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शिवा अवस्थी – कुछ इस तरह का किया काम, माँ-बाप ही नही पुरे जिले ने कहा छोटी उम्र में कमाया बेटी ने बड़ा नाम

फारुख हुसैन

लखीमपुर खीरी÷ शहर के भगवानदीन आर्यकन्या डिग्री कालेज की छात्रा शिवा अवस्थी ने भी इसी तरह का उदाहरण प्रस्तुत किया है। शिवा ड्राइंग की छात्रा रही हैं लेकिन हिन्दी साहित्य में भी उनकी इतनी ही पकड़ है। शिवा ने पढ़ाई करते-करते अपना काव्य संग्रह लिख डाला इतना ही नहीं इसके लिए वे साहित्य की संस्था से सम्मानित भी की गईं।

बेहजम क्षेत्र के ग्राम खजुहा निवासी प्रवीण अवस्थी पेश से किसान हैं उनकी की बेटी शिवा ने अपनी पढ़ाई ग्रामीण अंचल से शुरू की और डिग्री कक्षाओं में पहुंचने पर वे शहर के भगवानदीन आर्यकन्या पहुंचीं। यहां उन्होंने चित्रकला से पढ़ाई शुरू की इस दौरान वे अपने मन की बात को डायरी पर कविता का रूप देने लगी। देखते ही देखते एक अच्छा काव्य संग्रह तैयार हो गया।

भगवानदीन आर्यकन्या डिग्री कालेज की प्रधानाचार्य डॉ. सुरचना त्रिवेदी भी उनके साहित्य लेखन की प्रशंसक हैं। शिवा की कविताएं नारी मन की व्यथा को उठाने वाली है। उनके लेखन में नारी की पीड़ा और उसका वैचारिक द्वंद साफ दिखाई देता है। उनकी पहली पुस्तक हर सिंगार साहित्य प्रेमियों में बहुत पसंद की गई। शिवा आगे चलकर उपन्यास भी लिखना चाहती हैं। इस समय उन्हें वीआरजेएफ मिल गई है वे पीएचडी की तैयारी में हैं।

शिवा के काव्य संग्रह के लिए उन्हें केबी हिंदी साहित्य संस्थान ने उषा देवी मिश्रा पुरस्कार भी दिया है। शिवा ने पढ़ाई करते करते साहित्य जगत में शानदार इंट्री की है। वहीं अपने गांव का भी गौरव बढ़ाया है साथ ही यह संदेश भी दिया है कि ग्रामीण क्षेत्र की प्रतिभाएं भी किसी से कम नहीं हैं। उनकी इस सफलता से भगवानदीन आर्यकन्या डिग्री कालेज की शिक्षिकाओं और छात्राओं में खुशी है।

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