको आगे नहीं बढ़ने दिया गया तो वह लोग मौके पर ही चक्का जाम और नारेबाजी करने लगे। एक तरफ भीड़ का आरोप है कि पुलिस कर्मी छापेमारी के नाम पर महिलाओं से अभद्रता किये थे, साथ ही उनका आरोप था कि अवैध वसूली के खातिर केवल परेशान करने के गरज से पुलिस कार्यवाही कर रही है। वही पुलिस का कहना था कि भीड़ में मौजूद कुछ लोगो ने पुलिस कर्मियों के साथ अभद्रता किया है। मामला बढ़ने से अफरातफरी का माहोल पैदा हो गया। कुरैशी पुरुषो के साथ महिलाए और बच्चे भी थे।
सुचना पर कई थानों के फ़ोर्स का जमावड़ा मौके पर हो गया। अंततः पुलिस ने सड़क पर लाठियां पटक कर भीड़ को तितरबितर करना शुरू कर दिया। वीडियो में आप साफ़ देख सकते है कि भीड़ को पुलिस कर्मी दौडाते हुवे गलियों के अन्दर तक लेकर गए है। इस दौरान भले मौके पर महिला सिपाही वीडियो में नज़र नही आ रही हो। मगर मौके से 8-10 लोगो की गिरफ़्तारी की चर्चा है। इसके बाद कुरैशी समुदाय के मर्द अपने घरो से पुलिस कार्यवाही के डर से अन्यंत्र चले जाने का भी समाचार प्राप्त हुआ है।
प्रकरण के सम्बन्ध में अडिशनल एसपी अरुण कुमार ने अपने पुलिस बल का समर्थन करते हुवे कैमरे पर बयान जारी किया है। उनके अनुसार भीड़ को नियंत्रित किया गया है। अरुण कुमार ने स्पष्टतः कहा कि यह जिला गोवध अधिनियम में बदनाम रहा है। मगर साहब एक प्रश्न अधुरा रह जाता है कि अगर जिला बदनाम है तो इसका मतलब होता है कि गोवध होते है। अवैध स्लाटर हाउस चलते है। तो साहब आपकी पुलिस क्या करती है। इस दौरान क्या आपकी पुलिस को मालूम नही हॉट है कि स्लाटर हाउस कहा चल रहे है। कहा क्या हो रहा है। अगर नहीं मालूम होता है साहब तो आपके अधिनस्थो की पुलिसिंग ही शक के दायरे में आती है। मुखबिर तंत्र क्या इतना उनका कमज़ोर है कि मौके से रंगे हाथ किसी की गिरफ्तारी नही कर पा रहा है।
भले ही अडिशनल एसपी साहब अपनी बात कहे मगर सवालिया निशाँन तो स्थानीय पुलिस पर भी है। ज़मीनी हकीकत पर अगर नज़र डाले तो स्लाटर हाउस के नाम पर काम तो होता है। मगर कोई स्लाटर हाउस का लाइसेंस किसी के पास वैध तरीके से नही है। इसके बावजूद मार्किट में मांस की बिक्री इस बात को ज़ाहिर करती है कि दाल में कुछ न कुछ तो काला है। मगर शायद स्थानीय प्रशासन को यह बात नहीं दिखाई देती है। कारण इसका केवल यह है कि कार्यवाही कभी भी बड़ी इस इलाके में नही हुई। यह इस बात को इंगित करता है कि कही न कही कुछ तो गड़बड़ है। वैसे प्रशासन को समाज की इस प्रकार की आपरेशन क्लीन के पहले विभाग में भी आपरेशन क्लीन चलाना चाहिए।
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