ए जावेद
वाराणसी। वैसे तो भले ही शहर की गलिया तंग हो और रास्ते पतले हो मगर यहाँ कि यातायात व्यवस्था में जाम का बहुत महत्व है। आप खुद इसका अहसास कर सकते है जब आप जाम वाले इलाके से निकलते है तो ऐसा लगता है जैसे जंग जीत लिया हो। ये एक अलग बात है कि जाम को कोसते हुवे हम अक्सर जाम में फंसे रहते है। मगर एक हकीकत और भी है कि इस जाम के ज़िम्मेदार हम खुद ही होते है। सरकार यातायात के जितने भी नियम बना ले, हम नही मानेगे के तर्ज पर सब चलता है। यहाँ तो एकल दिशा मार्ग के लिए अगर प्रशासन रस्सा लगा कर रास्ता रोके रहे तो हम रस्से के नीचे से निकल कर चले जाते है। वह भी जब आप बलिष्ठ हो तो फिर आपसे नियम कौन फालो करवा सकता है।
क्षेत्रीय जनता और आम मुसाफिरों को कितनी परेशानी हो, इसका स्कूल प्रशासन से कोई लेना देना नहीं है। अक्सर ही बच्चो को सड़क पर वाहन खड़ा करके भरा जाता है। इस दौरान सड़क पूरी दोनों तरफ से जाम रहती है। आप कोई आपत्ति कर नही सकते है। अगर आपने आपत्ति किया तो बस का ड्राईवर और खलासी आपसे बस वही खडी करके बहस करना शुरू कर देंगे। इस बहस के बीच आम नागरिक फिर आपको ही समझाने लगेगे कि जाने दे भाई साहब, जब तक बहस करेगे तब तक जाम ऐसे ही रहेगा।
अब देखना होगा कि आम जनता के साथ सख्त व्यवहार करने वाला यातायात प्रशासन आखिर इन बलशाली स्कूल प्रशासन के खिलाफ क्या करता है ? या फिर सब कुछ ऐसे ही चलता रहेगा। मानको को ताख पर रखकर नियमो को दरकिनार करके स्कूल प्रशासन अपनी मनमानी करेगा या फिर यातायात पुलिस इस पर कोई एक्शन लेगी यह तो आने वाला समय ही बता सकता है।
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