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आरबीएसके और आंगनबाड़ी का एक प्रयास और दूर हुई ज़िन्दगी की ये खामी

संजय ठाकुर

मऊ- जनपद के तीन ब्लाकों के तीन गाँव के तीन परिवार के बच्चों के सफलतापूर्वक इलाज की कहानी एक ही है। इन तीन गांवों के तीन परिवारों की खुशियां उस समय गायब हो गई जब उनके घर में बच्चों ने जन्म लिया क्लेफ्ट लिप (कटे होंठ) नामक जन्मजात बीमारी से ग्रसित पाई गईं। इन बच्चों को देख कर उनके घर में बेटी-बेटे के जन्म लेने की प्रसन्नता तो आई लेकिन कटे होंठ होने के कारण उन सभी के परिवार की खुशीयाँ गायब हो गई। सभी को बच्चों के परिवार वालों को उनके पैदा होने के साथ ही सभी के भविष्य की चिंता सताने लगी। उसमें से एक दंपति ऐसा था जिनके घर में 17 वर्ष बाद एक बेटी ने जन्म लिया था। इन तीनों को ढूढ़ने में गाँव की आंगनबाड़ी कार्यकर्तीयों और आरबीएसके टीम का विशेष रूप से योगदान रहा।

मऊ जिले के ब्लाक परदहां ग्राम बरलाई के अंतर्गत जन्मी बच्ची शिवांगी जिसकी उम्र लगभग 5 माह है। दूसरा कोपागंज ब्लाक के ग्राम अलीनगर की नित्या (14 माह) जब इन दोनों का जन्म हुआ था तो पूरा परिवार खुश था। लेकिन उसके कटे हुए होंठ देखकर सभी सहम गए। सब यह सोचने लगे कि उनकी बेटी की खूबसूरती चली गई। वह आम लड़कियों की तरह अगर अच्छी नहीं दिखेगी तो पहले तो सब उसका मजाक उड़ाएंगे फिर भविष्य में उसकी शादी की चिंता होगी, जिसकी वजह से मां और परिवार के लोग और भी चिंतित रहने लगे। वहीं दूसरी तरफ ब्लाक फतेहपुर के सूरज 37 माह पुत्र राजेन्द्र के परिवार का हाल भी कुछ ऐसा ही था।

लेकिन संबन्धित क्षेत्र की बरलाई गाँव आंगनबाड़ी कार्यकर्ता मंजु यादव, अलीनगर की किस्मतून, फ़तेहपुर गाँव की पूनम के आने से उन सभी के उम्मीद की किरण जग गई और इसकी सूचना राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के डॉक्टर और आरबीएसके की टीम को सूचित किया। सभी ने मौके पर पहुच कर बच्ची की जांच करने के बाद जिला चिकित्सालय को सूचित किया और जिले की आरबीएसके डीईआईसी मैनेजर अरविंद वर्मा और मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ सतीशचन्द्र सिंह के सहयोग से बच्चों की जांचें की गई व उनको रेफर किया गया। शिवांगी को बनारस जीएस मेमोरियल अस्पताल, नित्या को शबरुद्दीन मेमोरियल अस्पताल आजमगढ़ और सूरज को सावित्री हॉस्पिटल गोरखपुर स्माइल ट्रेन संस्था द्वारा निःशुल्क इलाज के लिए भेजा गया। पिछले माह अगस्त में ही सभी बच्चों का ऑपरेशन सफलतापूर्वक हुआ और अब वह सामान्य बच्चों की तरह ही दिख रहे हैं और उनमें पांच माह की शिवांगी बच्ची अच्छे से स्तनपान भी कर रही है।

शिवांगी के पिता दुर्गविजय बताते हैं ‘अब बच्ची के चेहरे पर मुस्कान आ गई है और उसका पूरा परिवार आरबीएसके के निःशुल्क इलाज से बहुत खुश है। वह आरबीएसके डीईआईसी मैनेजर अरविंद वर्मा समेत पूरी आरबीएसके टीम को धन्यवाद देते हैं साथ ही सरकार के इस कार्यक्रम की सराहना करते हैं।

इस संदर्भ में आरबीएसके के नोडल अधिकारी एवं एसीएमओ डॉ आर.के. झा से बात हुई तो उन्होंने बताया कि 2019-20 में लिप कट के चार सफल ऑपरेशन हुए हैं जबकि पांच का ऑपरेशन होना अभी शेष है। इसके अलावा चार अलग-अलग जन्मजात विकृतियों के ऑपरेशन सफलता पूर्वक हो चुके हैं।

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