बापुनंदन मिश्रा
(मऊ) : मुसीबत तो उसी पर आती है, जो कमजोर होता है, लाचार होता है। जो जवाबदेह नहीं। सकता और इस मायने में भारत जिसे कृषि प्रधान देश कहा जाता है, का उस किसान सबसे कमजोर व्यक्ति है। जब उसका अन्न पैदा होता है तो उसकी कीमत गिर जाती है। जिससे उसके सपने चूर चूर हो जाते हैं।
अभी जनपद के कई गांवों में किसानों की तैयार धान की फसल में लेढा रोग लगने से किसानों के दिलों की धड़कने बढ़ने लगी हैं। इस रोग में धान की तैयार खेत में खड़ी फसलों की बाली पहले तो लाल पड़ जाती है। फिर काली पड़कर सूखने लगी है। जो जो बालियां सही बची हैं, उस पर भी लेढा लग गया है। जिसको लेकर किसान की चिंता बढ़ने लगी है। किसानों की दिन रात की फसल में की गई मेहनत पर पानी फिरता नजर आ रहा है। ऐसा मामला क्षेत्र के कई काश्तकारों की फसलो में देखने को मिल रहा है। किसान अपनी रोगी फसल को काट कर शहरों एवं ग्रामीण क्षेत्रों के दुकानदारों के पास उपचार के लिए भटकते फिरते हैं। लेकिन दुकानदारों के पास भी इस तरह के रोग का कोई उपचार नहीं मिल पा रहा है।
इससे पूर्व में अधिक बारिश होने के कारण किसान अपने खेतों में खाद पानी व अन्य रोगों में दवाई लगाते लगाते काफी रुपये खर्च कर तंग आ चुका है। फसल में यह रोग लगने का अनुमान किसान क्षेत्र में अधिक वर्षा होने की वजह मान रहे हैं। अगर इसी तरह यह रोग फसलों में फैलता रहा तो किसान की आय कम हो जाएगी।
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