फारूख हुसैन
लखीमपुर खीरी÷ आपने अभी तक इंसानों की दावत के बारे में ही सुना होगा जहां पर उनके लिये कई तरह के पकवान बनाये जाते हैं और वो उनको चटखारे ले लेकर खाते हैं। लेकिन क्या कभी आपने जानवरों की दावत के बारे में सुना है? नहीं न लेकिन आज हम आपको एक ऐसी दावत में लेकर चलते हैं जहां इसानों की नहीं जानवरों की दावत होगी। जी हां हमारे प्रदेश के इकलौता नेशनल पार्क दुधवा जहां पर आज हाथियों ने जमकर दावत उड़ाई है। जहां उनको मनपंसद भोजन गन्ना, गुड़ केला, अन्नास, तरबूज, पपीता, केला, चूरा, मक्का, सब्जियों में लौकी, कद्दू, केला व खीरा के अलावा स्वीट डिश में बेहतरीन गुड़ की व्यवस्था पार्क प्रशासन द्वारा की गई थी और वो भी लखनऊ सहित अन्य जगहों से लाकर।
हथियों के भोज की व्यवस्था दुधवा कैम्प के अलावा बेस कैम्प, सलूकापुर में आयोजित किया गया। सुबह से ही हाथियों को सजा सवार कर तैयार किया गया और जैसे ही मेजबान बने पार्क के अधिकारी ने हाथियों को दावत के लिए आमंत्रित किया हाथी चिंघाड़ते हुऐ दावत के लिए लगी मेजो पर आकर अपने मनपसंद व्यंजन पर टूट पड़े पार्क के अधिकारियों का कहना है है कि दुधवा टाइगर के 25 हाथी पूर्ण स्वस्थ है, आसाम से आए डॉ परीक्षित ने सभी हाथियों का परीक्षण कर लिए फिट घोषित कर दिया है। आने वाले पर्यटन सत्र में पर्यटकों को दुधवा में सैर कराएंगे और दुधवा में कांबिंग के लिए अभी ड्यूटी पर लग जाएंगे।
इसके अलावा एफडी संजय पाठक ने बताया कि यह हाथियों का तीसरा भोज है। इससे पहले 2 भोज का आयोजन भी किया जा चुका है। दावत के दौरान फील्ड डायरेक्टर संजय पाठक, दुधवा डीडी मनोज सोनकर, वार्डन एसके अमरेश, आसाम से आये डा. परीक्षित गौतम, डब्लूडब्लूएफ के मुदित गुप्ता सहित रेंजर व पार्क कर्मी शामिल रहे।
भोज की शुरूआत आखिर किससे हुई शुरू
दुधवा में सभी की चहेती दुर्गा व पार्वती से दावत की शुरुआत की। दरअसल यह चहेती पिछले वर्ष कर्नाटक से आये हाथियों के दल के साथ मिलकर आई थी। जो आते ही सबकी चहेती भी बन गयी। ढाई साल की प्यारी और नटखट हथनी पार्वती व नन्ही हथिनी दुर्गा को एफडी संजय पाठक, डीडी मनोज सोनकर, वार्डन एसके अमरेश व डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के मुदिक गुप्ता ने अपने हाथों से उसका प॔सदीदा भोजन केला, तरबूज, पपीता व गुड़ खिलाया जिसमें उनकी शैतानिया लगातार जारी रही।
आखिर दुधवा मे कितने हाथी है और कहां
जानकारी के अनुसार इस समय दुधवा टाइगर रिजर्व में 23 हुनरमंद हाथियों का कुनबा मौजूद है। जिसमें 13 सलूकापुर, आठ दुधवा व दो छंगा नाला में अपनी ड्यिूटी को बाखूबी अंजाम दे रहे हैं। हाथियों में कुल 16 मादा व आठ नर हाथी हैं।
सलूकापुर में- नकुल, गजराज, मोहन, भाष्कर, सुंदर, अमृता, तेरसा, पाखरी, सुहेली, विनायक, किरन, कामनी व डायना शामिल हैं। दुधवा बेस कैंप में- गंगाकली, रुपकली, चमेली, सुलोचना, कावेरी, तुंगा, दुर्गा व पार्वती, छंगा नाला में- पवन कली व मधु सुरक्षा व्यवस्था में तैनात रहतीं हैं।
हाथियों की दावत के बाद शुरू हुई बंदरों की दावत
जी हां जिस तरह से हाथियों की दावत चल रही थी उस समय पार्क में बहुत से बंदर भी दावत का आनंद लेना चाहते थे। लेकिन बेचारे हाथियों की दावत के आगे उनकी दावत कहां हो पाती वो बस उनकी दावत खत्म होने का इंतजार करते रहें और फिर जैसे ही उनकी दावत खत्म हुई, वैसे ही शुरू हुई बंदरों की दावत। छीन छपटी लड़ाई झगड़ो के साथ उनकी मस्ती भरी दावत काफी देर चलती रही। ये दावत लोगों को मनोरंजन भी करवाती रही।
हाथियों के बारे में कुछ रोचक बातें ÷
सबसे बड़े हाथी का रिकॉर्ड वजन 10886 किलो और हाईट 13 फीट है। एक वयस्क हाथी को दिन में 300 किलो खाने और 160 लीटर तक पानी की जरूरत होती है। एक हाथी को दातों के जोड़े का वजन 200 किलों से अधिक तक हो सकता है। हाथी एक दूसरे कि चिंघाड 8 किलोमीटर दूर तक सुन सकते हैं। हाथी लगभग 2 साल तक प्रेग्नेंट होते हैं। हाथी 150 मील दूर से बारिश का पता लगा सकते हैं। हाथी के दिमाग का वजन 5 किलो तक हो सकता है, ये किसी भी दूसरे जानवर के दिमाग के वजन से ज्यादा है। हाथी आवाज को सुनकर आदमी और औरत के बीच अंतर कर सकता है। यहां तक कि जातियों के बीच भी। हाथी खुद को सन बर्न से बचाने के लिए अपने ऊपर रेत डालते हैं। अफ्रीकी हाथियों को गंध की सबसे अच्छी समझ होती है। हाथी मधुमक्खियों से डरते हैं। हाथी दिन में केवल 2 से 3 घंटे ही सोते हैं। लेकिन अफसोस हाथी दांत के लिए आये दिन हाथियों की हत्या कर दी जाती है जो कि बहुत ही दुखद है।
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