हर्मेश भाटिया
नई दिल्ली: अयोध्या में बाबरी मस्जिद-रामजन्म भूमी के संपत्ति विवाद पर आज सुबह देश की सबसे बड़ी अदालत फैसला सुनाने वाली है। फैसला एतिहासिक है इसमें कोई शक की जगह नही है। मगर एक मुद्दे की बात हमको आपको नही भूलनी चाहिये वह यह है कि यह फैसला किसी आस्था का नही है। आस्था का कोई फैसला हो भी नही सकता है। ये फैसला केवल सपत्ति विवाद का है। एक संपत्ति के तीन दावेदार (पक्षकार) इस मामले में वादी है। एक तरफ मस्जिद कमेटी तो दूसरी तरफ रामलला विराजमान तथा तीसरी तरफ निर्मोही अखाड़ा। अदालत इस सपत्ति विवाद पर आज फैसला सुनाएगी। कुछ लोग इसको आखरी फैसला समझ रहे है। मगर ये गलत है। ये फैसला आखरी नहीं है। इसमें और रास्ते है।
जस्टिस रंजन गोगोई की इस बेंच में उनके अलावा जस्टिस शरद अरविंद बोबडे, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एस अब्दुल नजीर शामिल हैं। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं। यदि 17 नवंबर के पहले पुनर्विचार याचिका आती है तो इसे चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की बेंच ही सुनेगी।
लेकिन यदि यह पिटीशन इसके बाद आई तो अगले चीफ जस्टिस तय करेंगे कि रिव्यू पिटीशन पर सुनवाई के लिए मौजूदा पीठ में जस्टिस गोगोई की जगह पांचवा जज कौन होगा। सुप्रीम कोर्ट यह भी तय करेगा कि रिव्यू पिटीशन पर सुनवाई की जाए या नहीं की जाए। रिव्यू पिटीशन पर ओपन कोर्ट में सुनवाई नहीं होती बल्कि चैंबर में होती है। यदि याचिकाकर्ता ओपन कोर्ट में सुनवाई के लिए अनुरोध करेगा और कोर्ट इसके लिए तैयार होता है तो ओपन कोर्ट में सुनवाई हो सकती है। इस स्थिति में सुप्रीम कोर्ट ओपन कोर्ट में सुनवाई के लिए तारीख देगा।
हम सभी पाठको से अपील करते है कि फैसला कुछ भी हो, आपका शहर, आपकी बस्ती और आपका गाव आपका खुद का है। आप उसके पुरे मालिक है। उसकी आबो हवा के आप ही मालिक है। आप उसके अमन-ओ-सुकून के भी मालिक है। कृपया शांति और समझदारी से फिजाओं में अमन-ओ-सुकून को कायम रखने के लिए अपना योगदान दे। किसी अफवाह में न पड़े बल्कि अफवाहों को रोके और अफवाह फैलाने वालो की सुचना आप अपने स्थानीय थाने को अथवा 112 को प्रदान करे।
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